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दूसरे राज्यो में बैठकर वारदातों को अंजाम दे रहे साइबर ठग - Cyber crime MP

मध्यप्रदेश में साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में लोगों को सचेत रहने की जरुरत है. ठग दूसरे राज्यों में बैठकर लोगों के अकाउंट पलक झपकते ही खाली कर देते हैं.

cyber crime
साइबर क्राइम
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Published : Dec 30, 2020, 3:25 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में लॉकडाउन और अनलॉक के दौरान साइबर क्राइम का ग्राफ भी लगातार बढ़ता ही जा रहा है. आलम यह है कि लॉकडाउन से लेकर अब तक हर महीने 200 से 300 ऑनलाइन ठगी की शिकायतें साइबर पुलिस के पास पहुंच रहीं हैं. कुछ मामलों में पड़ताल के बाद पुलिस के हाथ अहम सुराग लगे हैं. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक ऑनलाइन ठगी करने वाले शातिर जालसाज ज्यादातर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के रहने वाले हैं.

साइबर एसपी

जालसाज पुलिस के लिए बन रहे चुनौती

साइबर ठगी करने वाले जालसाज ज्यादातर दूसरे राज्यों में बैठकर मध्य प्रदेश के लोगों को अपना शिकार बनाते हैं. इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के गैंग में शामिल हैं.जब पुलिस साइबर ठगी के अपराधों की तह तक जाती है तो, इस तरह के खुलासे होते हैं. इन अपराधियों का दूसरे राज्यों में होना ही पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है. क्योंकि पहले तो पुलिस को ठगी का ओरिजन प्वाइंट ढूंढना पड़ता है, उसके बाद संबंधित राज्य की पुलिस से समन्वय स्थापित कर वहां कार्रवाई करना होता है. ऐसे में पुलिस के लिए जालसाजों तक पहुंचना टेढ़ी खीर साबित होता है.

How do crimes happen
कैसे घटित होते हैं अपराध

यूपी, बिहार व झारखंड जालसाजों के पसंदीदा राज्य

मध्य प्रदेश साइबर पुलिस की पड़ताल में सामने आया है कि इस तरह से ठगी करने वालों के कॉल ज्यादातर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से आते हैं. बताया जा रहा है कि जालसाज बिहार और झारखंड समेत दूसरे राज्यों में बैठकर फर्जी सिम कार्ड के जरिए फोन करते हैं. पॉलिसी या किसी ऑफर का लालच देकर ओटीपी नंबर या बैंक डिटेल ले लेते हैं. डिटेल्स मिलने के बाद पलक झपकते ही यह साइबर ठग आपका पूरा बैंक अकाउंट खाली कर देते हैं.

cyber-fraud-
सावधान रहने की जरूरत

जल्द पकड़े जाएंगे आरोपी

पुलिस ने ऐसे ही साइबर ठगों का पूरा काला-चिट्ठा निकाल निकाला है. पुलिस का दावा है कि जल्द ही इन शातिर ठगों को गिरफ्तार भी कर लिया जाएगा. साइबर सेल का कार्रवाई से करीब 20 फीसदी मामलों में ठगी गई राशि वापस मिल पाई है. पुलिस समय-समय पर लोगों इन अपराधों के प्रति जागरूक करने के लिए एडवाइजरी भी जारी करती है.

How to rescue
कैसे करें बचाव

ठगी होने जाने पर ही उजागर होते हैं मामले

तमाम प्रयासों के बाद भी बढ़ते ऑनलाइन फ्रॉड के मामले कई सवाल खड़े करते हैं. क्योंकि अभी तक साइबर ठगी का शिकार होने पर ही मामले उजागर होते हैं. पहले से इन अपराधों को रोकने के लिए राज्य स्तर पर किए गए प्रयास फिलहाल नाकाफी साबित हो रहे हैं.

साइबर सुरक्षा नीति मजबूत बनाने की आवश्यकता

मोबाइल फोन और दूरसंचार के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए साइबर सुरक्षा नीति और दूरसंचार नीति को और मजबूत बनाने की जरूरत है. साइबर एक्सपर्ट्स की संख्या को बढ़ाया जाए. साथ ही इन अपराधों के प्रति आम लोगों को भी जागरूक होना भी अहम है. राज्य सरकारों को एक मिलकर इन ठगों के खिलाफ मुहिम छेड़नी पड़ेगी. तभी इन छिपे हुए अपराधियों पर नकेल कस पाएगी.

