भोपाल। प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक (Economic condition) नहीं है. यहां के हर व्यक्ति पर करीब 30 हजार रुपए से अधिक का कर्ज है. आर्थिक जानकारों के मुताबिक, इन हालातों में प्रदेश सरकार को अपने खर्चों में कटौती करना चाहिए, जिससे जनता पर कर्ज का भार कम होगा. वास्तविकता ये है कि प्रदेश सरकार लोन पर जिंदा है. ये बात टैक्स कंसल्टेंट और मप्र टैक्स लॉ बार एसोसिएशन के सचिव मनीष त्रिपाठी ने कही है.
दरअसल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के उस बयान के बाद से राजनीति गरमाई हुई है, जिसमें उन्होंने ईधन की बढ़ी कीमतों के लिए पूर्व की यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहराया था. आर्थिक मामलों के जानकार और कांग्रेस दोनों ही इसके लिए भाजपा सरकार को कोस रहे हैं. इनका कहना है कि पेट्रोल बांड की कर्जा वसूली तो जनता से की जा रही है, लेकिन बाकी सरकार पर जो कर्ज है तो क्या इसके लिए भी जनता ही दोषी है. बजट में लोगों से सुझाव तो मांगे जाते हैं, लेकिन राहत नहीं दिखती है.
टैक्स कंसल्टेंट और मप्र टैक्स लॉ बार एसोसिएशन (MP Tax Law Bar Association) के सचिव मनीष त्रिपाठी (Manish tripathi) का कहना है कि पिछली तिमाही को छोड़कर मप्र सरकार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रही है. वास्तविकता ये है कि सरकार लोन पर जिंदा है. प्रदेश में हर व्यक्ति पर करीब 30 हजार रुपए से अधिक का कर्ज हो गया है. त्रिपाठी का कहना है कि कोरोना काल में वित्तीय प्रबंधन किए गए थे, लेकिन अब फिर से हालात बिगड़ रहे हैं, ऐसे में सरकार को अपने खर्च नियंत्रित करने होंगे.
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केंद्र और राज्य दोनों पर बढ़ रहा कर्ज का बोझ
आर्थिक मामलों के जानकार राजेंद्र कोठारी (Rajendra Kothari) का कहना है कि पीएम मोदी कल क्या कहते हैं, उन्हें आज याद नहीं रहता है. उन्होंने 20 रुपए लीटर पेट्रोल देने का वादा किया था. वो अब इसे भूल गए हैं. कोठारी ने कहा कि अगर सरकार पेट्रोल बांड के चलते टैक्स वसूल रही है, तो राज्य सरकारें पेट्रोल और डीजल पर टैक्स क्यों लगा रही है.
केंद्र सरकार के खर्चे 60 प्रतिशत तक बढ़े
कोठारी ने बताया कि वर्ष 2014 से 2021 तक केंद्र सरकार के खर्चे 60 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं. मोदी सरकार ने 8500 करोड़ रुपए का नया विमान खरीदा है. इन हालातों में जब देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और कर्ज का बोझ है तो फिर सरकारी खर्चे क्यों कम नहीं किए जा रहे हैं. कोठारी ने कहा कि वित्त मंत्री एक श्वेत पत्र जारी कर बताएं कि पेट्रोल बांड कितने का है और अब तक कितना टैक्स वसूला जा चुका है, और राज्यों को पेमेंट क्यों नहीं किया जा रहा है.
बदल गए हैं सरकार के सुर
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा का कहना है कि प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों के सुर अब बदल गए हैं. वो कह रहे हैं कि क्रूड आयल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय होती हैं. मिश्रा ने कहा कि जब क्रूड ऑयल के रेट कम होते हैं, तो फिर पेट्रोल और डीजल के रेट कम क्यों नहीं किए जाते हैं. कांग्रेस प्रवक्ता ने मप्र सरकार के खर्चों पर भी सवाल उठाए हैं.
सरकार के खर्चों में तो कटौती नहीं
मिश्रा ने कहा कि सरकार के खर्चों में तो कटौती नहीं हो रही है. सरकार का विमान खराब होने के बाद करोड़ों रुपए के किराए के विमान पर मुख्यमंत्री घूम रहे हैं. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि गलतियां और लूट भाजपा सरकार करे और दोष जनता और कांग्रेस पर मढ़ा जा रहा है.
एमपी में पेट्रोल-डीजल पर सबसे ज्यादा टैक्स
जानकारी के मुताबिक, मौजूदा वक्त में मध्य प्रदेश पर बाजार का कुल 2 लाख 11 हजार 89 करोड़ से ज्यादा का कर्ज हो चुका है. साल 2018 के अंत में यह कर्ज 1 लाख 80 हजार करोड़ था. शिवराज सरकार द्वारा हाल में लिए गए 2000 करोड़ रुपए के कर्ज के बाद मौजूदा वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 16,500 करोड़ रुपए पहुंच चुका है. इसका असर जनता को बढ़े हुए टैक्स के रूप में चुकाना पड़ सकता है. मध्य प्रदेश में इस समय पेट्रोल और डीजल पर देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा सबसे ज्यादा टैक्स सरकार की ओर से वसूला जा रहा है.
कोरोना महामारी में चरमराई अर्थव्यवस्था
कोरोना संक्रमण की वजह से देश और प्रदेश में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित रही हैं. केंद्र सरकार से पर्याप्त आर्थिक सहायता नहीं मिल पाई और लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार के टैक्स कलेक्शन में भी भारी कमीं रही. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से अतिरिक्त ऋण लेने की अनुमति मांगी थी, जिसे केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सशर्त मंजूरी दी थी.