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CM Shivraj: बंटाढार थी दिग्विजय सरकार, पुराना आरोप लेकर कांग्रेस की नाकामियां गिनाने जनता के बीच फिर जा रही भाजपा - Mp news

बजट जैसे नीरस विषयों को लेकर शिवराज सरकार जनता के बीच जा रही है सरकार यह बताने की कोशिश कर रही है कि की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के आने के बाद जो विकास दर माइनस में थी वह अब दहाई का आंकड़ा छू गई है यानी कि सबसे ज्यादा स्थिति दिग्विजय सिंह शासनकाल में सरकार की खराब रही बीजेपी सरकार का पूरा फोकस दिग्विजय सिंह की नाकामियों को जनता के बीच फिर से ले जाना है और इसका आधार आर्थिक सर्वेक्षण लिया गया है.

cm shivraj
सीएम शिवराज
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Published : Mar 10, 2023, 9:04 PM IST

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आर्थिक सर्वेक्षण पर शुक्रवार को जनता से संवाद किया. सरकार अपनी आर्थिक स्थिति को बताने के लिए आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट पेश करती है जिसमें सरकार का लेखा-जोखा होता है. मध्यप्रदेश में भले ही सरकार पर 3 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज हो लेकिन शिवराज सरकार का मानना है कि इसके बावजूद वह लगातार जीडीपी सहित अन्य मामलों में विकास की तरफ बढ़ रही है और मध्य प्रदेश अब विकसित राज्य की श्रेणी में आ चुका है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित सत्ता और संगठन आर्थिक सर्वेक्षण के पहलुओं को जनता के बीच ले जाकर बताएंगे कि दिग्विजय सिंह वाकई बंटाधार थे लेकिन जैसे ही बीजेपी सरकार आई और शिवराज सिंह चौहान को कमान दी गई तो मध्य प्रदेश स्वर्णिम मध्यप्रदेश बन गया.

रूखा-सूखा बजट: संवाद में सीएम शिवराज ने कहा कि अक्सर बजट बड़ा रूखा-सूखा विषय होता है. जनता समझती है कि हमारा इससे क्या लेना-देना, यह तो विशेषज्ञों का काम है. हमारा प्रयास है कि बजट बनाने में भी पब्लिक की भागीदारी होनी चाहिए. 4 हजार से ज्यादा सुझाव जनता के बीच से आए और हमने ज्यादातर सुझावों को क्रियान्वित किया है. सीएम ने कहा कि कृषि, ग्रामीण विकास, उद्योग, व्यापार, सामाजिक-आर्थिक विकास, कौशल विकास, सुशासन, विज्ञान प्रोद्योगिकी जैसे अनेक विषय हैं, जिनमें मध्यप्रदेश ने अच्छा प्रदर्शन किया है. आर्थिक सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि अगर सार्थक प्रयास किए जाएं, तो चुनौतियों को कामयाबी में बदला जा सकता है.

लिमिट में कर्ज: सीएम ने बताया कि हमारी आर्थिक विकास दर 18% के पार थी, इसके ऊपर इस बार हमने 16.4% की दर अर्जित की है. 2001-02 में तो यह केवल 3-4% थी. 2002-03 में सकल घरेलू उत्पाद 71 करोड़ के आसपास था. 2022-23 में हमारा सकल घरेलू उत्पाद 13,22,821 करोड़ रुपए है. पर कैपिटा इनकम 2002-03 में 11 हजार रुपये थी 2022-23 में यह 1,40,583 रुपये हो गई है. सीएम ने कहा कि मैं अभी संतुष्ट नहीं हूं, हमें और आगे जाना है. जनता को बताएंगे सरकार ने कर्ज लिया है लेकिन लिमिट से बाहर नहीं गए, उससे जनता को कोई नुकसान नहीं. सीएम ने कहा कि कई बार आरोप लगाया जाता है कि कर्ज ले लिया लेकिन ऋण लेने के कुछ मापदंड होते हैं, कुछ आधार होते हैं. 2005 में ऋण जीएसडीपी का अनुपात था 39.5%, लेकिन 2020-21 में यह घटकर 22.6% हो गया.

Read More: एमपी पॉलिटिक्स से जुड़ी अन्य खबरें


सीएम ने बताया कि एक इन्डिकेटर होता है कि कैपिटल एक्सपेन्डिचर क्या है. कोविड के कठिन समय में भी हमारा पूंजीगत व्यय 45,685 करोड़ था. जीएसटी में इस साल 22% की वृद्धि दर्ज की गई, हम देश के टॉप 5 प्रदेश में हैं.

