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Coronavirus After Effect: कोरोना ने डाला फेफड़ों पर असर, बढ़े टीबी के मरीज

कोरोना वायरस ने जहां देश और दुनिया में तहलका मचा कर रखा था. वहीं इसके आफ्टर इफेक्ट भी सामने आ रहे हैं. कई लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है. फेफड़ों पर असर होने के चलते लोग टीबी का शिकार हो रहे हैं. आइए जानते हैं क्या कहते हैं टीबी असपताल के विशेषज्ञ डॉक्टर पराग शर्मा...

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कोरोना वायरस
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Published : Feb 23, 2023, 1:52 PM IST

Updated : Feb 23, 2023, 2:05 PM IST

क्या कहते हैं डॉक्टर पराग शर्मा

भोपाल। चीन से निकला करोना वायरस दुनिया भर में दहशत फैला चुका है और महामारी का रूप भी कई जगह ले चुका है. इससे भारत भी अछूता नहीं रहा और भारत में भी कोविड की लहर का असर देखा गया, लेकिन इसके कई साइड इफेक्ट भी अब सामने आ रहे हैं. कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा असर सांस रोग और फेफड़ों से जुड़े रोग के मरीजों पर देखा जा रहा है. पहली और दूसरी लहर में करोना महामारी से ग्रसित हुए लोगों में अधिकतर सांस रोग से संबंधित मरीजों की संख्या बढ़ गई है.

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कोरोना का फेफड़ों पर पड़ा ज्यादा असर: टीबी अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टर पराग शर्मा बताते हैं कि कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर ही पड़ा है. जिस वजह से इसके मरीजों की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिला है. पहले जहां सामान्य तौर पर अस्पताल में रोज 8 से 10 मरीज सांस रोग के आते थे. वहीं इनकी संख्या कोविड से दोगनी और तिगुनी हो गई है. पराग बताते हैं कि कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर ही पड़ा है. इसलिए पहले जहां टीबी के अलग मरीज होते थे, जो इस बीमारी से जूझ रहे होते थे, लेकिन अब जिनको कोविड हो चुका है वो भी टीबी रोग से परेशान हैं. पराग इसका कारण बताते हैं कि जिस तरह से कोरोना वायरस ने लोगों के शरीर पर अपना असर दिखाया. उसमें वायरस फेफड़ों में ही जाकर बैठा था. जिस वजह से फेफड़े सिकुड़ गए और कई जगह से डैमेज भी हो गए थे. इस कारण टीबी की बीमारी को फेफड़ों में जगह करने का आसान तरीका मिल गया और इसके मरीज भी बढ़ गए.

कोरोना के बाद सांस लेने में तकलीफ: भोपाल में रहने वाले अशफाक खान 50 साल के हैं. वह किसी भी बीमारी से ग्रसित नहीं थे, लेकिन उन्हें कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना वायरस ने अपनी चपेट में ले लिया. इस दौरान ये अस्पताल में भी भर्ती रहे और बमुश्किल संघर्ष करते हुए अपने जीवन को बचा पाए. इसके बाद से वह सामान्य रूप से अपनी दुकान का संचालन कर रहे थे, लेकिन उन्हें बार-बार सांस लेने में तकलीफ और खांसी की शिकायत हो रही थी. ऐसे में कुछ दिन पहले ही उन्होंने जब टीबी अस्पताल में डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि उन्हें टीबी की बीमारी हो गई है. जिसका असर कोविड के बाद से हुआ है.

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कोविड पोस्ट इफेक्ट का असर, हो रही टीबी: ऐसे कई केस टीबी अस्पताल में सामने आ रहे हैं. जिसमें कोरोना के बाद से टीबी जैसी गंभीर बीमारी से लोग ग्रसित हो रहे हैं. इनका कहना है कि यह पहले स्वस्थ थे, लेकिन जब से इन्हें कोरोना वायरस हुआ है. उसके बाद से ठीक होने के बाद भी यह सांस की बीमारी से परेशान रहें. जब चेक कराया तो इन्हें टीबी की गंभीर बीमारी निकलकर आई. वहीं डॉक्टर कहते हैं कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है. यह कोविड के पोस्ट इफेक्ट है और इसका इलाज भी संभव है. जिसके लिए लगातार दवाइयों का सेवन करना पड़ेगा, लेकिन कह सकते हैं कि महामारी का रूप ले चुका कोरोना वायरस अपनी लहरों के बाद भी लोगों के जीवन पर असर डाल रहा है.

