भोपाल। राजनीति में समय और परिस्थितियां बहुत कुछ तय करती हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों की बगावत के बाद ऐसे ही समीकरण देखने को मिल रहे हैं. अब कांग्रेस पार्टी उन मजबूत नेताओं की पार्टी में वापसी के लिए दरवाजा खोलने जा रही है, जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण या तो पार्टी छोड़ चुके थे या मौजूदा परिस्थिति में होने वाले उपचुनाव में सिंधिया खेमे को कड़ी टक्कर दे सकते हैं.
कमलनाथ सरकार गिरने के बाद पूरी कांग्रेस ग्वालियर-चंबल और उन इलाकों के नेताओं की वापसी में जुट गई है, जो उपचुनाव में तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं. कांग्रेस गुपचुप तरीके से इन नेताओं की वापसी में जुटी हुई है. आगामी उपचुनाव में साबित होगा कि कांग्रेस का यह दाव कितना सफल होता है.
ज्योतिरादित्य सिंधिया जब कांग्रेस पार्टी में थे, तो उनके प्रभाव वाले ग्वालियर-चंबल क्षेत्र और अन्य इलाकों में कई नेताओं ने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया था. जिसका कारण था कि सिंधिया के रसूख के चलते उन्हें उन इलाकों में सिंधिया समर्थकों की अपेक्षा कम महत्व मिलता था. इंदौर की सांवेर सीट की बात करें, तो इस इलाके में सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावट के कारण प्रेमचंद गुड्डू ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था. ऐसे ही सागर जिले की सुरखी विधानसभा के कई कांग्रेसी नेता जो सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत के कारण कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. वजह साफ थी कि सिंधिया के रसूख और जिद के कारण इन नेताओं को अपने इलाके में ना तो चुनाव लड़ने का मौका मिलता था और ना ही उन्हें महत्त्व मिलता था.
इसी तरह के कई नेता ग्वालियर चंबल संभाग में भी है, जो सिंधिया के कारण मजबूत होने पर भी पार्टी में हाशिए पर चले गए थे. अब कांग्रेस उपचुनाव में सिंधिया खेमे को घेरने के लिए इन बागी नेताओं को वापसी के लिए तैयार कर रही है. कई ऐसे भी नेता है जो दूसरे कारणों से पार्टी को छोड़कर चले गए, लेकिन बीजेपी में महत्त्व ना मिलने के कारण अब पार्टी में वापसी चाहते हैं और ग्वालियर-चंबल संभाग में सिंधिया समर्थकों को कड़ी चुनौती दे सकते हैं. इनमें राकेश सिंह चतुर्वेदी जैसे वरिष्ठ नेता का भी नाम शामिल है. कांग्रेस ऐसे कई मजबूत नेताओं को उपचुनाव में सिंधिया और बीजेपी के खिलाफ टिकट देने की तैयारी कर रही है.
मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि कांग्रेस की पार्टी की रीति-नीति में विश्वास करने वाले कुछ वरिष्ठ नेताओं ने राजनीतिक परिस्थितियों के चलते कांग्रेस का दामन छोड़ दिया था. यह नेता फिर से कांग्रेस की रीति-नीति और नेतृत्व में विश्वास कर वापसी के लिए आवेदन करेंगे, तो निश्चित ही पार्टी अनुशासन समिति और हाईकमान उनके आवेदन पर विचार करेगा.