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कोरोना संक्रमित महिला की मौत, परिजन ने अस्पताल पर लगाया लापरवाही का आरोप

भोपाल के जेपी अस्पताल में कोरोना संक्रमित महिला की मौत का मामला सामने आया है. महिला के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है.

bhopal
जेपी अस्पताल
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Published : Sep 25, 2020, 11:27 AM IST

भोपाल। कोरोना संकट काल के दौरान भी शहर के शासकीय अस्पताल लगातार विवादों में बने हुए हैं. यहां इलाज कराने आ रहे लोग लगातार अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही करने के आरोप लगा रहे हैं. ताजा मामला देर रात का है, जब शहर के जेपी अस्पताल में एक संक्रमित महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई. महिला की मौत के बाद परिजनों का गुस्सा भी अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों पर फूट पड़ा. इस दौरान काफी देर तक हंगामा हुआ और परिजनों ने अस्पताल में तोड़फोड़ भी कर दी.

कोरोना संक्रमित महिला की इलाज के दौरान मौत

अस्पताल में हो रहे हंगामे के बाद तत्काल ही पुलिस को इस मामले की सूचना दी गई, हबीबगंज थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर परिजनों के गुस्से को शांत कराया, परिजनों का आरोप था कि अस्पताल में लगातार लापरवाही पूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है, जिसकी वजह से यहां एडमिट और भी कई लोगों की जान से खिलवाड़ हो सकता है. इसलिए दोषी लोगों पर तत्काल कार्रवाई करते हुए उन्हें अस्पताल से हटाया जाए.

कोरोना संक्रमित महिला की बेटी का आरोप है कि मां की तबीयत ज्यादा खराब होने के बाद उनका कोरोना टेस्ट करवाया गया था, उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें अस्पताल में उपचार के लिए एडमिट करने के लिए लगातार भटकते रहे, इस दौरान हमने शहर के बंसल अस्पताल में मां को एडमिट किया, लेकिन मात्र 8 घंटे इलाज के दौरान ही अस्पताल ने 50 हजार रुपए का बिल थमा दिया. उनके पास इतना पैसा नहीं था कि निजी अस्पताल का बिल दे सकें, मां को दूसरे अस्पताल ले जाने का निर्णय किया, इसके बाद उन्हें लेकर दूसरे अस्पताल गए, लेकिन किसी ने भी उन्हें एडमिट नहीं किया. यहां तक की शासकीय अस्पतालों के भी लगातार चक्कर लगाए सभी का यही कहना था कि अस्पताल में जगह नहीं है.

मां का इलाज कराना भी जरूरी था, ऐसी स्थिति में उन्हें बमुश्किल पीपुल्स अस्पताल में एडमिट किया गया, लेकिन अस्पताल के द्वारा पहले ही एडवांस में राशि ले ली गई, बाद में भोपाल कलेक्टर से निवेदन करने के बाद 15 सितंबर को जेपी अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया, लेकिन यहां आने के बाद कई घंटे तक बेड के लिए इंतजार करना पड़ा, मां की उम्र 43 वर्ष थी और घर में वही काम करती थीं. हमारे पास रोजगार का भी कोई साधन नहीं है. घर में कमाने वाली केवल हमारी मां ही थी. जिनके भरोसे पर घर चल रहा था, मां भोपाल को ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक में काम करती थी.

भोपाल। कोरोना संकट काल के दौरान भी शहर के शासकीय अस्पताल लगातार विवादों में बने हुए हैं. यहां इलाज कराने आ रहे लोग लगातार अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही करने के आरोप लगा रहे हैं. ताजा मामला देर रात का है, जब शहर के जेपी अस्पताल में एक संक्रमित महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई. महिला की मौत के बाद परिजनों का गुस्सा भी अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों पर फूट पड़ा. इस दौरान काफी देर तक हंगामा हुआ और परिजनों ने अस्पताल में तोड़फोड़ भी कर दी.

कोरोना संक्रमित महिला की इलाज के दौरान मौत

अस्पताल में हो रहे हंगामे के बाद तत्काल ही पुलिस को इस मामले की सूचना दी गई, हबीबगंज थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर परिजनों के गुस्से को शांत कराया, परिजनों का आरोप था कि अस्पताल में लगातार लापरवाही पूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है, जिसकी वजह से यहां एडमिट और भी कई लोगों की जान से खिलवाड़ हो सकता है. इसलिए दोषी लोगों पर तत्काल कार्रवाई करते हुए उन्हें अस्पताल से हटाया जाए.

कोरोना संक्रमित महिला की बेटी का आरोप है कि मां की तबीयत ज्यादा खराब होने के बाद उनका कोरोना टेस्ट करवाया गया था, उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें अस्पताल में उपचार के लिए एडमिट करने के लिए लगातार भटकते रहे, इस दौरान हमने शहर के बंसल अस्पताल में मां को एडमिट किया, लेकिन मात्र 8 घंटे इलाज के दौरान ही अस्पताल ने 50 हजार रुपए का बिल थमा दिया. उनके पास इतना पैसा नहीं था कि निजी अस्पताल का बिल दे सकें, मां को दूसरे अस्पताल ले जाने का निर्णय किया, इसके बाद उन्हें लेकर दूसरे अस्पताल गए, लेकिन किसी ने भी उन्हें एडमिट नहीं किया. यहां तक की शासकीय अस्पतालों के भी लगातार चक्कर लगाए सभी का यही कहना था कि अस्पताल में जगह नहीं है.

मां का इलाज कराना भी जरूरी था, ऐसी स्थिति में उन्हें बमुश्किल पीपुल्स अस्पताल में एडमिट किया गया, लेकिन अस्पताल के द्वारा पहले ही एडवांस में राशि ले ली गई, बाद में भोपाल कलेक्टर से निवेदन करने के बाद 15 सितंबर को जेपी अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया, लेकिन यहां आने के बाद कई घंटे तक बेड के लिए इंतजार करना पड़ा, मां की उम्र 43 वर्ष थी और घर में वही काम करती थीं. हमारे पास रोजगार का भी कोई साधन नहीं है. घर में कमाने वाली केवल हमारी मां ही थी. जिनके भरोसे पर घर चल रहा था, मां भोपाल को ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक में काम करती थी.

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