भोपाल। कोविड से ठीक हो रहे मरीजों में तेजी से नजर आ रही म्युकोर माइकोसिस याने ब्लैक फंगस (Black fungus) घातक बीमारी है. हालांकि यह कोई नई बीमारी नहीं है, लेकिन इससे प्रभावित 50 फीसदी मरीजों की मौत हो जाती है. इसका इलाज बेहद खर्चीला है और इसके साइड इफेक्ट भी कम नहीं है. इन हालातों में सजगता, बीमारी से बचाव और लक्षण नजर आने पर बीमारी की तुरंत पहचान के बाद उपचार से बचा जा सकता है. प्रदेश सरकार भी इसकी जागरूकता और बचाव के लिए लगातार प्रयास कर रही है. पिछले दिनों शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें सीएम ने हमीदिया के डॉक्टर और अमेरिका में ब्लैक फंगस (Black fungus) पर रिसर्च कर रहे डॉक्टरों से बात की थी. इस दौरान मुख्यमंत्री ने Black fungus के बचाव और इससे निपटने के उपाए के संबंध में चर्चा की थी. अब प्रदेश सरकार ब्लैक फंगस का इलाज निःशुल्क करवाएगी. इसके लिए भोपाल और जबलपुर में युनिट स्थापित की जाएगी.
- 50 फीसदी मरीजों की हो जाती है मौत
राजधानी के प्रसिद्ध नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. संजय गुप्ता बताते हैं कि पहले यह बीमारी उन लोगों में ज्यादा होती थी, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो. जैसे कि ट्रांसप्लांट और कैंसर वाले मरीज या फिर अनकंट्रोल डायबिटिक के मरीज. लेकिन अब कोविड के मरीजों के खून में शुगर बहुत तेजी से बढ़ता है. कोविड ट्रीटमेंट के दौरान स्टेरॉयड और बायोलॉजिकल के हाईडोज देना जरूरी होता है. जिससे बॉडी की रोग प्रतिरोधक क्षमता और भी कम हो जाती है. इन दिनों कोविड के बाद ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. आशंका जताई जा रही है कि इस बिमारी से पीड़ित लोगों में से 50 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है.
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- महंगा है ब्लैक फंगस का इलाज
डॉ. गुप्ता का कहना है कि अभी जितने भी ब्लैक फंगस बिमारी से पीड़ित लोगों के केस आ रहे हैं. उनमें मरीज काफी देर से डॉक्टर्स के पास पहुंच रहे हैं. अनावश्यक रूप से स्टेरॉयड दवाइयों का उपयोग बेहद बढ़ गया है. डॉ. गुप्ता के मुताबिक इसका इलाज महंगा है. दवाइयां कम उपलब्ध हैं जिसके कारण इलाज में खर्च ज्यादा होता है. यदि कोई मरीज महीने भर इलाज कराता है, तो कम से 4 से 5 लाख रुपए खर्च हो सकते हैं.
- सरकार करवाएगी निःशुल्क इलाज भोपाल और जबलपुर होगी शुरूआत
मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों का निःशुल्क उपचार किया जाएगा. प्रदेश सरकार अमेरिकी डॉक्टरों से सलाह लेकर मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस यूनिट बनाई जा रही है. इसकी शुरुआत भोपाल और जबलपुर से होगी. यह 10-10 बेड प्लेटफॉर्म 10 के मरीजों के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि मध्य प्रदेश सरकार ब्लैक फंगस कर निःशुल्क उपचार कराएगी.
