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कोरोना संक्रमण के साए में कैदी, जानिए कैसे हो रहा बचाव

कोरोना का कहर प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों पर भी टूट रहा है. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान करीब 8000 नए कैदी जेल में पहुंचे हैं. इसकी वजह से जेलों में कैदियों के बीच कोरोना गाइडलाइन का पालन करना जेल प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है.

जेलों में संक्रमण से बचाव
जेलों में संक्रमण से बचाव
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Published : May 24, 2021, 6:27 AM IST

भोपाल। प्रदेश की जेलों में 300 कैदियों के संक्रमित होने के बाद मानव अधिकार आयोग ने जेल प्रशासन से जवाब तलब किया है. उधर, जेल में संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा 4500 कैदियों को 60 दिन की पैरोल पर छोड़ा गया है. हालांकि, कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान करीब 8000 नए कैदी जेल में पहुंचे हैं. इसकी वजह से जेलों में कैदियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना जेल प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है.

कोरोना के साए में कैदी

जेलों में संक्रमण रोकने की कोशिश में जुटा विभाग
जेलों में 300 कैदी संक्रमित होने के बाद जेल प्रशासन संक्रमण रोकने की कोशिश में जुटा है. हालांकि, इसके बाद भी जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी मौजूद हैं. जितने कैदियों को पैरोल मिली उससे ज्यादा संख्या में और नए कैदी जेल में पहुंच चुके हैं. बताया जाता है कि प्रदेश की 131 जेलों में करीब 50,000 कैदी सजा काट रहे हैं, जबकि जेलों में कैदियों की क्षमता करीब 28000 की है. यहां कोरोना से बचाव के लिए जेल प्रशासन द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं.


नए बंदियों को रखा जाता अलग आइसोलेशन में
दरअसल, भोपाल, इंदौर और उज्जैन में अस्थाई जेल बनाकर आइसोलेशन करने की व्यवस्था की गई है. यहां नए बंदियों को पहले अस्थाई जेल में बने आइसोलेशन वार्ड में रखा जाता है. इसके बाग आरटी-पीसीआर टेस्ट कराया जाता है और 15 दिन के आइसोलेशन के बाद मुख्य जेल में शिफ्ट किया जाता है. जेल के अंदर भी लगातार कैदियों की स्क्रीनिंग और उनकी स्वास्थ की निगरानी की जा रही है.

संक्रमण रोकने के लिए तमाम एहतियात
बुखार, सर्दी और खांसी होने पर कैदी को बाकी बंदियों से अलग आइसोलेट कर उनका इलाज किया जा रहा है. टेस्ट कराने और निगेटिव आने के बाद ही उन्हें बाकी बंदियों के साथ रखा जाता है. गृह और जेल मंत्री नरोत्तम मिश्रा के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के पहले ही प्रदेश सरकार द्वारा जेलों में बंदियों के स्वास्थ्य को लेकर तमाम एहतियात बरतें जा रहे हैं. नए बंदियों का आर्टिफिशियल टेस्ट कराने और 15 दिन आइसोलेट करने के बाद ही उन्हें मुख्य जेल में भेजा जा रहा है, ताकि जिलों में संक्रमण ना फैल सके.

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मानव अधिकार आयोग ने किया जवाब तलब
उधर, मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भी 300 कैदियों के संक्रमित होने के बाद प्रदेश के जेल महानिदेशक से जवाब तलब किया है. आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जैन ने मानव अधिकार हनन से जुड़े मामलों में संज्ञान लेकर डीजी जेल से प्रतिवेदन मांगा है. आयोग ने जेल महानिदेशक से यह भी पूछा है कि कितने बंदियों को पहला और दूसरा टीका लग चुका है, यदि नहीं लगा है तो क्यों कारण बताएं ? यह भी बताएं कि कोरोना से निपटने के लिए सभी जिलों में क्या व्यवस्थाएं की गई है.

भोपाल। प्रदेश की जेलों में 300 कैदियों के संक्रमित होने के बाद मानव अधिकार आयोग ने जेल प्रशासन से जवाब तलब किया है. उधर, जेल में संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा 4500 कैदियों को 60 दिन की पैरोल पर छोड़ा गया है. हालांकि, कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान करीब 8000 नए कैदी जेल में पहुंचे हैं. इसकी वजह से जेलों में कैदियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना जेल प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है.

कोरोना के साए में कैदी

जेलों में संक्रमण रोकने की कोशिश में जुटा विभाग
जेलों में 300 कैदी संक्रमित होने के बाद जेल प्रशासन संक्रमण रोकने की कोशिश में जुटा है. हालांकि, इसके बाद भी जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी मौजूद हैं. जितने कैदियों को पैरोल मिली उससे ज्यादा संख्या में और नए कैदी जेल में पहुंच चुके हैं. बताया जाता है कि प्रदेश की 131 जेलों में करीब 50,000 कैदी सजा काट रहे हैं, जबकि जेलों में कैदियों की क्षमता करीब 28000 की है. यहां कोरोना से बचाव के लिए जेल प्रशासन द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं.


नए बंदियों को रखा जाता अलग आइसोलेशन में
दरअसल, भोपाल, इंदौर और उज्जैन में अस्थाई जेल बनाकर आइसोलेशन करने की व्यवस्था की गई है. यहां नए बंदियों को पहले अस्थाई जेल में बने आइसोलेशन वार्ड में रखा जाता है. इसके बाग आरटी-पीसीआर टेस्ट कराया जाता है और 15 दिन के आइसोलेशन के बाद मुख्य जेल में शिफ्ट किया जाता है. जेल के अंदर भी लगातार कैदियों की स्क्रीनिंग और उनकी स्वास्थ की निगरानी की जा रही है.

संक्रमण रोकने के लिए तमाम एहतियात
बुखार, सर्दी और खांसी होने पर कैदी को बाकी बंदियों से अलग आइसोलेट कर उनका इलाज किया जा रहा है. टेस्ट कराने और निगेटिव आने के बाद ही उन्हें बाकी बंदियों के साथ रखा जाता है. गृह और जेल मंत्री नरोत्तम मिश्रा के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के पहले ही प्रदेश सरकार द्वारा जेलों में बंदियों के स्वास्थ्य को लेकर तमाम एहतियात बरतें जा रहे हैं. नए बंदियों का आर्टिफिशियल टेस्ट कराने और 15 दिन आइसोलेट करने के बाद ही उन्हें मुख्य जेल में भेजा जा रहा है, ताकि जिलों में संक्रमण ना फैल सके.

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मानव अधिकार आयोग ने किया जवाब तलब
उधर, मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भी 300 कैदियों के संक्रमित होने के बाद प्रदेश के जेल महानिदेशक से जवाब तलब किया है. आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जैन ने मानव अधिकार हनन से जुड़े मामलों में संज्ञान लेकर डीजी जेल से प्रतिवेदन मांगा है. आयोग ने जेल महानिदेशक से यह भी पूछा है कि कितने बंदियों को पहला और दूसरा टीका लग चुका है, यदि नहीं लगा है तो क्यों कारण बताएं ? यह भी बताएं कि कोरोना से निपटने के लिए सभी जिलों में क्या व्यवस्थाएं की गई है.

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