भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपने ससुर के निधन पर एक कविता ट्वीटर हैंडल पर शेयर की थी. जिसे उन्होंने पत्नी साधना सिंह द्वारा उनके पिता को समर्पित बताया था. अब इस पर विवाद खड़ा हो गया है.भूमिका बिरथरे नाम की युवती ने दावा किया है कि यह कविता उन्होंने अपने पिता की याद में लिखी थी. जिसे सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया था. कहा जा रहा है कि इस कविता के कुछ अल्फाजों में कुछ फेरबदल कर पोस्ट किया गया. जिसे सीएम शिवराज ने अपनी पत्नी द्वारा रचित बताया.
'मामा ने भांजी की भावनाओं को ठेस पहुंचाई'
भूमिका बिरथरे ने फेसबुक पोस्ट पर लिखा कि 'प्रिय मामाजी,आपसे ये उम्मीद ना थी.एक मामा तो भांजी की कविता की भावनाओं को समझ सकता है ना. पर आपने तो उसे अपनी धर्मपत्नी के नाम से पोस्ट कर दिया. उम्मीद है के आप अपनी गलती स्वीकार करेंगे. उन्होंने इस कविता को अपना कॉपीराइट बताया है.
कांग्रेस ने कसा तंज
कांग्रेस भी इस मसले को लेकर सीएम शिवराज पर हमलावर हो गई है. कांग्रेस नेता अरुण यादव ने तंज कसते हुए कहा है कि 'भाजपा नाम बदलने में माहिर है. यह बात एक बार फिर उजागर हो गई. पहले कांग्रेस की योजनाओं के नाम बदलते थे, फिर शहरों के नाम बदलने लगे और अब तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी दूसरों की लिखी हुई कविताओं को भी अपनी धर्मपत्नी की लिखी हुई कविता बताने लगे हैं.'
भूमिका ने सीएम शिवराज से एक दिन पहले शेयर की थी कविता
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने 22 नवंबर 2020 को अपने ट्विटर अकाउंट पर एक कविता पोस्ट की थी. इस कविता को सीएम शिवराज ने पत्नी साधना सिंह द्वारा अपने पिता को समर्पित बताया था. लेकिन एक हफ्ते बाद अब भूमिका बिरथारे ने पोस्ट कर इस कविता को अपनी रचना बताई. उन्होंने कहा कि इस कविता का टाइटल बदलकर पोस्ट किया गया. साथ ही भूमिका ने 21 नवंबर 2020 की वो पोस्ट भी शेयर की है, जिसमें इस कविता को उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया था.
सीएम शिवराज ने नहीं दी कोई प्रतिक्रिया
हालांकि सीएम शिवराज सिंह की तरफ से इस पोस्ट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन कांग्रेस इस बहाने बीजेपी और मुख्यमंत्री शिवराज पर जमकर निशाना साध रही है.
19 नवंबर को हुआ था शिवराज के सुसर का निधन
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ससुर घनश्याम दास मसानी का 88 वर्ष की उम्र में 19 नवंबर को निधन हुआ था. दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शनिवार को अपनी पत्नी साधना सिंह के साथ ससुर घनश्याम दास मसानी की अस्थियां लेकर प्रयागराज पहुंचे थे. जहां गंगा-यमुना के संगम पर उन्होंने विधि विधान से अपने साले अरुण मसानी और संजय मसानी के साथ पूचन अर्चन कर ससुर की अस्थियां संगम में विसर्जित की थीं.