भोपाल। मध्यप्रदेश में लॉकडाउन और अनलॉक के दौरान साइबर क्राइम का ग्राफ भी लगातार बढ़ता ही जा रहा है. आलम यह है कि लॉकडाउन से लेकर अब तक हर महीने 200 से 300 ऑनलाइन ठगी की शिकायतें साइबर पुलिस के पास पहुंच रहीं हैं. कुछ मामलों में पड़ताल के बाद पुलिस के हाथ अहम सुराग लगे हैं. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक ऑनलाइन ठगी करने वाले शातिर जालसाज ज्यादातर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के रहने वाले हैं.

साइबर एसपी

जालसाज पुलिस के लिए बन रहे चुनौती

साइबर ठगी करने वाले जालसाज ज्यादातर दूसरे राज्यों में बैठकर मध्य प्रदेश के लोगों को अपना शिकार बनाते हैं. इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के गैंग में शामिल हैं.जब पुलिस साइबर ठगी के अपराधों की तह तक जाती है तो, इस तरह के खुलासे होते हैं. इन अपराधियों का दूसरे राज्यों में होना ही पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है. क्योंकि पहले तो पुलिस को ठगी का ओरिजन प्वाइंट ढूंढना पड़ता है, उसके बाद संबंधित राज्य की पुलिस से समन्वय स्थापित कर वहां कार्रवाई करना होता है. ऐसे में पुलिस के लिए जालसाजों तक पहुंचना टेढ़ी खीर साबित होता है.

How do crimes happen
कैसे घटित होते हैं अपराध

यूपी, बिहार व झारखंड जालसाजों के पसंदीदा राज्य

मध्य प्रदेश साइबर पुलिस की पड़ताल में सामने आया है कि इस तरह से ठगी करने वालों के कॉल ज्यादातर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से आते हैं. बताया जा रहा है कि जालसाज बिहार और झारखंड समेत दूसरे राज्यों में बैठकर फर्जी सिम कार्ड के जरिए फोन करते हैं. पॉलिसी या किसी ऑफर का लालच देकर ओटीपी नंबर या बैंक डिटेल ले लेते हैं. डिटेल्स मिलने के बाद पलक झपकते ही यह साइबर ठग आपका पूरा बैंक अकाउंट खाली कर देते हैं.

cyber-fraud-
सावधान रहने की जरूरत

जल्द पकड़े जाएंगे आरोपी

पुलिस ने ऐसे ही साइबर ठगों का पूरा काला-चिट्ठा निकाल निकाला है. पुलिस का दावा है कि जल्द ही इन शातिर ठगों को गिरफ्तार भी कर लिया जाएगा. साइबर सेल का कार्रवाई से करीब 20 फीसदी मामलों में ठगी गई राशि वापस मिल पाई है. पुलिस समय-समय पर लोगों इन अपराधों के प्रति जागरूक करने के लिए एडवाइजरी भी जारी करती है.

How to rescue
कैसे करें बचाव

ठगी होने जाने पर ही उजागर होते हैं मामले

तमाम प्रयासों के बाद भी बढ़ते ऑनलाइन फ्रॉड के मामले कई सवाल खड़े करते हैं. क्योंकि अभी तक साइबर ठगी का शिकार होने पर ही मामले उजागर होते हैं. पहले से इन अपराधों को रोकने के लिए राज्य स्तर पर किए गए प्रयास फिलहाल नाकाफी साबित हो रहे हैं.

साइबर सुरक्षा नीति मजबूत बनाने की आवश्यकता

मोबाइल फोन और दूरसंचार के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए साइबर सुरक्षा नीति और दूरसंचार नीति को और मजबूत बनाने की जरूरत है. साइबर एक्सपर्ट्स की संख्या को बढ़ाया जाए. साथ ही इन अपराधों के प्रति आम लोगों को भी जागरूक होना भी अहम है. राज्य सरकारों को एक मिलकर इन ठगों के खिलाफ मुहिम छेड़नी पड़ेगी. तभी इन छिपे हुए अपराधियों पर नकेल कस पाएगी.

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