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खेल विभाग में हुआ 50 लाख के घोटाले का खुलासा, इस तरह दिया गया अंजाम - forgery

मध्यप्रदेश खेल विभाग में भ्रष्टाचार सामने आया है. विभाग में दो मामलों में गड़बड़ीयों की खुलासा हुआ है. मामलों में खेल मंत्री जीतू पटवारी का कहना है कि सभी मामलों की निष्पक्ष जांच की जाएगी.

जीतू पटवारी, खेल मंत्री
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Published : Apr 30, 2019, 6:14 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश खेल विभाग प्रदेश के खिलाड़ियों को आगे बढ़ने के कई मौके दे रहा है, लेकिन अब यह विभाग भी घोटालों और गड़बड़ियों की जद में आ गया है. खेल विभाग में 2 मामलों में गड़बड़ियों की बात सामने आई है. गड़बड़ियों के मामले में खेल मंत्री जीतू पटवारी का कहना है कि किसी भी तरह की अनियमितताओं की निष्पक्ष जांच की जाएगी.

जीतू पटवारी, खेल मंत्री


जानकारी के अनुसार पहला मामला 3 साल पहले 2015-16 में हुई राष्ट्रीय स्तर की कबड्डी और हैंडबॉल प्रतियोगिता का है, जिसमें 8 सौ खिलाड़ियों ने भाग लिया था. इसमें तकरीबन 50 लाख रुपये के गबन की बात सामने आई है. खेल विभाग के तत्कालीन उप संचालक विनोद प्रधान और तत्कालीन जिला खेल अधिकारी रीना चौहान ने खिलाड़ियों को धर्मशाला में ठहराया था, जबकि बिल होटल के लगाए गए हैं. खास बात तो ये है कि होटल में केवल 14 रूम ही हैं, यहां सवाल ये उठता है कि 14 कमरों में इतने खिलाड़ी रुके कैसे.


दूसरा मामला फर्जी प्रमाणपत्र का है, जिसमें खेल एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ और खेल मंत्री जीतू पटवारी को ज्ञापन देकर जांच की मांग की है. एसोसिएशन का कहना है कि कुछ लोगों को फर्जी प्रमाणपत्र के जरिए खेल विभाग में नौकरी मिली हैं, जिसकी जांच की होनी चाहिए. वहीं जब इस बारे में खेल मंत्री जीतू पटवारी से बात की गई तो उनका कहना है कि खेल विभाग में जितनी भी अनियमितताएं पाई गई हैं, वह चाहे आर्थिक हो या किसी भी तरह की हो, उनकी निष्पक्ष जांच की जाएगी.

भोपाल। मध्य प्रदेश खेल विभाग प्रदेश के खिलाड़ियों को आगे बढ़ने के कई मौके दे रहा है, लेकिन अब यह विभाग भी घोटालों और गड़बड़ियों की जद में आ गया है. खेल विभाग में 2 मामलों में गड़बड़ियों की बात सामने आई है. गड़बड़ियों के मामले में खेल मंत्री जीतू पटवारी का कहना है कि किसी भी तरह की अनियमितताओं की निष्पक्ष जांच की जाएगी.

जीतू पटवारी, खेल मंत्री


जानकारी के अनुसार पहला मामला 3 साल पहले 2015-16 में हुई राष्ट्रीय स्तर की कबड्डी और हैंडबॉल प्रतियोगिता का है, जिसमें 8 सौ खिलाड़ियों ने भाग लिया था. इसमें तकरीबन 50 लाख रुपये के गबन की बात सामने आई है. खेल विभाग के तत्कालीन उप संचालक विनोद प्रधान और तत्कालीन जिला खेल अधिकारी रीना चौहान ने खिलाड़ियों को धर्मशाला में ठहराया था, जबकि बिल होटल के लगाए गए हैं. खास बात तो ये है कि होटल में केवल 14 रूम ही हैं, यहां सवाल ये उठता है कि 14 कमरों में इतने खिलाड़ी रुके कैसे.


दूसरा मामला फर्जी प्रमाणपत्र का है, जिसमें खेल एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ और खेल मंत्री जीतू पटवारी को ज्ञापन देकर जांच की मांग की है. एसोसिएशन का कहना है कि कुछ लोगों को फर्जी प्रमाणपत्र के जरिए खेल विभाग में नौकरी मिली हैं, जिसकी जांच की होनी चाहिए. वहीं जब इस बारे में खेल मंत्री जीतू पटवारी से बात की गई तो उनका कहना है कि खेल विभाग में जितनी भी अनियमितताएं पाई गई हैं, वह चाहे आर्थिक हो या किसी भी तरह की हो, उनकी निष्पक्ष जांच की जाएगी.

Intro:भोपाल- मध्य प्रदेश खेल विभाग प्रदेश के खिलाड़ियों को आगे बढ़ने के कई मौके दे रहा है पर अब यह विभाग भी घोटालों और गड़बड़ियों की चपेट में आ गया है।




Body:यहां न केवल 1 बल्कि 3 गड़बड़ियों की बात सामने आ रही है।
पहला मामला 3 साल पहले 2015-16 में हुई राष्ट्रीय स्तर की कब्बडी और हैंडबॉल प्रतियोगिता का है जिसमें करीब 50 लाख रुपये का गबन हुआ है। मिली जानकारी के मुताबिक खेल विभाग के तत्कालीन उप संचालक विनोद प्राधान और तत्कालीन जिला खेल अधिकारी रीना चौहान ने प्रतियोगिता में भाग लेने आएं खिलाड़ियों को धर्मशाला में ठहराया जबकि बिल होटल के लगाएं गए हैं। इस प्रतियोगिता में करीब 800 खिलाड़ियों ने भाग लिया था,सवाल यह उठ रहा है कि जब होटल में केवल 14 ही रूम है तो इतने खिलाड़ी होटल में कैसे रुके।
वहीं दूसरा मामला फर्जी प्रमाणपत्र का है,जहां कुछ खेल एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ और खेल मंत्री जीतू पटवारी को ज्ञापन देकर जांच की मांग की है। एसोसिएशन का कहना है कि कुछ लोगों को फर्जी प्रमाणपत्र के जरिये खेल विभाग में नॉकरी मिली है जिसकी जांच की जानी चाहिए।



Conclusion:जब इस बारे में खेल मंत्री जीतू पटवारी से बात की गई तो उनका कहना है कि खेल विभाग में जितनी भी अनियमितताएं पाई गई है चाहे वह आर्थिक हो या किसी भी तरह की हो,उनकी निष्पक्ष जांच की जाएगी।
फर्जी बिल के मामले में जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
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