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'श्रम सिद्धि अभियान' पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, कहा- श्रमिकों को दी जाए ज्यादा मजदूरी - मनरेगा एक्ट

'श्रम सिद्धि अभियान' पर कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा है कि, प्रदेश सरकार श्रमिकों को कम पैसे दे रही है. जबकि दूसरे राज्यों में प्रदेश के मजूदरों को मनरेगा की मजदूरी ज्यादा मिल रही है

Shivraj Singh Chauhan, CM
शिवराज सिंह चौहान,सीएम
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Published : May 23, 2020, 7:52 AM IST

भोपाल। प्रदेश की हर पंचायत में सीएम शिवराज सिंह चौहान 'श्रम शक्ति अभियान' की शुरुआत की है. इस अभियान की शुरुआत के साथ ही कांग्रेस ने इस पर कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं. कांग्रेस ने सीएम के दावों को भी झूठ बताया है. कांग्रेस का दावा है कि, योजनाओं के तहत प्रदेश में श्रमिकों को दी जा रही मजदूरी देश में सबसे कम है, जिसे बढ़ाया जाना चाहिए. ऐसी विषम परिस्थितियों में श्रमिकों को जीवन यापन करने के लिए आर्थिक मदद की सख्त आवश्यकता है.

कांग्रेस का बीजेपी पर आरोप

कांग्रेस के मीडिया कॉर्डिनेटर अभय दुबे ने कहा है कि, आज प्रदेश सरकार ने श्रमिकों को मनरेगा में काम देने के लिए 'सबकों रोजगार' के नाम पर एक झूठ परोसा है. प्रदेश के श्रमिकों के साथ बहुत बड़ा छल किया गया है. अभय दुबे ने कहा कि, मध्यप्रदेश के श्रमिक, जो बड़ी संख्या में प्रदेश वापस आए हैं, उन्हें काम देने की बात कही जा रही है. जबकि सच्चाई यह है कि, प्रदेश में कुल 93.55 लाख मनरेगा में एक्टिव मजदूर हैं. जिनमें से सिर्फ 20.7 लाख मजदूरों को 1 अप्रैल से अब तक काम दिया गया है. जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 61 लाख मजदूरों का था. इसका अर्थ साफ है कि लगभग 40 लाख मजदूरों को काम से नहीं मिला है.

उन्होंने कहा कि, मनरेगा के एक्ट में प्रावधान है कि, अगर उन्हें सरकार काम देने में असमर्थ रहती है, तो मजदूरी का आधा मुआवजा दिया जाएगा. तब सरकार को चाहिए कि, वे 40 लाख मजदुरों को मुआवजा प्रदान करें. ये बात भी हैरान करने वाली है कि, इस कठिन समय में मजदूरों को एवरेज मजदूरी मात्र 180 रु. प्रतिदिन दी गई है. जबकि हाल ही में 24 मार्च को केंद्र ने मजदूरी दर 190 रु प्रतिदिन निर्धारित की है. यह और भी चौकाने वाली बात है कि, मध्यप्रदेश की मनरेगा की मजदूरी पूरे हिंदुस्तान में सबसे कम है. केरल में 291 रु, कर्नाटका में 275 रु गुजरात में 224 रु और राजस्थान में 220 रु है. बकि न्यूनतम कृषि मजदूरी 231 रु प्रतिदिन है.

भोपाल। प्रदेश की हर पंचायत में सीएम शिवराज सिंह चौहान 'श्रम शक्ति अभियान' की शुरुआत की है. इस अभियान की शुरुआत के साथ ही कांग्रेस ने इस पर कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं. कांग्रेस ने सीएम के दावों को भी झूठ बताया है. कांग्रेस का दावा है कि, योजनाओं के तहत प्रदेश में श्रमिकों को दी जा रही मजदूरी देश में सबसे कम है, जिसे बढ़ाया जाना चाहिए. ऐसी विषम परिस्थितियों में श्रमिकों को जीवन यापन करने के लिए आर्थिक मदद की सख्त आवश्यकता है.

कांग्रेस का बीजेपी पर आरोप

कांग्रेस के मीडिया कॉर्डिनेटर अभय दुबे ने कहा है कि, आज प्रदेश सरकार ने श्रमिकों को मनरेगा में काम देने के लिए 'सबकों रोजगार' के नाम पर एक झूठ परोसा है. प्रदेश के श्रमिकों के साथ बहुत बड़ा छल किया गया है. अभय दुबे ने कहा कि, मध्यप्रदेश के श्रमिक, जो बड़ी संख्या में प्रदेश वापस आए हैं, उन्हें काम देने की बात कही जा रही है. जबकि सच्चाई यह है कि, प्रदेश में कुल 93.55 लाख मनरेगा में एक्टिव मजदूर हैं. जिनमें से सिर्फ 20.7 लाख मजदूरों को 1 अप्रैल से अब तक काम दिया गया है. जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 61 लाख मजदूरों का था. इसका अर्थ साफ है कि लगभग 40 लाख मजदूरों को काम से नहीं मिला है.

उन्होंने कहा कि, मनरेगा के एक्ट में प्रावधान है कि, अगर उन्हें सरकार काम देने में असमर्थ रहती है, तो मजदूरी का आधा मुआवजा दिया जाएगा. तब सरकार को चाहिए कि, वे 40 लाख मजदुरों को मुआवजा प्रदान करें. ये बात भी हैरान करने वाली है कि, इस कठिन समय में मजदूरों को एवरेज मजदूरी मात्र 180 रु. प्रतिदिन दी गई है. जबकि हाल ही में 24 मार्च को केंद्र ने मजदूरी दर 190 रु प्रतिदिन निर्धारित की है. यह और भी चौकाने वाली बात है कि, मध्यप्रदेश की मनरेगा की मजदूरी पूरे हिंदुस्तान में सबसे कम है. केरल में 291 रु, कर्नाटका में 275 रु गुजरात में 224 रु और राजस्थान में 220 रु है. बकि न्यूनतम कृषि मजदूरी 231 रु प्रतिदिन है.

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