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दो साल से लगातार पौधा लगा रहे शिवराज फिर भी सिकुड़ रहा हरियाली का रकबा, उनके ही क्षेत्र में हो रही वनों की अवैध कटाई

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Published : Feb 21, 2023, 11:02 PM IST

मध्यप्रदेश में एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले 2 साल से लगातार पौधे लगा रहे हैं. दूसरी तरफ प्रदेश के वनों का आकार सिकुड़ रहा है.एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में हरियाली का रकबा अगर देखा जाए तो बढ़ने की जगह दिनों दिन घट रहा है. इसकी वजह है अवैध कटाई के साथ वोट बैंक. देखिए रिपोर्ट...

Plantation of CM Shivraj Singh
सीएम शिवराज सिंह का वृक्षारोपण

भोपाल। शिवराज सिंह चौहान को बतौर मुख्यमंत्री 19 साल हो रहे हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह लोगों के साथ पौधे लगा रहे हैं, लेकिन विधानसभा की रिपोर्ट बता रही है कि, पिछले 4 सालों में पौधारोपण और उसके संरक्षण के लिए 1600 करोड़ खर्च किए. बावजूद इसके हरियाली का रकबा नहीं बढ़ रहा है. पिछले 15 सालों में वनवासियों को वन अधिकार पट्टा के तहत 3 लाख 14 हजार हेक्टेयर भूमि दे दी गई. लकड़ी चोरी करने वालों को इनाम और रक्षकों को सजा हो गई. आपको सुनकर जरुर आश्चर्य होगा, लेकिन प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह ने विदिशा में लकड़ी चोरी के दौरान हुई फायरिंग से व्यक्ति की मौत पर 20 लाख रुपए और घायलों को 5- 5 लाख रुपए दिए.

चोरों के बढ़ें हौंसले: पुलिस ने वन अमले के खिलाफ बड़ी धाराएं लगाईं थी इसमें 302, 307,34 धारा शामिल थी. इससे सवाल उठना लाजमी है कि, राशि देकर आप वोट बैंक को साध रहे हैं और इस तरह की घटनाओं से चोरी करने वालों के हौसले बढ़ेंगे और रक्षा करने वालों के हौसले पस्त होगें. वन अमले पर पथराव किया गया. बचाव में उन्होंने फायरिंग की. इस तरह रात में जंगल के अंदर जाना क्या दिखाता है कि, लकड़ी चोरी करने के इरादे से लोग घुसे और जब वन अमला पहुंचा तो पथराव शुरु कर दिया गया.

वन माफिया के गिरोह सक्रिय: विदिशा से लगे जंगलों का हाल ये है कि, यहां पर मोटरसाइकिलों से शाम होते ही सागोन के बड़े पेड़ो के ब्लाक काट कर मोटरसाइकिल के पीछे बांधकर खुले आम चोरी होती है. इतना ही नहीं सीहोर जिले में अंदर जंगलों में सागौन के नाम पर सिर्फ ठूठ ही मिलते हैं, जो बताते हैं कि किस तरह जंगलों में अवैध कटाई हो रही है.

सरकार बनते ही शुरु किया पौधारोपण: मुख्यमंत्री पिछले 2 साल से लगातार पौधे लगा रहे हैं. नर्मदा जयंती पर संकल्प लिया था और 19 फरवरी को पूरे मंत्रीमंडल के साथ पौधारोपण किया. 19 फरवरी 2021 को नर्मदा जयंती के दिन सीएम शिवराज ने प्रतिदिन एक पौधा लगाने का संकल्प लिया था. 2 साल पूरे होने पर उन्होंने अपने सभी मंत्रियों के साथ भोपाल एयरपोर्ट स्थित रामबन में पौधे लगाएं. इस दौरान अलग-अलग प्रजाति के कुल 750 पौधे लगाए गए. एमपी के अलावा अन्य राज्यों में 40 से अधिक पौधे लगाएं है. दो सालों में सीएम 2200 से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं.