क्या कहते हैं डॉक्टर पराग शर्मा

भोपाल। चीन से निकला करोना वायरस दुनिया भर में दहशत फैला चुका है और महामारी का रूप भी कई जगह ले चुका है. इससे भारत भी अछूता नहीं रहा और भारत में भी कोविड की लहर का असर देखा गया, लेकिन इसके कई साइड इफेक्ट भी अब सामने आ रहे हैं. कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा असर सांस रोग और फेफड़ों से जुड़े रोग के मरीजों पर देखा जा रहा है. पहली और दूसरी लहर में करोना महामारी से ग्रसित हुए लोगों में अधिकतर सांस रोग से संबंधित मरीजों की संख्या बढ़ गई है.

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कोरोना का फेफड़ों पर पड़ा ज्यादा असर: टीबी अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टर पराग शर्मा बताते हैं कि कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर ही पड़ा है. जिस वजह से इसके मरीजों की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिला है. पहले जहां सामान्य तौर पर अस्पताल में रोज 8 से 10 मरीज सांस रोग के आते थे. वहीं इनकी संख्या कोविड से दोगनी और तिगुनी हो गई है. पराग बताते हैं कि कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर ही पड़ा है. इसलिए पहले जहां टीबी के अलग मरीज होते थे, जो इस बीमारी से जूझ रहे होते थे, लेकिन अब जिनको कोविड हो चुका है वो भी टीबी रोग से परेशान हैं. पराग इसका कारण बताते हैं कि जिस तरह से कोरोना वायरस ने लोगों के शरीर पर अपना असर दिखाया. उसमें वायरस फेफड़ों में ही जाकर बैठा था. जिस वजह से फेफड़े सिकुड़ गए और कई जगह से डैमेज भी हो गए थे. इस कारण टीबी की बीमारी को फेफड़ों में जगह करने का आसान तरीका मिल गया और इसके मरीज भी बढ़ गए.

कोरोना के बाद सांस लेने में तकलीफ: भोपाल में रहने वाले अशफाक खान 50 साल के हैं. वह किसी भी बीमारी से ग्रसित नहीं थे, लेकिन उन्हें कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना वायरस ने अपनी चपेट में ले लिया. इस दौरान ये अस्पताल में भी भर्ती रहे और बमुश्किल संघर्ष करते हुए अपने जीवन को बचा पाए. इसके बाद से वह सामान्य रूप से अपनी दुकान का संचालन कर रहे थे, लेकिन उन्हें बार-बार सांस लेने में तकलीफ और खांसी की शिकायत हो रही थी. ऐसे में कुछ दिन पहले ही उन्होंने जब टीबी अस्पताल में डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि उन्हें टीबी की बीमारी हो गई है. जिसका असर कोविड के बाद से हुआ है.

सिंगरौली कलेक्टर ने दिया सख्त आदेश, कहा- कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लगवाए तो होगी FIR

कोविड पोस्ट इफेक्ट का असर, हो रही टीबी: ऐसे कई केस टीबी अस्पताल में सामने आ रहे हैं. जिसमें कोरोना के बाद से टीबी जैसी गंभीर बीमारी से लोग ग्रसित हो रहे हैं. इनका कहना है कि यह पहले स्वस्थ थे, लेकिन जब से इन्हें कोरोना वायरस हुआ है. उसके बाद से ठीक होने के बाद भी यह सांस की बीमारी से परेशान रहें. जब चेक कराया तो इन्हें टीबी की गंभीर बीमारी निकलकर आई. वहीं डॉक्टर कहते हैं कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है. यह कोविड के पोस्ट इफेक्ट है और इसका इलाज भी संभव है. जिसके लिए लगातार दवाइयों का सेवन करना पड़ेगा, लेकिन कह सकते हैं कि महामारी का रूप ले चुका कोरोना वायरस अपनी लहरों के बाद भी लोगों के जीवन पर असर डाल रहा है.

Last Updated : Feb 23, 2023, 2:05 PM IST
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