भोपाल। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना वाटरशेड विकास की परियोजनाओं में कार्यरत संविदा कर्मचारियों को कुछ दिन पहले ही उनके पद से हटाए जाने के आदेश जारी किए गए थे. इस मुद्दे को लेकर अब कांग्रेस केंद्र और प्रदेश सरकार पर सवाल उठा रही है. कांग्रेस का मानना है कि जिस तरह की विषम परिस्थितियां इस समय प्रदेश में बनी हुई हैं उसे देखते हुए प्रधानमंत्री ने ही अपील की थी कि किसी को भी नौकरी से नहीं निकाला जाएगा. इस बीच संविदा कर्मचारियों को निकाला जाना सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है. कांग्रेस ने मांग की है कि जिन संविदा कर्मचारियों को निकाला जा रहा है उन्हें वापस लिया जाए. यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो कांग्रेस कार्यकर्ता संविदा कर्मचारियों के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे.
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि ऐसी विषम परिस्थितियों में कोई भी शासकीय निजी संस्थानों यहां तक की दुकानों तक में लॉक डाउन के दौरान कर्मचारियों को सेवाओं से नहीं निकाला जाएगा, इसके विपरीत मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राजीव गांधी वाटरशेड मिशन के तहत 10 वर्षों से कार्यरत संविदा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्ति का आदेश जारी किया गया है. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि ये आदेश भारतीय जनता पार्टी का गरीब श्रमिक विरोधी चेहरा उजागर करता है, कांग्रेस पार्टी इसकी घोर भर्त्सना करती है, कांग्रेस पार्टी तत्काल आदेश निरस्त करने की मांग करती है और सरकार को चेतावनी देती है कि यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया तो कांग्रेस कार्यकर्ता राजीव गांधी वाटर शेड मिशन मैं काम करने वाले सभी संविदा कर्मचारियों के साथ मिलकर आंदोलन करेंगी.
बता दें कि 2 दिन पहले ही राजीव गांधी जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन मिशन के संचालक फर्टिंग राहुल हरिदास के द्वारा एक आदेश जारी किया गया था. जिसमें बताया गया था कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना वाटरशेड विकास की परियोजनाएं भारत सरकार और राज्य शासन द्वारा संयुक्त रूप से वित्तीय पोषित होती है. इनका क्रियान्वयन भारत सरकार ग्रामीण विकास मंत्रालय भूमि संसाधन विभाग के दिशा निर्देश के अनुसार किया जाता है. भारत सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार वर्ष 2010-11 में स्वीकृत परियोजनाएं समाप्त की जा चुकी है और इन परियोजनाओं के लिए भारत सरकार और राज्य शासन द्वारा वित्तीय पोषण नहीं किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में इन परियोजनाओं के संविदा सेवकों को मानदेय दिया जाना संभव नहीं है.
इस आदेश के तहत सभी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को निर्देशित किया गया है. जिसमें प्रमुख रुप से आगर मालवा, अनूपपुर, अशोकनगर, बालाघाट, भिंड, बुरहानपुर, छतरपुर, छिंदवाड़ा, दमोह, दतिया, देवास, डिंडोरी, हरदा, होशंगाबाद, रायसेन, राजगढ़,सागर ,सतना ,सीहोर, शहडोल, शाजापुर, श्योपुर, शिवपुरी, सिंगरौली ,टीकमगढ़ और उमरिया शामिल है . जिसमें बताया गया है कि इस परियोजनाओं के संविदा सेवकों को कोई भी कार्य प्रदान ना किया जाए, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना वाटरशेड विकास की किसी भी परियोजना मद से मानदेय भी प्रदान नहीं किया जाए और किसी भी प्रकार का शासकीय कार्य बिना सौंपा जाए.