भोपाल। कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन के कारण मोक्ष धाम की अलमारियां अस्थि कलश से भर गई हैं. बताया जाता है कि जब तक अस्थियों का विसर्जन नहीं कर दिया जाता जब तक मृतक को मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो पाती. पर अभी लॉकडाउन के चलते अस्थियों को विसर्जन करने की परमिशन नहीं मिल रही थी, जिसके कारण अलमारियां अस्थियों से भर गई हैं. लेकिन अब लॉकडाउन खुलने के पहले चरण में मृतकों का भी मोक्ष पाने का इंतजार खत्म हो रहा है.
राजधानी भोपाल में विश्राम घाटों की संख्या लगभग 8 है यहां 300 से 400 के करीब अस्थि कलश रखे हुए हैं और उनके परिजन इंतजार कर रहे हैं अपने मृत परिजनों के अस्थि विसर्जन का ताकि उन्हें मोक्ष मिल पाए. भोपाल के 100 साल से अधिक पुराने छोला रोड स्थित प्रेम कुटी में आड़े दिनों में भी सिर्फ एक-दो अस्थि कलश सुरक्षित रखने के लिए आते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद यहां जगह फुल हो गई है.
यहां के चौकीदार लाल सिंह कुशवाहा का कहना है कि अस्थि विसर्जन अधिकतर उज्जैन होशंगाबाद नर्मदा में होता है, लेकिन लोगों को इन देने इसी परमीशन नहीं मिल पाने के कारण यहां अस्थियां रखी हुई है.मृतक व्यक्तियों के परिजन ने बताया कि दिवंगत की आत्मा की शांति के लिए वो इलाहाबाद जाकर उनकी अस्थि विसर्जन करना चाहते हैं पर लॉकडाउन के कारण उन्हें जाने की परमिशन नहीं मिल रही. वहीं आगे उन्होंने बताया कि इलाहाबाद के पंडितों ने भी अस्थि विर्सजन करने से मना कर दिया हैं, पंडितों का कहना है कि अस्थि विसर्जन करने से कोरोना संक्रमण का खतरा है.
अब लॉक डाउन खुल गया है और वाहनों को आने जाने की अनुमति मिलने लगी है. इस कारण मृतकों की अस्थि विसर्जन का इंतजार कर रहे उनके परिजन अब वह धीरे-धीरे अस्थियां ले जा रहे हैं और मृतकों की आत्मा को मोक्ष दिलाने के लिए अस्थी विसर्जन कर रहे हैं.