भोपाल। आप कड़ियां जोड़ पाएं उसके पहले हम कुछ गुत्थी सुलझा देते हैं. न्यूज चैनल से लेकर सोशल मीडिया तक हर ज़ुबां पर पाकिस्तान से आई सीमा हैदर का नाम चढ़ा हुआ है. बुंदेलखंड में सीमा हैदर की कहानी पर सवाल उठाते हुए लोक गायिका संजो बघेल ने इसे आल्हा में उतारा है. अब उनकी इसी कोशिश पर आल्हा गायक उठा रहे हैं सवाल कि बुंदेलखंड की वीरता जिसमें गाई जाती हो, आल्हा-ऊदल का चरित्र जिसमें दिखाया जाता हो, उस आल्हा को सीमा हैदर के लिए गाना आल्हा का अपमान है.
देशहित में सीमा की कहानी गाई : आल्हा गायिका संजो बघेल पहली महिला आल्हा गायक हैं. वह आल्हा में अपने प्रयोगों के लिए ही जानी जाती हैं. संजो बघेल ने इसके पहले पीएम मोदी, सीएम शिवराज और लाड़ली बहना योजना जैसे विषयों पर भी आल्हा गाया है. लेकिन सीमा हैदर पर आल्हा क्यों. इस सवाल पर संजो कहती हैं "क्योंकि पाकिस्तान से गलत मंसूबों के साथ आ रही सीमा की कहानी गांव-गांव के लोगों को पता चले. मैं तो गांव वालों को सतर्क कर रही हूं. उन्हें बता रही हूं कि कैसे पाकिस्तान की सीमा से लोग आ रहे हैं. ये सीमा भी जाने किस मकसद से आई हो." लेकिन आल्हा तो किसी की वीरता के बखान के लिए गाया जाता है. इस पर संजो कहती हैं "मैंने बखान किया है वीरता का. अपने देश के सेना के नौजवानों का भी इसमें बोला है."
ये बुंदेलखंड की संस्कृति का अपमान : महोबा के रहने वाले आल्हा गायक जीतेन्द्र कुमार चौरसिया सीमा हैदर पर आल्हा गाये जाने से नाराज हैं. जीतेन्द्र कहते हैं "मैं आल्हा-ऊदल की जन्मस्थली महोबा में ही जन्मा हूं. आल्हा ही गाता हूं. मेरा मन दुखी हुआ. कथित आल्हा गायकों ने सीमा हैदर पर जो आल्हा गाया है मैं उसका पुरजोर विरोध करता हूं. आल्हा हमारी पुरातन शैली है. हमारे पूर्वजों की गाथा है वीर आल्हा ऊदल की. इन्हें केवल आल्हा खंड का गायन वीरों की शौर्य गाथा के माध्यम से ही होना चाहिए. अन्य किसी के नाम से नहीं.आल्हा गायन बुंदेलखंड की आत्मा है."
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आल्हा गायन सिर्फ संगीत की धुन नहीं: बुंदेली बोली और संस्कृति के लिए काम कर रहे बुंदेली बौछार के संस्थापक सचिन चौधरी की दलील है "आल्हा गायन सिर्फ संगीत की कोई धुन नहीं, जो चलते-फिरते किसी पर भी फिट कर दो. आल्हा गायन बुंदेलखंड की वीरता का प्रमाण है. यह वीर आल्हा-ऊदल के शौर्य का गान है. यह बुंदेलखंड की आत्मा है.आप दुनिया में किसी भी संगीत को लेकर किसी के लिए कुछ भी बनाइये. आपका स्वागत है. लेकिन बुंदेलखंड की आत्मा आल्हा गायन को बेचने का पाप मत कीजिये." ये अपील उन्होने बुंदेलखंड के गायकों से की.