भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित 15 मंत्री सहित पूरी शिवराज सरकार सिर्फ कोरोना संक्रमण की गति कम करने और इलाज की व्यवस्थाओं में जुटी है. प्रदेश में कोरोना ने होली के बाद से गति पकड़ी है. इसके बाद से ही प्रदेश में कोरोना के अलावा अन्य विभागीय गतिविधियां बंद हो गई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 30 मार्च को आखिरी बार नर्मदा प्रोजेक्ट की बैठक ली थी. इसके बाद से पूरी सरकार का फोकस सिर्फ कोरोना पर ही रहा है. हालांकि इसके बाद भी कोरोना की व्यवस्थाओं में अपेक्षित सुधार दिखाई नहीं दे रहा. कांग्रेस लगातार इसको लेकर प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रही है.
कोरोना से निपटने में जुटे सीएम और 15 मंत्री
प्रदेश में कोरोना के हालात भयाभय होते जा रहे हैं. हालात यह है कि प्रदेश में हर रोज 10 हजार से ज्यादा पाॅजीटिव मरीज मिल रहे हैं. कोरोना अब शहरों से आगे निकलकर गांवों तक में पहुंच गया है. प्रदेश के कई जिलों के गांवों में लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं. इसको देखते हुए पूर्व में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और अब इससे निपटने 15 मंत्रियों सहित पूरी सरकारी मशीनरी को इससे निपटने में झोंक दिया है. पिछले 23 दिनों से अन्य विभागों के दूसरे कामकाज पूरी तरह ठप हैं और सभी विभाग मिलकर सिर्फ कोरोना से निपटने की व्यवस्थाओं में जुटे हुए हैं.
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सभी विभागों के अधिकारियों को लगाया
सरकार ने सभी विभागों के आला अधिकारियों को कोरोना की व्यवस्थाओं में लगा दिया है. लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई को कोविड केयर सेंटर्स और ऑक्सीजन प्लांट्स के निर्माण की कार्रवाई में लगाया गया है. वन विभाग के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल, नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव नीतेश व्यास को होम आइसोलेट मरीजों को मेडिकल किट और ब्रोशर वितरण और चिकित्सा सलाह की जिम्मेदारी दी गई है. एमएसएमई विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला को बीना रिफाइनरी के पास एक हजार बिस्तरों का अस्थाई हाॅस्पिटल बनाने की जिम्मेदारी दी गई है. नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव को कोविड सेंटर में भोजन की व्यवस्था भी दी गई है. वहीं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग उमाकांत उमरण को ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड संक्रमण के फेलाव को रोकने जरूरी कदम उठाने की जिम्मेदारी दी गई है.