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राफेल को लेकर बीजेपी के धिक्कार प्रदर्शन पर कांग्रेस का वार, जेपीसी जांच की मांग

राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बीजेपी ने धिक्कार प्रदर्शन किया कर राहुल गांधी और सोनिया गांधी को झूठ फैलाने के लिए जनता से माफी मांगने की बात कही तो कांग्रेस पलटवार कर जेपीसी जांच की मांग करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार पर संस्थागत तरीके से पर्दा डालने से बड़ा धिक्कार और कुछ नहीं हो सकता है.

भाजपा के धिक्कार प्रदर्शन पर कांग्रेस का वार
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Published : Nov 16, 2019, 5:57 PM IST

Updated : Nov 16, 2019, 8:15 PM IST

भोपाल। राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बीजेपी ने धिक्कार प्रदर्शन किया. बीजेपी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील पर सच उजागर हुआ है. मोदी सरकार को क्लीन चिट मिलना सत्य की विजय है. इसलिए राहुल गांधी और सोनिया गांधी को सार्वजनिक रूप से झूठ बोलने और झूठ फैलाने के लिए जनता से माफी मांगना चाहिए. वहीं कांग्रेस ने इस मामले में कहा है कि भ्रष्टाचार पर संस्थागत तरीके से पर्दा डालने से बड़ा धिक्कार और कुछ नहीं हो सकता है.

बीजेपी के धिक्कार प्रदर्शन पर बोले अभय दुबे

राफेल में निष्पक्ष जांच की मांग
मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे ने कहा कि राफेल प्रकरण में पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने राफेल में हुए भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच के रास्ते खोल दिए हैं. सही मायने में इस निर्णय आने के बाद समूची बीजेपी आत्मग्लानि से ग्रसित हो गई है, उन्होंने कहा कि न्यायालय ने अपने फैसले में साफ लिखा है कोई भी स्वतंत्र एजेंसी इस मामले की तफ्तीश कर सकती है.

कांग्रेस ने की जेपीसी से जांच की मांग
अभय दुबे का कहना है कि कांग्रेस ने इसीलिए जेपीसी से जांच कराने की मांग की है. क्योंकि जेपीसी के पास अधिकार है कि वो इस घोटाले से जुड़े लोगों को समन करके बुला सकती है, दस्तावेज ले सकती है. जैसे कि सेना के उच्च अधिकारियों के डिसेंट नोट, जिसमें राफेल की खरीदी पर और उसकी बढ़ी हुई कीमतों पर सवाल खड़े किए गए है.

कांग्रेस ने खड़े किए ये सवाल

  • अगर जेपीसी से जांच होगी तो इस बात का भी खुलासा होगा कि क्यों बीजेपी की सरकार ने 30 हजार करोड़ के ऑफसेट कांटेक्ट में हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड को दरकिनार कर दिया.
  • जब 126 लड़ाकू विमानों की आवश्यकता हिंदुस्तान को थी. तो उन्हें कम करके 36 क्यों कर दिया गया.
  • डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रोसीजर और कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी का वैधानिक रास्ता अपनाए बिना, प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से जहाज खरीदने की घोषणा क्यों की.
  • राफेल जहाज का बेंचमार्क प्राइस 5.2 बिलियन यूरो से बढ़ाकर 8.2 बिलीयन यूरो क्यों कर दिया गया.
  • कानून मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय की डिफेंस एग्जिबिशन विंग के ऐतराज के बावजूद सावरेन गारंटी की शर्त सरकार ने क्यों हटा दी.

भोपाल। राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बीजेपी ने धिक्कार प्रदर्शन किया. बीजेपी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील पर सच उजागर हुआ है. मोदी सरकार को क्लीन चिट मिलना सत्य की विजय है. इसलिए राहुल गांधी और सोनिया गांधी को सार्वजनिक रूप से झूठ बोलने और झूठ फैलाने के लिए जनता से माफी मांगना चाहिए. वहीं कांग्रेस ने इस मामले में कहा है कि भ्रष्टाचार पर संस्थागत तरीके से पर्दा डालने से बड़ा धिक्कार और कुछ नहीं हो सकता है.

बीजेपी के धिक्कार प्रदर्शन पर बोले अभय दुबे

राफेल में निष्पक्ष जांच की मांग
मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे ने कहा कि राफेल प्रकरण में पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने राफेल में हुए भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच के रास्ते खोल दिए हैं. सही मायने में इस निर्णय आने के बाद समूची बीजेपी आत्मग्लानि से ग्रसित हो गई है, उन्होंने कहा कि न्यायालय ने अपने फैसले में साफ लिखा है कोई भी स्वतंत्र एजेंसी इस मामले की तफ्तीश कर सकती है.

कांग्रेस ने की जेपीसी से जांच की मांग
अभय दुबे का कहना है कि कांग्रेस ने इसीलिए जेपीसी से जांच कराने की मांग की है. क्योंकि जेपीसी के पास अधिकार है कि वो इस घोटाले से जुड़े लोगों को समन करके बुला सकती है, दस्तावेज ले सकती है. जैसे कि सेना के उच्च अधिकारियों के डिसेंट नोट, जिसमें राफेल की खरीदी पर और उसकी बढ़ी हुई कीमतों पर सवाल खड़े किए गए है.

