भोपाल। एक तरफ सरकार ने कोरोना महामारी से लड़ाई के लिए 20 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान कर दिया है और दूसरी तरफ अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना की लड़ाई लड़ रहे कोरोना योद्धाओं को वेतन तक नहीं दे पा रही है. खास बात यह है कि सरकार उन संविदा कर्मचारियों का वेतन नहीं दे पा रही है, जो विशेषकर कोरोना से लड़ाई के लिए नियुक्त किए गए थे. कोरोना संक्रमण के बढ़ने के कारण सरकार ने आनन-फानन में प्रदेश भर में संविदा चिकित्सक, संविदा स्टॉफ नर्स और संविदा एएनएम की नियुक्ति की थी. ये नियुक्तियां प्रदेश के अलग-अलग जिलों में की गई थीं.
अपने गृह जिले के अलावा दूसरे जिले में नियुक्त लोग कई परेशानी के बीच कोरोना महामारी से लड़ाई में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक उन्हें वेतन मुहैया नहीं कराया है. हालात ये हैं कि उनके पास मकान का किराया देने तक के लिए पैसे नहीं हैं. मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने कोरोना से लड़ाई के लिए विशेष रूप से नियुक्त किए गए सभी कर्मचारियों को वेतन देने की मांग की है.
दरअसल मध्य प्रदेश सरकार ने कोविड महामारी के चलते हुए सैकड़ों की संख्या में जिले में एएनएम, स्टॉफ नर्स, नर्स और चिकित्सकों को कोरोना योद्धा के रूप में नियुक्तियां प्रदान की थीं. इन सभी को अभी तक वेतन नहीं मिला है. संविदा एएनएम की नियुक्ति 12 हजार रूपए प्रतिमाह, स्टॉफ नर्स की नियुक्ति 20 हजार रूपए प्रति माह और चिकित्सक की नियुक्ति 25हजार रूपए प्रति माह पर की गई थी, लेकिन पिछले 2 माह से वेतन नहीं मिलने के कारण चिकित्सक, स्टॉफ नर्स और एएनएम के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है. बहुत सारे संविदा कर्मी दूसरे जिलों से अन्य जिलों में नौकरी पर गए हैं, जहां पर वे किराए के मकान में रहते हैं और उन्हें मकान मालिक मकानों से निकालने की भी धमकी दे रहे हैं.
मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के महामंत्री लक्ष्मीनारायण शर्मा ने अपर मुख्य स्वास्थ्य सचिव को मेल पर पत्र प्रेषित कर अनुरोध किया है कि कारोना महामारी में लगे स्वास्थ्य कर्मियों को तुरंत वेतन दिलाया जाए, जिससे कि वे कोरोना योद्धा के रूप में अपने दायित्वों का कुशलता पूर्वक निर्वहन कर सके. इन कर्मचारियों के लिए आम जनों द्वारा तालियां बजाकर, पुष्प माला पहनाकर स्वागत किया जा रहा है, लेकिन इनके भूखे पेट की तरफ देखने वाला कोई नहीं है.