रिपोर्ट में ऑकड़े: स्टेट ऑफ फॉरेस्ट की वर्ष 2009-10 और वर्ष 2021-22 की रिपोर्ट से पता चलता है कि, 2009-10 में राज्य में अति सघन, सघन और खुला वनक्षेत्र 77,700 वर्ग किमी था. जो वर्ष 2021-22 में घटकर 77,493 वर्ग किमी रह गया. यानी 12 साल में 207 वर्ग किमी जंगल घट गया. ऐसा तब हो रहा है. जब हर साल करोड़ों पौधारोपण होने का दावा किया जाता है. आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2009 में 7 लाख 47 हजार, वर्ष 2010 में 6 लाख 60 हजार और वर्ष 2011 में 7 लाख 4 हजार पौधे रोपे गए. साल 2020-21 में वन विभाग ने 3 करोड़ 86 लाख से ज्यादा और साल 2021-22 में 3 करोड़ 2 लाख से ज्यादा पौधे लगाए.

ओपन फॉरेस्ट का दायरा: 2019-20 में मध्यम घना जंगल 34,341 वर्ग किमी था, जो वर्ष 2021-22 में घटकर 34,209 वर्ग किमी रह गया. यही नहीं, बहुत घने जंगल का रकबा भी दो वर्ग किमी घटा ही है. वर्ष 2019-20 में ये आंकड़ा 6667 वर्ग किमी था. वर्ष 2021-22 में घटकर 6665 वर्ग किमी पर आ गया. दूसरी तरफ, वर्ष 2019 में ओपन फॉरेस्ट का दायरा 36465 वर्ग किमी था, जो वर्ष 2021-22 में बढ़कर 36618 वर्ग किमी हो गया है. रिपोर्ट के मुताबिक ओपन फॉरेस्ट का दायरा 153 वर्ग किमी तक बढ़ गया है. एमपी में साल 2021-22 में अकेले पौधारोपण पर 350.96 करोड़ रुपए खर्च हुए, वहीं इनके संरक्षण पर भी सरकार ने 17.98 करोड़ रुपए खर्च कर डाले. इसी तरह साल 2020-21 में पौधारोपण पर 348 करोड़ और संरक्षण पर 20.92 करोड़ रुपए खर्च हुए थे.
अवैध उत्खनन का प्रकरण: भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले चार सालों में राज्य में अवैध खनन से 10974 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ. रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2018 में अवैध खनन के 888 प्रकरण दर्ज हुए. अवैध उत्खनन से 3109 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ. साल 2019 में अवैध उत्खनन के 973 मामले सामने आए. इससे 5371 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हो गया. वर्ष 2020 में 1062 अवैध उत्खनन के प्रकरण दर्ज हुए. इससे 1772 हेक्टेयर जंगल पर असर पड़ा. इसके चलते साल 2018 से 2021 तक 10974 हेक्टेयर जंगल अवैध उत्खनन से खराब हो गया है.

क्या कहते हैं जानकार: पूर्व आईएफएस अधिकारी आजाद सिंह डबास का कहना है कि, जंगलों की जमकर कटाई हो रही है. वन अमला है नहीं और उसे सरकार अधिकार और बंदूक भी नहीं देती है. नेता या मंत्री अपने इलाके में हो रही जंगल की कटाई से वाकिफ है, लेकिन वोट बैंक नाराज ना हो इसलिए चुपचाप देखते रहते हैं. इनके संरक्षण में सागौन सहित अन्य जंगल साफ हो रहे हैं.

वृक्षारोपण को लेकर जांच: कांग्रेस सरकार में वन मंत्री रहे उमंग सिंघार ने सीएम शिवराज सिंह द्वारा नर्मदा नदी किनारे वृक्षारोपण को लेकर जांच कराई. इसमें सामने आया कि, करोड़ों की बंदरबांट नर्मदा किनारे पौधे लगाने में हो गई. 6 करोड़ पौधों में कुछ लाख ही जमीन पर लगे बाकी कागजों में लग गए. उमंग सिंघार का कहना है कि, इसकी रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई. शिवराज सरकार हर साल पौधारोपण के लिए करोड़ो का हेर फेर कर रही है.

