भोपाल। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य स्तरीय तकनीक सलाहकार समिति के सुझाव के आधार पर स्वास्थ्य आयुक्त डॉ संजय गोयल के द्वारा कुछ नए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. इन दिशा निर्देशों के अनुसार अब बच्चों में कोविड-19 की पहचान करने के लिए चॉकलेट का भी सहारा लिया जाएगा. क्योंकि कोरोना के लक्षण में स्वाद एवं सुनने की क्षमता कम होना पाया गया है इसके अलावा संक्रमित के संपर्क में आए लोगों के सैंपल 5 से 10 दिन के भीतर लिए जाएंगे. अस्पताल में भर्ती मरीजों के लीवर किडनी समेत अन्य जांच नियमित तौर पर कराई जाएंगी, ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों को वायरस रोधी दवाएं दी जाएंगी. स्वास्थ्य आयुक्त के द्वारा यह दिशानिर्देश सोमवार रात में जारी किए गए हैं.
जारी दिशा निर्देशों के अनुसार बच्चों में कोरोना वायरस की जांच करने के लिए अस्पतालों में चॉकलेट सुंघाई और खिलाई जाएगी, स्वादिष्ट (फ्लेवर युक्त) दूध पिलाया जाएगा, नारियल का तेल सुंघाया जाएगा, बच्चे सही स्वाद एवं गंद पहचान नहीं पाए तो वो कोरोना संदिग्ध माने जाएंगे और ऐसे में उनकी कोरोना की जांच की जाएगी. भारत सरकार की ओर से 13 जून को जारी दिशा निर्देश के अनुसार बताया गया है कि, कोरोना संक्रमण में सूंघने और स्वाद की क्षमता कम हो जाती है. बच्चे इसकी पहचान आसानी से नहीं कर सकते हैं, इसलिए अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ बच्चों की सूंघने एवं स्वाद क्षमता का परीक्षण इन चीजों के माध्यम से करेंगे.
इसके अलावा ये भी तय किया गया है कि, हॉट स्पॉट या कंटेनमेंट क्षेत्र में 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोग खासकर जिन्हें पुरानी बीमारियां हैं, उनकी भी विशेष तौर पर जांच कराई जाएगी. बुजुर्ग बच्चे पुरानी बीमारियों से पीड़ित एवं अन्य ऐसे लोग जिनकी बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम है, उनकी रैपिड एंटीजन किट से कोरोना की जांच कराई जाएगी. करीब 20 मिनट में जांच रिपोर्ट भी मिल जाएगी. किसी मरीज की अचानक सर्जरी के पहले भी रैपिड एंटीजन किट से कोरोना कि जांच की जाएगी. जांच रिपोर्ट नेगेटिव या पॉजिटिव दोनों होने पर लैब से आरटी पीसीआर किट से जांच की जाएगी, हफ्ते भर में ये सुविधा शुरू हो जाएगी.