कांग्रेस ने खड़े किए ये सवाल

  • अगर जेपीसी से जांच होगी तो इस बात का भी खुलासा होगा कि क्यों बीजेपी की सरकार ने 30 हजार करोड़ के ऑफसेट कांटेक्ट में हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड को दरकिनार कर दिया.
  • जब 126 लड़ाकू विमानों की आवश्यकता हिंदुस्तान को थी. तो उन्हें कम करके 36 क्यों कर दिया गया.
  • डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रोसीजर और कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी का वैधानिक रास्ता अपनाए बिना, प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से जहाज खरीदने की घोषणा क्यों की.
  • राफेल जहाज का बेंचमार्क प्राइस 5.2 बिलियन यूरो से बढ़ाकर 8.2 बिलीयन यूरो क्यों कर दिया गया.
  • कानून मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय की डिफेंस एग्जिबिशन विंग के ऐतराज के बावजूद सावरेन गारंटी की शर्त सरकार ने क्यों हटा दी.
Intro:भोपाल। राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बीजेपी ने धिक्कार प्रदर्शन किया। बीजेपी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील पर सच उजागरर हुआ है। मोदी सरकार को क्लीन चिट मिलना सत्य की विजय है। इसलिए राहुल गांधी और सोनिया गांधी को सार्वजनिक रूप से झूठ बोलने और झूठ फैलाने के लिए जनता से माफी मांगना चाहिए। वहीं कांग्रेस ने इस मामले में कहा है कि भ्रष्टाचार पर संस्थागत तरीके से पर्दा डालने से बड़ा धिक्कार और कुछ नहीं हो सकता है। कांग्रेस ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद घोटाले की जांच का रास्ता साफ हो गया है।


Body:मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे का कहना है कि राफेल प्रकरण में पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने राफेल में हुए भीषणतम भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच के रास्ते खोल दिए हैं। सही मायने में इस निर्णय आने के बाद समूची भाजपा आत्मग्लानि से ग्रसित हो गई है अदालत ने अपने फैसले में है भाषा की है कि संविधान के आर्टिकल 32 में अदालत के अधिकार बहुत सी में थे ना तो कीमत में हेराफेरी देखने के, ना कांट्रेक्चुअल डिटेल्स देखने के, ना टेक्निकल स्पेसिफिकेशन देखने के और ना फीजिबिलिटी देखने के अधिकार न्यायालय को हैं। न्यायालय ने अपने निर्णय के पैरा 1968 उत्तर में साफ लिखा है सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी स्वतंत्र एजेंसी समेत पुलिस एवं सीबीआई इस मामले की तफ्तीश कर सकती है बगैर उनका बंदियों और सीमाओं के दिन के दायरे में सुप्रीम कोर्ट ऐसा नहीं कर सकती है यह बात सुप्रीम कोर्ट ने अपने पैरा 73 और 86 में फिर से कही है।

अभय दुबे का कहना है कि कांग्रेस पार्टी ने इसीलिए जेपीसी से जांच कराने की मांग राफेल मामले में शुरू से की थी। क्योंकि जेपीसी के पास अधिकार है कि वह इस घोटाले से जुड़े लोगों को समन करके बुला सकती है,दस्तावेज ले सकती है।जैसे कि सेना के उच्च अधिकारियों के डिसेंट नोट जिसमें उन्होंने राफेल की खरीदी पर और उसकी बढ़ी हुई कीमतों पर सवाल खड़े किए थे।


Conclusion:मध्यप्रदेश कांग्रेस ने इस मामले में कई सवाल खड़े किए हैं।

- अगर जेपीसी से जांच होती तो इस बात का भी खुलासा होता कि क्यों भाजपा की सरकार ने 30000 करोड़ के ऑफसेट कांटेक्ट में हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड को दरकिनार कर दिया?
- क्यों यही ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट 12 दिन पुरानी एक कंपनी को दे दिया गया। क्यों 526 करोड़ रुपए का राफेल विमान 1670 करोड़ रुपए में खरीद कर 41 205 करोड़ में खरीद कर भारत को चूना लगाया गया?
- जब 126 लड़ाकू विमानों की आवश्यकता हिंदुस्तान को थी। तो उन्हें कम करके 36 क्यों कर दिया गया?
- डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रोसीजर व कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी का वैधानिक रास्ता अपनाए बगैर प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से 10 अप्रैल 2015 को एकतरफा 36 जहाज खरीदने की घोषणा क्यों की?
- राफेल जहाज का बेंचमार्क प्राइस 5.2 बिलियन यूरो से बढ़ाकर 8.2 बिलीयन यूरो क्यों कर दिया गया?
- कानून मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय की डिफेंस एग्जिबिशन विंग के ऐतराज के बावजूद सावरेन गारंटी की शर्त भाजपा सरकार ने क्यों हटा दी?

मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष राकेश सिंह स्वयं सांसद हैं। क्या वे सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार राफेल की जांच किसी निष्पक्ष संस्था से कराने के लिए तैयार हैं ? क्या जेपीसी जांच के लिए भी सदन में पहल करेंगे ? इसका जवाब हर हाल में धिक्कार दिवस मनाने वालों को देना चाहिए।अन्यथा इतने भीषणतम भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने से बड़ा धिक्कार और कुछ नहीं हो सकता।
Last Updated : Nov 16, 2019, 8:15 PM IST
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