भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण ने अब ग्रामीण क्षेत्रों को भी अपनी चपेट में ले लिया है. ग्रामीण इलाकों में अब कोरोना मरीजों की संख्या में लगातार बढोत्तरी हो रही है. जानकारी के मुताबिक भोपाल के ग्रामीण इलाकों में अब तक कोरोना संक्रमितों की संख्या हजारों के पार पहुंच गई है. ग्रामीण इसका कारण कुंभ मेले को बता रहे है. ग्रामीणों का कहना है कि बैरसिया तहसील के गांवों से 15 बसों से करीब 600 लोग हरिद्वार कुंभ गए थे. ये लोग 15 अप्रैल को कुंभ से लौटकर आए तो ज्यादातर लोग खांसी और जुखाम से पीड़ित थे, जिसके बाद लगातार गांव में भी कोरोना संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है. इस बीच सबसे बड़ी समस्या ये है कि ग्रामीण कोरोना के लक्षण होने के बाद भी इस बात को छूपा रहे है. ऐसी स्थिति में ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना की वास्तविक स्थिति का पता किसी को नहीं है. फिर भी सरकारी आंकड़ों की माने तो ग्रामीण क्षेत्रों से कोरोना जांच कराने आए लोगों में से अब तक 918 ग्रामीण संक्रमण की चपेट में आ गए हैं.
- ग्रमीण इलाकों में नहीं है सरकारी व्यवस्था पर भरोसा
राजधानी भोपाल के बैरसिया तहसील के गांवों के 331 ग्रामीण कोरोना संक्रमित पाए गए हैं, इनमें 195 महिलाएं और 136 पुरुष शामिल हैं. वहीं फंदा ब्लाक में 587 संक्रमित ग्रामीणों में 237 महिलाएं और 350 पुरुष शामिल हैं. ईटीवी भारत की टीम ने जब भोपाल के ग्रामीण इलाकों को दौरा किया तो पाया कि गांव के लोग कोरोना की जांच और वैक्सीनेशन कराने से डर रहे हैं. अस्पतालों के हाल और लोगों की मौतों के डर से ग्रामीण कोरोना जांच कराने से बच रहे हैं. वैक्सीनेशन के लिए भी वे पास के अस्पताल में भी नहीं जाना चाहते हैं. इस डर के कारण वास्तविक कोरोना का आंकड़ा सामने नहीं आ रहा है. लोगों में कोरोना के डर के साथ सरकारी व्यवस्थाओं से भरोसा भी उठते जा रहा है.
बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का दंश झेल रहा स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी का पैतृक गांव
- कुंभ से लौटे लोगों के कारण गांव में फैला कोरोना
भोपाल के गांवों में कोरोना फैलने का कारण हरिद्वार में आयोजित कुंभ भी है. बैरसिया तहसील के गांवों से 15 बसों से करीब 600 लोग हरिद्वार कुंभ गए थे. ये लोग 15 अप्रैल तक लौटकर आए तो ज्यादातर बुखार और खांसी से पीड़ित थे. कुछ बीमार लोग झोलाछाप डाक्टरों से इलाज करवाते रहे. ग्रामीण क्षेत्र के कई लोगों ने कुंभ से लौटने की जानकारी छिपाए रखी. जानकारी के मुताबिक बैरसिया तहसील के दिल्लौद, गिनोती, रोझिया, कलारा और बरखेड़ा गांव को मिलाकर अब तक 7 लोगों की मौत कोरोना काल में हो चुकी है.
- कोरोना के डर से अस्पताल नहीं जाते मरीज
ग्रामीण इलाकों के स्वास्थ्य केद्रों में काम करने वाली आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि गांव के लोग स्वास्थ्य केंद्र नहीं आना चाहते हैं. उनके मन में कोरोना का डर इतना हो गया है कि समझाने के बाद भी वे अस्पताल नहीं आते हैं. सरकार कोरोना से लड़ने के लिए किल कोरोना अभियान सहित कई अभियान चला रही है, लेकिन फिर भी ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों पर आना ही नहीं चाहते.
गांव की कोरोना रिपोर्टः ग्रामीणों को नहीं है सरकारी व्यवस्थाओं पर भरोसा
- प्रशासन का ग्रामीण इलाकों पर फोकस
भोपाल के ग्रामीण इलाकों में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के चलते कलेक्टर अविनाश लवानिया ने बैरसिया का दौरा किया. कलेक्टर ने बताया कि ग्रामीणों को जागरुक करने के लिए किल कोरोना अभियान चलाया जा रहा है. हमारा फोकस है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण न बढ़े इसके लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के दल बनाए गए हैं. प्राथमिक दल हर घर में जाकर कोरोना मरीजों के बारे में पूछता है और दूसरा दल बुखार की जांच, दवाई का कोर्स और आईसोलेशन के बारे में जानकारी देता है.
- कोरोना ग्रामीण इलाकों में भी बरपा रहा कहर
कोरोना काल में महानगरों से मजदूरों का पलायन शहरों से गांवों की तरफ हो रहा था, लेकिन अब कोरोना का भी पलायन अब शहर से गांवों की तरफ हो गया है. इससे निपटने के लिए सरकार और प्रशासन ने तो अपनी तैयारी की है, लेकिन ग्रामीणों के सहयोग के बिना इससे पार पाना मुश्किल नजर आता है. क्योंकि गांवों के लोगों के मन में बसा कोरोना का डर उन्हें घर से निकलने नहीं दे रहा है. इन हालातों में इलाज की सारी व्यवस्थाएं बेकाम साबित हो सकती हैं.