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ब्लैक फंगस के संक्रमण की जो घटनाएं सामने आ रही हैं, चिंतित करने वाली हैं। इलाज के प्रोटोकॉल के अनुसार इसका उपचार सुनिश्चित किया जाये। इसका उपचार भी महंगा होता है, इसलिए जो आर्थिक दृष्टि से कमजोर हैं, उनके नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करने का प्रयास होगा। #COVID19 pic.twitter.com/QCAZ2aMPHA
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) May 12, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">ब्लैक फंगस के संक्रमण की जो घटनाएं सामने आ रही हैं, चिंतित करने वाली हैं। इलाज के प्रोटोकॉल के अनुसार इसका उपचार सुनिश्चित किया जाये। इसका उपचार भी महंगा होता है, इसलिए जो आर्थिक दृष्टि से कमजोर हैं, उनके नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करने का प्रयास होगा। #COVID19 pic.twitter.com/QCAZ2aMPHA
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ब्लैक फंगस: भोपाल और जबलपुर मेडिकल कॉलेज में खोली जाएंगी यूनिट
विपक्ष का पलटवार, नहीं है ब्लैक फंगस की दवाई, कैसे होगा ईलाज
ब्लैक फंगस के फ्री इलाज को लेकर राज्य सभा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा है कि गृहमंत्री ने कह तो दिया कि फ्री इलाज होगा, लेकिन ब्लैक फंगस की दवाई बाजार से गायब है. दिग्विजय सिंह ने ट्वीट में लिखा कि 'गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने तेजी से बढ़ रहे ब्लेक फंगस इंफेक्शन का फ्री इलाज करवाने की घोषणा की है. इलाज के लिए आवश्यक इंजेक्शन एम्फ़ोटेरिसिन (Amphotericin) बाजार से गायब है. मप्र शासन को तत्काल इंजेक्शन दिलाने की व्यवस्था करें.'
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गृहमंत्री श्री नरोत्तम मिश्रा जी ने तेजी से बढ़ रहे ब्लेक फंगस इंफेक्शन का फ्री इलाज करवाने की घोषणा की है। इलाज के लिए आवश्यक इंजेक्शन Amphotericin बाजार से गायब है।मप्र शासन को तत्काल इंजेक्शन दिलाने की व्यवस्था करें।
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- ग्वालियर में नहीं है इलाज की व्यवस्था
प्रदेश की राजधानी और जबलपुर में तो सरकार ने फ्री इलाज की घोषणा कर दी है, लेकिन ग्वालियर जिले में इसकी कोई व्यवस्था नहीं है. ग्वालियर में अभी तक जिला प्रशासन और स्वास्थ्य अमले ने कोई प्लान तैयार नहीं किया है और नहीं इसके लिए अभी पूरी तरह तैयार है. जिला प्रशासन अभी सरकार के आदेश और निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं. यही वजह है कि अभी तक ब्लैक फंगल इंफेक्शन वाले मरीजों के लिए अलग से कोई इंतजाम नहीं है और नहीं अभी तक आईसीयू वार्ड बनाने की तैयारी है.
- 33 साल के करियर में केवल 4 केस
डॉ. गुप्ता ने बताया कि मैंने पिछले 33 साल के करियर में ब्लैक फंगस के केवल तीन से चार केस देखे थे, लेकिन पिछले 15 दिनों में 15 से 16 केस देखे है. इसका एक कारण कोरोना भी हो सकता है. क्योंकि अचानक फंगस के केस बढ़ना आम बात नहीं हो सकती. कोरोना शरिर की इम्युनिटी कम कर देता है, जिससे फंगस को बढ़ने में ताकत मिलती है.
- ये हो लक्षण तो डॉक्टर की लें सलाह
- नाक बंद होना, नाक में पपड़ी जमना, नाक से खून या काला-भूरा रंग का तरल आना
- चेहरे पर सूजन, दर्द का अनुभव होना
- सिर दर्द, साइनस कंजेशन, मुंह के ऊपरी भाग या दांतों में तकलीफ के साथ बुखार आना
- आंखों में सूजन, आंख की रोशनी कम होना
- तालू काली पड़ जाती है, आंखों का मूवमेंट कमजोर हो जाता है
- इन बातों का भी रखें ध्यान
- अनावश्यक दवाइयों से बचें.
- अनावश्यक रूप से स्टेरॉयड लेना खतरनाक है.
- मलेरिया की जांच भी कराएं.
- बिना धुला मास्क न पहनें. बिना धुले मास्क में फंगस हो सकती है जो दिखाई नहीं देती. इसलिए मास्क को साफ रखें और जो नियमित तौर पर धोकर उपयोग करें.
- तकलीफ होने पर तुरंत एंटी फंगल थैरेपी शुरु करें.
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- सभी शुगर मरीजों को नहीं होता ब्लैक फंगस
वहीं एंडोक्राइनोलाजिस्ट डॉ. सचिन चित्तावार का कहना है कि ब्लैक फंगस में सबसे अधिक खतरा उन लोगों को होता है जिनकी शुगर बढ़ी हो. ब्लैक फंगस के से बचने के लिए अपनी शुगर को नियंत्रित रखें. लेकिन शुगर के सभी मरीजों को ब्लैक फंगस हो ये भी सही नहीं है.