भोपाल। उपचुनाव में बीएसपी की एंट्री के बाद अब कांग्रेस ग्वालियर- चंबल में अनुसूचित जाति के वोट हासिल करने के लिए फूलसिंह बरैया को राज्यसभा भेजकर सबको चौंका सकती है. हालांकि राज्यसभा चुनाव का नया कार्यक्रम अभी घोषित नहीं हुआ है, लेकिन मौजूदा वोटों के गणित से कांग्रेस को राज्यसभा में एक सीट मिलती हुई दिखाई दे रही है. इस स्थिति में कांग्रेस फूल सिंह बरैया को उम्मीदवार बनाने पर गंभीरता से विचार कर रही है. ऐसी स्थिति में दिग्विजय सिंह दूसरे उम्मीदवार होंगे. हालांकि अंतिम फैसला हाईकमान को लेना है. अगर कांग्रेस फूल सिंह बरैया को राज्यसभा भेजती है, तो ग्वालियर- चंबल की 16 सीटों पर उपचुनाव में कांग्रेस को फायदा मिल सकता है.
मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार गिराने की कवायद के पीछे बीजेपी का मुख्य लक्ष्य राज्यसभा में अपनी सीटें बढ़ाना था. कमलनाथ सरकार जब मध्यप्रदेश की सत्ता में थी, तो प्रदेश में होने वाले तीन राज्यसभा सीटों के चुनाव में कांग्रेस का पलड़ा भारी था. वोटों के हिसाब से कांग्रेस 3 में से 2 सीटें हासिल करती नजर आ रही थी और बीजेपी के खाते में एक सीट जा रही थी, लेकिन सिंधिया की बगावत से बीजेपी फायदे में पहुंच गई. कमलनाथ की सरकार गिर गई और मौजूदा गणित को देखते हुए बीजेपी राज्यसभा में 2 सीटें हासिल करने की स्थिति में पहुंच गई. सिंधिया के साथ मिलकर जब बीजेपी कमलनाथ सरकार गिरा रही थी. तभी राज्यसभा का नामांकन हो रहा था. पहले दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस का तय उम्मीदवार माना जा रहा था, लेकिन सिंधिया के बीजेपी के जाते ही कांग्रेस ने उपचुनाव की रणनीति के हिसाब से दलित नेता फूल सिंह बरैया को टिकट देने का फैसला किया. हालांकि कोरोन के चलते राज्यसभा चुनाव स्थगित हो गए. अब नई परिस्थितियों में राज्यसभा चुनाव होने हैं.
दूसरी तरफ उपचुनाव की तैयारियां भी तेज हो गई हैं. उपचुनाव में बसपा की आमद के साथी कांग्रेस ग्वालियर चंबल का दलित वोट हासिल करने के लिए फूल सिंह बरैया को प्रथम वरीयता देने पर गंभीरता से विचार कर रही है. सूत्रों की मानें तो कमलनाथ ने आलाकमान से अनुरोध किया है कि, फूल सिंह बरैया को राज्यसभा चुनाव में पहली वरीयता दी जाए. वहीं कांग्रेस की पैनी नजर शिवराज सरकार के दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार पर भी है. क्योंकि 10 सिंधिया समर्थकों को उपचुनाव के लिहाज से मंत्रिमंडल में शामिल करना जरूरी है. ऐसी स्थिति में बीजेपी में असंतोष बढ़ रहा है. सिंधिया समर्थकों को स्थान देने के फेर में बीजेपी को अपने कई वरिष्ठ विधायकों को नाराज करना पड़ रहा है. यहीं वजह है कि, भाजपा की सरकार बने 2 महीने हो गए, लेकिन सरकार सिर्फ पांच मंत्रियों के भरोसे चल रही है. इन परिस्थितियों में कांग्रेस बीजेपी के दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार पर पैनी नजर रखे हुए है.
वहीं उपचुनाव के लिहाज से रणनीति तैयार कर रही है, एक तरफ कांग्रेस की कोशिश होगी कि, जिस तरह से सिंधिया खेमे के असंतोष का फायदा उठाकर बीजेपी ने सरकार बनाई और एक राज्यसभा सीट भी बढ़ा ली, तो वहीं कांग्रेस भी यही दांव खेल सकती है. वहीं अगर कांग्रेस सिर्फ एक सिर्फ एक सीट हासिल करने की स्थिति में रहती है, तो कांग्रेस ग्वालियर- चंबल के दलित नेता फूल सिंह बरैया को राज्यसभा भेज कर सबको चौंका सकती है.
इस मामले में मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव कहते हैं कि, आगामी राज्यसभा चुनाव की जब भी तारीख घोषित होंगे. कांग्रेस पार्टी पूरा प्रयत्न करेगी कि, दोनों उम्मीदवार चुनाव जीते. इसके लिए रणनीति बनाई जा रही है. भाजपा में जिस तरह मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पा रहा है. व्यापक तौर पर असंतोष है. निश्चित ही असंतोष का लाभ हमें राज्यसभा चुनाव में मिलेगा. साथ ही हमारे उम्मीदवारों में प्रथम और दूसरी वरीयता का निर्णय हाईकमान द्वारा किया जाएगा. जब भी तारीख घोषित होगी, सही समय पर वरीयता का निर्णय हो जाएगा.