भोपाल/ जबलपुर। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में सरकार ने कर्मचारियों को सौगात देते हुए सातवां वेतनमान (seventh pay scale) तो दे दिया, लेकिन निगम मंडल के कर्मचारी आज भी इसकी मांग को लेकर अग्रसर हैं. कई निगम मंडलों में आज भी ना तो सातवां वेतनमान मिला है और ना ही इसका एरियर. परेशान कर्मचारी विभाग में बैठे अधिकारियों को इसके लिए जिम्मेदार मान रहे हैं. उनका कहना है कि घोषणा के 4 साल बाद भी अभी तक इनको उसका लाभ नहीं मिल पाया है (Corporation employees angry for not getting seventh pay scale).
2017 में लागू हुआ सातवां वेतनमान (seventh pay scale)
2017 में रही बीजेपी की सरकार ने प्रदेश के कर्मचारियों को चुनाव से पहले तोहफा देते हुए सातवां वेतनमान (seventh pay scale) लागू करने की बात कही थी और जनवरी 2016 से इसे देते हुए 1 जुलाई 2017 से इसे लागू भी कर दिया था. लेकिन बावजूद इसके सातवां वेतनमान का लाभ सरकार के कई कर्मचारियों को आज भी नहीं मिल पा रहा है. निगम मंडलों में स्थिति और भी बदतर है.
निगम मंडल कर्मचारियों को नहीं मिल रहा लाभ
प्रदेश के 29 निगम मंडल और एकादमियों में से 50 फ़ीसदी निगम मंडलों में अभी भी सातवां वेतनमान लागू नहीं हुआ है. ऐसे में यह कर्मचारी सरकार से लगातार इसकी मांग कर रहे हैं. मध्य प्रदेश निगम मंडल कर्मचारी अधिकारी महासंघ के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव नीलू कहते हैं कि मध्यप्रदेश में स्थापित निगम मंडलों में 85,000 से अधिक कर्मचारी हैं. ऐसे में इनमें से आधे से ज्यादा कर्मचारी आज भी सातवें वेतनमान का लाभ नहीं मिलने से परेशान हैं. वहीं जिनको इसका लाभ मिला है उन्हें अभी भी एरियर की राशि नहीं मिल पाई है. नीलू श्रीवास्तव का कहना है कि इसको लेकर सरकार पर अतिरिक्त कोई बोझ नहीं आएगा, क्योंकि पहले ही इसे बजट में शामिल किया जा चुका है. ऐसे में सरकार को अन्य निगम मंडलों में भी इसे लागू करना चाहिए.
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परेशान हैं राज्य परिवहन के कर्मचारी
प्रदेश के राज्य परिवहन निगम की स्थिति और भी बदतर है. सरकार ने इसे वैसे ही बंद करके रखा है, लेकिन फिर भी इसमें 242 कर्मचारी काम कर रहे हैं. जिनमें से 190 आउटसोर्सिंग पर हैं. इस मंडल के अध्यक्ष श्याम सुंदर शर्मा कहते हैं कि अधिकारी दोहरी नीति अपनाए हुए हैं. और इस राज्य परिवहन निगम के अलावा कई निगम मंडल ऐसे हैं, जहां पर सातवां (seventh pay scale) तो छोड़िए पांचवा-छठा वेतनमान भी अभी तक नहीं दिया गया है.
वित्त विभाग में फाइल पेंडिंग
निगम मंडल के कर्मचारियों की फाइलें तीन साल से वित्त विभाग में पेंडिंग है. सेमी गवर्नमेंट एम्प्लाइज फेडरेशन के अध्यक्ष अनिल बाजपेयी ने बताया कि एमपी एग्रो 20 करोड़ के लाभ में है. निगम द्वारा तीन साल में नौ बार फाइल भेज जा चुकी है, तब भी स्वीकृति नहीं दी जा रही है.
इन मंडलों में मिल रहा सातवां वेतनमान
एमपीईबी, हाउसिंग बोर्ड, वन विकास निगम, आपूर्ति निगम ,वेयरहाउस कॉरपोरेशन, खनिज विकास निगम, एमपी एग्रो.
ये निगम मंडल सातवें वेतनमान से वंचित
राज्य परिवहन निगम, तिलहन संघ, स्काउट गाइड, महिला वित्त निगम,अन्न व्यवसाई निगम, औद्योगिक विकास निगम.
आंदोलन की है तैयारी
इधर जबलपुर में सातवें वेतनमान को लेकर जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्विद्यालय (Jawaharlal Nehru Agricultural University), नानाजी देशमुख और विजयराजे सिंधिया विश्विद्यालय में पदस्थ वैज्ञानिक (Scientist) आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. आगामी 18 नवंबर तक तीनों विश्विद्यालय के वैज्ञनिक काली पट्टी बांधकर अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे. इसके बाद 19 नवंबर से 10 दिन तक रोजाना 5 वैज्ञानिक और प्राध्यापक 10 दिन तक क्रमिक रूप से भूख हड़ताल करेंगे. फिर भी सरकार ने मांग नहीं मानी तो इसके बाद आमरण अनशन की तैयारी है.
हमारे साथ भेदभाव क्यों?
केंद्रीय वैज्ञानिक संघ की मानें तो अभी तक सभी प्रोफेसरों को सातवें वेतनमान का लाभ मिल चुका है, पर वैज्ञनिकों के साथ सरकार भेदभाव कर रही है. जबकि प्रदेश को लगातार सात सालों से कृषि कर्मण पुरस्कार दिलवा रहे हैं. वैज्ञानिकों के इस आंदोलन से अनुसंधान का काम प्रभावित होगा, साथ ही शिक्षा और विस्तार भी बंद हो जाएगा. बता दें कि मध्यप्रदेश में 10 कृषि महाविद्यालय, 21 विज्ञान केंद्र,12 अनुसंधान केंद्र(रिसर्च स्टेशन) है, जिसमें करीब 1500 वैज्ञानिक-प्राध्यापक पदस्थ हैं.