भोपाल। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार पर आए संकट को टालने के लिए कांग्रेस के कई दिग्गज दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मुख्य रणनीतिकार की भूमिका में है, तो उनके साथ विवेक तन्खा की पूरी टीम कानूनी दांवपेच पर काम कर रही है. इन दिग्गजों द्वारा बनाई गई रणनीति को अंजाम देने के लिए कांग्रेस के युवा तुर्कों की टीम लगी हुई है. वहीं दूसरी तरफ पर्दे के पीछे ऐसे कई किरदार हैं, जो सरकार को बचाने के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं. पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और मध्यप्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत और पूर्व मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ऐसे नेता हैं, जो सरकार में भले शामिल नहीं है. फिर भी सरकार बचाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं.
मुख्य रणनीतिकार की भूमिका में दिग्विजय
सियासी संकट के भंवर में फंसी कमलनाथ सरकार को बचाने में दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ साये की तरह खड़े नजर आ रहे हैं. एक समय था जब दिग्विजय सिंह लगातार 10 साल तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे, तो उनकी इस लंबी पारी के लिए मौजूदा मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी अहम भूमिका निभाई थी. इसी तरह कमलनाथ की सरकार बनाने और अब आई मुसीबत से बचाने के लिए दिग्विजय सिंह दिन और रात एक कर रहे हैं. मौजूदा संकट से निपटने के लिए दिग्विजय सिंह की भूमिका पर नजर डालें तो दिग्विजय सिंह हर मोर्चे पर अहम भूमिका निभा रहे हैं. सबसे पहले तो दिग्विजय सिंह विधानसभा की उन तमाम बारीकियों पर काम कर रहे हैं, जिनके जरिए आज बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण के बाद सदन स्थगित करवाकर फ्लोर टेस्ट टाल दिया गया.
वहीं दूसरी तरफ ऐसे कौन से कानूनी दांवपेच हो सकते हैं, जो सरकार बचाने में मददगार साबित हो सकते हैं. साथ ही ऐसे कौन से कानूनी दांवपेच हो सकते हैं, जिनका बीजेपी सहारा ले सकती है. उन पर भी दिग्विजय सिंह विवेक तंखा जैसे सहयोगियों की मदद से दिन-रात काम कर रहे हैं. इसके अलावा दिग्विजय सिंह एक और मुहिम में लगे हुए हैं. जो बेंगलुरु गए विधायकों को तोड़ने और बीजेपी की कमजोर कड़ियों को तलाशने में जुटे हुए हैं. इस मुहिम में दिग्विजय सिंह को कई दिग्गज नेताओं का सहयोग मिल रहा है. कुल मिलाकर मौजूदा स्थिति में दिग्विजय सिंह एक ऐसे किरदार है, जो 24 घंटे कमलनाथ को हर संकट में साथ देने के लिए खड़े हैं.
कानूनी बारीकियों पर काम कर रहे हैं तंखा
मध्यप्रदेश की राजनीति के जानकारों को याद होगा कि विवेक तन्खा कैसे राज्यसभा पहुंचे थे. विवेक तंखा जब राज्यसभा का चुनाव लड़े थे तो चुनाव जीतने के लिए जरूरी संख्या बल में कमी के कारण उनकी जीत पर संकट के बादल छा गए थे. ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मायावती से संपर्क कर बसपा के 4 विधायकों से विवेक तंखा के पक्ष में वोटिंग कराई थी. चुनावी गणित बिगड़ ना जाए इसके लिए वोटिंग के दिन कमलनाथ खुद भोपाल में मौजूद थे और दिनभर विधानसभा में बैठे रहे थे. अब जब कमलनाथ की सरकार संकट में हैं तो पहले दिन से विवेक तन्खा भोपाल में डेरा डाले हुए हैं.
विवेक तन्खा देर रात तक रणनीति बनाने के काम में लगे रहते हैं और अल सुबह फिर सीएम हाउस पहुंच जाते हैं. दिल्ली में बैठे कांग्रेस के दिग्गज कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और केटीएस तुलसी जैसे नामी वकीलों से मार्गदर्शन और मंत्रणा का काम भी विवेक तंखा कर रहे हैं. पिछले 2 दिनों से मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के नामी वकीलों की टीम जिनमें महाधिवक्ता शशांक शेखर और उनके सहयोगी दिन-रात जुटे हुए हैं. भाजपा द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किए जाने पर विवेक तंखा की पूरी टीम दिल्ली के लिए रवाना हो गई है.
बीजेपी के गढ़ में सेंध लगाने और सिंधिया कुनबे को तोड़ने की कोशिश वाले किरदार
16 मार्च को बजट सत्र में जब राज्यपाल का अभिभाषण होना था, सियासी संकट के चलते विधानसभा में काफी पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था रखी गई थी. आलम ये था कि विधायकों, विधानसभा के कर्मचारियों, प्रशासनिक अधिकारियों और पत्रकारों के अलावा दर्शक दीर्घा सहित अन्य दीर्घा में किसी को अनुमति नहीं दी गई थी. सदन में दो चेहरे ध्यान आकर्षित करने वाले थे, एक पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और दूसरा मध्यप्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत. वैसे तो यह दोनों नेता विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव हार चुके हैं, लेकिन कमलनाथ सरकार पर आए सियासी संकट के बाद ये दोनों नेता मुख्य भूमिका में नजर आ रहे हैं.
दरअसल इस पूरी कवायद के पीछे लक्ष्य बीजेपी के विधायकों में सेंध लगाने के साथ सिंधिया का कुनबा तोड़ना है. अजय सिंह विंध्य इलाके में भाजपा के विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव में विंध्य इलाके से अप्रत्याशित परिणाम आए थे और बीजेपी ने अनुमान के विपरीत ज्यादा सीटें हासिल की थी. खुद अजय सिंह भी चुनाव हार गए थे. ऐसे सियासी संकट में अजय सिंह विंध्य के बीजेपी के विधायकों को तोड़ने की कोशिश में जुटे हैं. इसके अलावा बसपा और सपा के विधायकों को सुरक्षित रखने का भी काम कर रहे हैं. वही सिंधिया के खास रहे रामनिवास रावत भी इसी भूमिका में नजर आ रहे हैं. सिंधिया के साथ गए 22 विधायकों में छह के इस्तीफे हो चुके हैं. बचे हुए 16 विधायकों को किसी तरह वापस लाने और कांग्रेस के पक्ष में मतदान कराने में रामनिवास रावत दिन रात लगे हुए हैं.
दिग्गजों की रणनीति को युवा तुर्क दे रहे हैं अंजाम
कमलनाथ सरकार को बचाने जो दिग्गज रणनीति बनाने का काम कर रहे हैं. उस रणनीति को अमलीजामा पहनाने का काम कमलनाथ सरकार के युवा मंत्री कर रहे हैं. जिनमें जीतू पटवारी, जयवर्धन सिंह, उमंग सिंघार, कमलेश्वर पटेल और ओमकार मरकाम जैसे नाम है. बीजेपी की तरफ से फ्लोर टेस्ट के लिए सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका पर सुनवाई के लिए दिल्ली रवाना हुए विवेक तंखा और उनकी टीम के साथ यह युवा तुर्क भी दिल्ली पहुंचे हैं. इसके पहले जीतू पटवारी बेंगलुरु में हंगामा बरपा कर आ चुके हैं, जो भी एक रणनीति का हिस्सा था.