भोपाल। एआईसीसी ने कांग्रेस शासित राज्यों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक कोआर्डिनेशन कमेटी बनाई है, ये समिति सरकार और संगठन के बीच समन्वय का काम करेगी. समिति का ऐलान हुए एक दिन भी नहीं हुआ कि समिति का विरोध शुरू हो गया है. मप्र कांग्रेस कमेटी के सचिव अकबर बेग ने किसी मुस्लिम नेता को महत्व नहीं दिए जाने पर नाराजगी जताई है.
बेग का कहना है कि मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जो कांग्रेस की सरकार बनी है, उसमें मुस्लिम समुदाय का अहम योगदान है, इसलिए उन्हें कमेटी में स्थान दिया जाना चाहिए, जबकि दूसरी तरफ मप्र कांग्रेस संगठन इस तरह की समिति जाति और धर्म के आधार पर निर्णय नहीं लेने की बात कह रही है. फिलहाल एक प्रतिनिधिमंडल सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात करने दिल्ली जा रहा है. जो इस कमेटी में मुस्लिम समुदाय को स्थान दिए जाने की मांग करेगा.
कांग्रेस कमेटी के सचिव का कहना है कि हमने समन्वय समिति बनाए जाने का आभार व्यक्त किया है और सोनिया गांधी को बधाई भी दी है. विधानसभा-लोकसभा चुनाव में उन्होंने एक तरफा कांग्रेस को वोट दिया है. तो जब मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कमेटी बन रही थी तो कम से कम एक मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति को उस में लिया जाना था. एक मुस्लिम सदस्य की मांग की है. आरिफ अकील 6 बार के विधायक हैं, वे मंत्री भी हैं. अभी भी समय है कि समिति के अंदर एक मुस्लिम को स्थान दिया जाना चाहिए.
बेग ने कहा कि इस समिति में आदिवासी नेता भी नहीं हैं, अगर कांतिलाल भूरिया को स्थान दिया जाता तो अच्छा संदेश जाएगा, जबकि समिति में महिला, ठाकुर और ओबीसी वर्ग को स्थान दिया गया है. अकबर बेग का कहना है कि इस संबंध में बुधवार को एक प्रतिनिधिमंडल लेकर दिल्ली जाएंगे. सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात कर ज्ञापन देंगे. उनसे मांग करेंगे कि आप कम से कम प्रदेश में एक मुस्लिम को समिति में लें. मैंने उन्हें नाम भी सुझाए हैं. उससे हटकर अगर कोई दूसरा मुस्लिम उन्हें लगता है तो उसको भी ले, इसमें कोई आपत्ति नहीं है.
प्रदेश प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि ये कमेटी बनाने में कार्यकर्ताओं और प्रदेश के नेता में पार्टी संगठन का समन्वय अधिक हो पाएगा. सबकी भावनाओं, संगठन और केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचाने का माध्यम समिति बनेगी. ये जो कमेटी बनाई गई है,उसमें सभी क्षेत्र के नेताओं को लिया गया है. उसमें पूरा मध्यप्रदेश समाहित है, जबकि मुस्लिम सदस्य नहीं होने पर आपत्ति के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये कोई तर्क नहीं है. जाति धर्म के आधार पर कमेटियों में सदस्य नहीं बनाए जाते हैं. सदस्यता क्षेत्रवार, सक्रियता और कार्यकर्ताओं की मांग पर निर्णय लेता है. इसको जाति धर्म से जोड़ना उचित नहीं हैं.