भोपाल। मध्य प्रदेश राज्य की स्थापना के अवसर को संस्कृति विभाग रंग मध्यप्रदेश के रूप में मनाते हुए जनजातीय संग्रहालय में पूरे माह सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों का आयोजन कर रहा है. इसमें सभी विभाग अकादमियों की भागीदारी से कार्यक्रम होंगे. जिसकी शुरुआत आज से कमल सिंह मरावी एवं साथियों द्वारा जनजातीय नृत्य कर्मा और सेला से हुई. दूसरी प्रस्तुति भील और साथियों द्वारा नृत्य भगोरिया प्रस्तुत किया गया.
अच्छी फसल आने की खुशी में नृत्य
कार्यक्रम की शुरुआत मरावी और साथियों द्वारा करमा नृत्य से हुई. गोंड जनजाति नृत्य कर्मा अतिथियों के आगमन पर युवक युवतियों द्वारा मिलकर किए जाने वाला नृत्य है. इसमें गीतों के माध्यम से सवाल-जवाब भी किए जाते हैं, वहीं सैला नृत्य दशहरे से शुरू होकर फागुन मास तक किया जाता है, जो अच्छी फसल आने की खुशी में किया जाता है.
पारंपरिक वेशभूषा संगीत नृत्य
गोंड मध्य प्रदेश मंडला जिले के जंगलों के आसपास रहने वाली जनजाति है और इनके नृत्यों में जीवन और प्रकृति के सुंदर आयाम देखने को मिलते हैं. इन नृत्य को देखते हुए जहां एक और हमें उनकी पारंपरिक वेशभूषा संगीत नृत्य कौशल देखने को मिलता है, तो वहीं दूसरी ओर इन नृत्यों के माध्यम से गोंड आदिवासियों की आस्था एवं कर्मकांड और स्मृतियों के साथ चली आ रही महान विरासत के भी दर्शन होते हैं.
पारंपरिक रंग-बिरंगे वस्त्र और आभूषण
भील जनजाति के नृत्य भगोरिया भील मध्य प्रदेश की झाबुआ अलीराजपुर धार और बड़वानी क्षेत्र में निवास करने वाली प्रमुख जनजाति है. फागुन मास में होली के 7 दिनों पूर्व से आयोजित होने वाले हॉट में पूरे उत्साह और उमंग के साथ भी युवक एवं युवतियों द्वारा पारंपरिक रंग-बिरंगे वस्त्र आभूषण के साथ नृत्य किया जाता है. जिसे भगोरिया नृत्य कहते हैं फसल कटाई के पश्चात वर्ष भर के भरण-पोषण के लिए समुदाय इन हाटो में आता है.