Sehore News: शिवराज के गढ़ में दिग्विजय सिंह की सेंध, शिवराज को बताया नौटंकी

कांग्रेस के आरोप को बताया निराधार: वन मंत्री विजय शाह का कहना है कि, आंकड़े बता रहे हैं कि, हमारी सरकार में जंगल का दायरा बढ़ रहा है. जहां तक अवैध वन कटाई का मामला है तो हमारा वन अमला लगातार कार्रवाई करता है. कांग्रेस के आरोप पूरी तरह निराधार हैं. मध्यप्रदेश में लगातार पौधारोपण हो रहा है. उनका सर्वाईवल रेट भी अब बढ़ने लगा है.

भोपाल। शिवराज सिंह चौहान को बतौर मुख्यमंत्री 19 साल हो रहे हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह लोगों के साथ पौधे लगा रहे हैं, लेकिन विधानसभा की रिपोर्ट बता रही है कि, पिछले 4 सालों में पौधारोपण और उसके संरक्षण के लिए 1600 करोड़ खर्च किए. बावजूद इसके हरियाली का रकबा नहीं बढ़ रहा है. पिछले 15 सालों में वनवासियों को वन अधिकार पट्टा के तहत 3 लाख 14 हजार हेक्टेयर भूमि दे दी गई. लकड़ी चोरी करने वालों को इनाम और रक्षकों को सजा हो गई. आपको सुनकर जरुर आश्चर्य होगा, लेकिन प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह ने विदिशा में लकड़ी चोरी के दौरान हुई फायरिंग से व्यक्ति की मौत पर 20 लाख रुपए और घायलों को 5- 5 लाख रुपए दिए.

चोरों के बढ़ें हौंसले: पुलिस ने वन अमले के खिलाफ बड़ी धाराएं लगाईं थी इसमें 302, 307,34 धारा शामिल थी. इससे सवाल उठना लाजमी है कि, राशि देकर आप वोट बैंक को साध रहे हैं और इस तरह की घटनाओं से चोरी करने वालों के हौसले बढ़ेंगे और रक्षा करने वालों के हौसले पस्त होगें. वन अमले पर पथराव किया गया. बचाव में उन्होंने फायरिंग की. इस तरह रात में जंगल के अंदर जाना क्या दिखाता है कि, लकड़ी चोरी करने के इरादे से लोग घुसे और जब वन अमला पहुंचा तो पथराव शुरु कर दिया गया.

वन माफिया के गिरोह सक्रिय: विदिशा से लगे जंगलों का हाल ये है कि, यहां पर मोटरसाइकिलों से शाम होते ही सागोन के बड़े पेड़ो के ब्लाक काट कर मोटरसाइकिल के पीछे बांधकर खुले आम चोरी होती है. इतना ही नहीं सीहोर जिले में अंदर जंगलों में सागौन के नाम पर सिर्फ ठूठ ही मिलते हैं, जो बताते हैं कि किस तरह जंगलों में अवैध कटाई हो रही है.

सरकार बनते ही शुरु किया पौधारोपण: मुख्यमंत्री पिछले 2 साल से लगातार पौधे लगा रहे हैं. नर्मदा जयंती पर संकल्प लिया था और 19 फरवरी को पूरे मंत्रीमंडल के साथ पौधारोपण किया. 19 फरवरी 2021 को नर्मदा जयंती के दिन सीएम शिवराज ने प्रतिदिन एक पौधा लगाने का संकल्प लिया था. 2 साल पूरे होने पर उन्होंने अपने सभी मंत्रियों के साथ भोपाल एयरपोर्ट स्थित रामबन में पौधे लगाएं. इस दौरान अलग-अलग प्रजाति के कुल 750 पौधे लगाए गए. एमपी के अलावा अन्य राज्यों में 40 से अधिक पौधे लगाएं है. दो सालों में सीएम 2200 से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं.

रिपोर्ट में ऑकड़े: स्टेट ऑफ फॉरेस्ट की वर्ष 2009-10 और वर्ष 2021-22 की रिपोर्ट से पता चलता है कि, 2009-10 में राज्य में अति सघन, सघन और खुला वनक्षेत्र 77,700 वर्ग किमी था. जो वर्ष 2021-22 में घटकर 77,493 वर्ग किमी रह गया. यानी 12 साल में 207 वर्ग किमी जंगल घट गया. ऐसा तब हो रहा है. जब हर साल करोड़ों पौधारोपण होने का दावा किया जाता है. आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2009 में 7 लाख 47 हजार, वर्ष 2010 में 6 लाख 60 हजार और वर्ष 2011 में 7 लाख 4 हजार पौधे रोपे गए. साल 2020-21 में वन विभाग ने 3 करोड़ 86 लाख से ज्यादा और साल 2021-22 में 3 करोड़ 2 लाख से ज्यादा पौधे लगाए.

