भोपाल। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी की गणना कराने पर विचार कर रही है. दरअसल सरकार को अप्रैल अंत में हाई कोर्ट में 27 फ़ीसदी ओबीसी आरक्षण को लेकर आबादी का वास्तविक आंकड़ा पेश करना है. जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा के मुताबिक अप्रैल तक काउंटिंग कर कोर्ट में आंकड़े पेश कर दिए जाएंगे.
हाई कोर्ट ने 73 फ़ीसदी आरक्षण पर सुनवाई करते हुए सरकार से प्रदेश में ओबीसी की आबादी, ओबीसी का सरकारी नौकरी में प्रतिनिधित्व, प्रदेश में ओबीसी की आर्थिक स्थिति पूछी है. प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने बताया कि ओबीसी की आबादी की गणना की जानी है. जनसंपर्क मंत्री ने कहा कि अप्रैल तक ओबीसी की आबादी की गणना की जाएगी और हाई कोर्ट में सरकार ओबीसी आबादी और ओबीसी की सामाजिक स्टेटस रिपोर्ट को पेश भी कर दिया जाएगा. वर्तमान में राज्य सरकार प्रदेश की कुल जनसंख्या में ओबीसी की आबादी 52 फ़ीसदी होने का दावा करती है.
हाई कोर्ट जबलपुर में आरक्षण की सीमा 73 फ़ीसदी होने के खिलाफ सुनवाई चल रही है. हाई कोर्ट का कहना है कि आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए. ओबीसी आरक्षण को सरकार ने 14 से बढ़ाकर 27 फ़ीसदी किया है तो कमजोर वर्ग के लिए 10 फ़ीसदी आरक्षण का प्रावधान है जबकि अनुसूचित जाति के लिए पूर्व से 16 फ़ीसदी और अनुसूचित जनजाति के लिए 20 फ़ीसदी आरक्षण लागू है.