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क्या दोबारा हो सकता है कोरोना संक्रमण? अगर संदेह है तो पढ़िए पूरी खूबर

प्रदेश में 8 कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने के बाद फिर से संक्रमित होने के मामले सामने आया है. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि दोबारा कोरोना संक्रमण होने की संभावना नहीं रहती है. दुनियाभर से ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जहां लोग दूसरी बार कोरोना महामारी का शिकार हुए हैं.

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कोरोना जांच
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Published : Oct 19, 2020, 5:06 PM IST

Updated : Oct 21, 2020, 5:11 PM IST

भोपाल। पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से लड़ रही है. ऐसे में अब एक और हैरान कर देने वाली बात सामने आ रही है कि कोरोना को मात देने वाले लोग फिर से संक्रमित पाए जा रहे हैं. जबकि वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि वायरस किसी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करने के बाद अगर व्यक्ति स्वस्थ हो जाए तो उसका शरीर वायरस से दोबारा लड़ने में सक्षम हो जाता है. लेकिन कोरोना संक्रमण एक नए तरह का वायरस है. जो व्यक्ति के ठीक होने के बाद किस तरह का असर करता है यह कहना अब भी बहुत मुश्किल हो रहा है. प्रदेश में अब तक 7 से 8 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां व्यक्ति को कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद दोबारा री-इंफेक्शन हुआ है.

क्या दोबारा हो सकता है कोरोना संक्रमण?

राजधानी भोपाल में अब तक री-इंफेक्शन के 4 मामले सामने आ चुके हैं. यह सब गांधी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स हैं जो लगातार कोविड 19 संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आ रहे हैं. गांधी मेडिकल कॉलेज में पहले साल आरएमओ पहली बार 18 जुलाई को कोविड-19 संक्रमित हुई थीं, दूसरी बार उन्हें संक्रमण 15 सितंबर को हुआ. इसी तरह जूनियर डॉक्टर पहली बार जुलाई के आखिरी सप्ताह में कोरोना संक्रमित हुई थीं. और अगस्त के पहले सप्ताह में ठीक हो गई थीं, जिसके बाद दोबारा 27 अगस्त को संक्रमित हुई. गांधी मेडिकल कॉलेज के एमएच कंसलटेंट अक्टूबर में दोबारा संक्रमित पाए गए. एक अन्य जूनियर डॉक्टर भी 5 सितंबर को कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए थे, ठीक होने के बाद 10 अक्टूबर को फिर रिपोर्ट पॉजीटिव आई थी.

ठीक होने के बाद दोबारा हो सकता है कोरोना?

विशेषज्ञ डॉक्टर डॉ. पराग शर्मा का कहना है कि डॉक्टरों में हमेशा ही री-इंफेक्शन की संभावनाएं ज्यादा रहती है. क्योंकि डॉक्टर लगातार ड्यूटी के दौरान मरीज के संपर्क में रहते हैं. इसके साथ ही री-इंफेक्शन वायरल लोड पर निर्भर करता है, जितना ज्यादा वायरल लोड होगा उतना ज्यादा री-इंफेक्शन की संभावनाएं रहेंगी. कोविड 19 में यह देखा गया है कि कुछ लोगों में एन्टी बॉडी बहुत कम समय के लिए बनी है, और कुछ लोगों में बनी ही नहीं है. यह अभी शोध का विषय है कि ऐसा क्यों हो रहा है.

री-इंफेक्शन से कैसे बचें?

डॉ.पराग शर्मा का कहना है कि कोरोना वायरस से ठीक हुए व्यक्ति को भी वही सावधानियां रखनी चाहिए जो एक सामान्य व्यक्ति रख रहा है. मास्क का उपयोग, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और हाथ को सैनिटाइज करना जरूरी है. हालांकि अगले दो-तीन महीनों में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि हार्ड इम्युनिटी डेवलप हो जाएगी, उसके बाद कोरोना वायरस से लड़ना थोड़ा आसान हो जाएगा.

भोपाल। पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से लड़ रही है. ऐसे में अब एक और हैरान कर देने वाली बात सामने आ रही है कि कोरोना को मात देने वाले लोग फिर से संक्रमित पाए जा रहे हैं. जबकि वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि वायरस किसी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करने के बाद अगर व्यक्ति स्वस्थ हो जाए तो उसका शरीर वायरस से दोबारा लड़ने में सक्षम हो जाता है. लेकिन कोरोना संक्रमण एक नए तरह का वायरस है. जो व्यक्ति के ठीक होने के बाद किस तरह का असर करता है यह कहना अब भी बहुत मुश्किल हो रहा है. प्रदेश में अब तक 7 से 8 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां व्यक्ति को कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद दोबारा री-इंफेक्शन हुआ है.

क्या दोबारा हो सकता है कोरोना संक्रमण?

राजधानी भोपाल में अब तक री-इंफेक्शन के 4 मामले सामने आ चुके हैं. यह सब गांधी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स हैं जो लगातार कोविड 19 संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आ रहे हैं. गांधी मेडिकल कॉलेज में पहले साल आरएमओ पहली बार 18 जुलाई को कोविड-19 संक्रमित हुई थीं, दूसरी बार उन्हें संक्रमण 15 सितंबर को हुआ. इसी तरह जूनियर डॉक्टर पहली बार जुलाई के आखिरी सप्ताह में कोरोना संक्रमित हुई थीं. और अगस्त के पहले सप्ताह में ठीक हो गई थीं, जिसके बाद दोबारा 27 अगस्त को संक्रमित हुई. गांधी मेडिकल कॉलेज के एमएच कंसलटेंट अक्टूबर में दोबारा संक्रमित पाए गए. एक अन्य जूनियर डॉक्टर भी 5 सितंबर को कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए थे, ठीक होने के बाद 10 अक्टूबर को फिर रिपोर्ट पॉजीटिव आई थी.

ठीक होने के बाद दोबारा हो सकता है कोरोना?

विशेषज्ञ डॉक्टर डॉ. पराग शर्मा का कहना है कि डॉक्टरों में हमेशा ही री-इंफेक्शन की संभावनाएं ज्यादा रहती है. क्योंकि डॉक्टर लगातार ड्यूटी के दौरान मरीज के संपर्क में रहते हैं. इसके साथ ही री-इंफेक्शन वायरल लोड पर निर्भर करता है, जितना ज्यादा वायरल लोड होगा उतना ज्यादा री-इंफेक्शन की संभावनाएं रहेंगी. कोविड 19 में यह देखा गया है कि कुछ लोगों में एन्टी बॉडी बहुत कम समय के लिए बनी है, और कुछ लोगों में बनी ही नहीं है. यह अभी शोध का विषय है कि ऐसा क्यों हो रहा है.

री-इंफेक्शन से कैसे बचें?

डॉ.पराग शर्मा का कहना है कि कोरोना वायरस से ठीक हुए व्यक्ति को भी वही सावधानियां रखनी चाहिए जो एक सामान्य व्यक्ति रख रहा है. मास्क का उपयोग, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और हाथ को सैनिटाइज करना जरूरी है. हालांकि अगले दो-तीन महीनों में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि हार्ड इम्युनिटी डेवलप हो जाएगी, उसके बाद कोरोना वायरस से लड़ना थोड़ा आसान हो जाएगा.

Last Updated : Oct 21, 2020, 5:11 PM IST
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