ओपन फॉरेस्ट का दायरा: 2019-20 में मध्यम घना जंगल 34,341 वर्ग किमी था, जो वर्ष 2021-22 में घटकर 34,209 वर्ग किमी रह गया. यही नहीं, बहुत घने जंगल का रकबा भी दो वर्ग किमी घटा ही है. वर्ष 2019-20 में ये आंकड़ा 6667 वर्ग किमी था. वर्ष 2021-22 में घटकर 6665 वर्ग किमी पर आ गया. दूसरी तरफ, वर्ष 2019 में ओपन फॉरेस्ट का दायरा 36465 वर्ग किमी था, जो वर्ष 2021-22 में बढ़कर 36618 वर्ग किमी हो गया है. रिपोर्ट के मुताबिक ओपन फॉरेस्ट का दायरा 153 वर्ग किमी तक बढ़ गया है. एमपी में साल 2021-22 में अकेले पौधारोपण पर 350.96 करोड़ रुपए खर्च हुए, वहीं इनके संरक्षण पर भी सरकार ने 17.98 करोड़ रुपए खर्च कर डाले. इसी तरह साल 2020-21 में पौधारोपण पर 348 करोड़ और संरक्षण पर 20.92 करोड़ रुपए खर्च हुए थे.
अवैध उत्खनन का प्रकरण: भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले चार सालों में राज्य में अवैध खनन से 10974 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ. रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2018 में अवैध खनन के 888 प्रकरण दर्ज हुए. अवैध उत्खनन से 3109 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ. साल 2019 में अवैध उत्खनन के 973 मामले सामने आए. इससे 5371 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हो गया. वर्ष 2020 में 1062 अवैध उत्खनन के प्रकरण दर्ज हुए. इससे 1772 हेक्टेयर जंगल पर असर पड़ा. इसके चलते साल 2018 से 2021 तक 10974 हेक्टेयर जंगल अवैध उत्खनन से खराब हो गया है.

क्या कहते हैं जानकार: पूर्व आईएफएस अधिकारी आजाद सिंह डबास का कहना है कि, जंगलों की जमकर कटाई हो रही है. वन अमला है नहीं और उसे सरकार अधिकार और बंदूक भी नहीं देती है. नेता या मंत्री अपने इलाके में हो रही जंगल की कटाई से वाकिफ है, लेकिन वोट बैंक नाराज ना हो इसलिए चुपचाप देखते रहते हैं. इनके संरक्षण में सागौन सहित अन्य जंगल साफ हो रहे हैं.

वृक्षारोपण को लेकर जांच: कांग्रेस सरकार में वन मंत्री रहे उमंग सिंघार ने सीएम शिवराज सिंह द्वारा नर्मदा नदी किनारे वृक्षारोपण को लेकर जांच कराई. इसमें सामने आया कि, करोड़ों की बंदरबांट नर्मदा किनारे पौधे लगाने में हो गई. 6 करोड़ पौधों में कुछ लाख ही जमीन पर लगे बाकी कागजों में लग गए. उमंग सिंघार का कहना है कि, इसकी रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई. शिवराज सरकार हर साल पौधारोपण के लिए करोड़ो का हेर फेर कर रही है.

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कांग्रेस के आरोप को बताया निराधार: वन मंत्री विजय शाह का कहना है कि, आंकड़े बता रहे हैं कि, हमारी सरकार में जंगल का दायरा बढ़ रहा है. जहां तक अवैध वन कटाई का मामला है तो हमारा वन अमला लगातार कार्रवाई करता है. कांग्रेस के आरोप पूरी तरह निराधार हैं. मध्यप्रदेश में लगातार पौधारोपण हो रहा है. उनका सर्वाईवल रेट भी अब बढ़ने लगा है.

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