  • किसानों को ऋण में 30.1% और MSME को ऋण में 30.2% की वृद्धि हुई है.
  • 2001-02 तक कृषि विकास दर केवल 3% थी, अब बढ़कर 19% हो गई है.
  • 2013-14 में गेहूं उत्पादन 174.8 लाख मीट्रिक टन था, 2022-23 में यह बढ़कर 352.7 लाख मीट्रिक टन हो गया. गेहूं के एक्सपोर्ट में हमने 46% की वृद्धि हासिल की.
  • धान का उत्पादन 53.2 लाख मीट्रिक टन था, जो बढ़कर 131.8 लाख मीट्रिक टन हो गया.
  • जब हमने सरकार संभाली, तब सिंचाई क्षमता साढ़े 7 लाख हेक्टेयर थी, हमने इसे बढ़ाकर किया 45 लाख हेक्टेयर.
  • औद्योगिक विकास दर -0.6% थी, जो 2022-23 में बढ़कर 24% हो गई.
  • इस साल का जो बजट है, वो हमारे कुशल वित्तीय प्रबंधन की तरफ इशारा करता है.
  • अब हम 3 लाख करोड़ के क्लब में शामिल हो गए हैं, इस साल बजट 3,14,025 करोड़ का है.
  • हमारा राजकोषीय घाटा 55,709 करोड़ रुपये अनुमानित है, जो हमारे जीएसडीपी के 4% की सीमा में है, जो भारत सरकार अलाऊ करती है.
  • ऋण जीएसडीपी अनुपात 2002-03 में 31.6% था, वो घटकर इस साल अनुमान है 27.8% रहने का.
  • आत्मनिर्भर भारत के लिए हमने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने का निर्णय लिया.
  • कैपिटल एक्सपेन्डिचर बढ़ाकर हमने 56,256 करोड़ रुपये रखा गया है.

स्वरोजगार के अवसर: सीएम ने बताया कि इस साल हमने मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना बनाई. 1,02,976 करोड़ रुपये हम माँ-बहन-बेटी पर खर्च कर रहे हैं. यह फ्री में बांटने की योजना नहीं है. हमने एक प्रयोग किया था बैगा, भारिया और सहरिया जनजाति को आहार अनुदान राशि देने का और इसका असेसमेंट किया. आपको जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि पोषण का स्तर बढ़ गया, इसलिए हमने इसे लागू किया. युवाओं के लिए 1,24,000 शासकीय नौकरी में भर्ती चालू है, उद्यम क्रांति योजना के तहत ऋण देते हैं और हर माह रोजगार दिवस के माध्यम से ढाई लाख लोगों को स्वरोजगार के लिए ऋण देते हैं.

ये हुए विकास: सीएम ने बताया कि खेल के लिए 738 करोड़ रुपये, हेल्थ, शहरी विकास के लिए 14,882 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. अब हम रोपवे और केबल कार पर फोकस कर रहे हैं. इंफ्रा में विंध्य, नर्मदा और अटल एक्सप्रेस वे बनाएंगे, इसके दोनों ओर क्लस्टर डेवलप करेंगे. सीएम राइज स्कूल में हम एक स्कूल पर 38-38 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं. मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है जिसने डिपार्टमेंट ऑफ हैप्पीनेस बनाया. शरीर, मन और बुद्धि के साथ आत्मा का सुख जरूरी है, इसके लिए हमने महाकाल महलोक बनाया, आचार्य शंकर का स्टेच्यू ऑफ वननेस बन रहा है, सलकनपुर में देवीलोक बन रहा है. मेरा विचार है कि हम बजट पर भी सभाएं करें और गांव के लोगों को भी बजट समझाएं.

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आर्थिक सर्वेक्षण पर शुक्रवार को जनता से संवाद किया. सरकार अपनी आर्थिक स्थिति को बताने के लिए आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट पेश करती है जिसमें सरकार का लेखा-जोखा होता है. मध्यप्रदेश में भले ही सरकार पर 3 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज हो लेकिन शिवराज सरकार का मानना है कि इसके बावजूद वह लगातार जीडीपी सहित अन्य मामलों में विकास की तरफ बढ़ रही है और मध्य प्रदेश अब विकसित राज्य की श्रेणी में आ चुका है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित सत्ता और संगठन आर्थिक सर्वेक्षण के पहलुओं को जनता के बीच ले जाकर बताएंगे कि दिग्विजय सिंह वाकई बंटाधार थे लेकिन जैसे ही बीजेपी सरकार आई और शिवराज सिंह चौहान को कमान दी गई तो मध्य प्रदेश स्वर्णिम मध्यप्रदेश बन गया.

रूखा-सूखा बजट: संवाद में सीएम शिवराज ने कहा कि अक्सर बजट बड़ा रूखा-सूखा विषय होता है. जनता समझती है कि हमारा इससे क्या लेना-देना, यह तो विशेषज्ञों का काम है. हमारा प्रयास है कि बजट बनाने में भी पब्लिक की भागीदारी होनी चाहिए. 4 हजार से ज्यादा सुझाव जनता के बीच से आए और हमने ज्यादातर सुझावों को क्रियान्वित किया है. सीएम ने कहा कि कृषि, ग्रामीण विकास, उद्योग, व्यापार, सामाजिक-आर्थिक विकास, कौशल विकास, सुशासन, विज्ञान प्रोद्योगिकी जैसे अनेक विषय हैं, जिनमें मध्यप्रदेश ने अच्छा प्रदर्शन किया है. आर्थिक सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि अगर सार्थक प्रयास किए जाएं, तो चुनौतियों को कामयाबी में बदला जा सकता है.

लिमिट में कर्ज: सीएम ने बताया कि हमारी आर्थिक विकास दर 18% के पार थी, इसके ऊपर इस बार हमने 16.4% की दर अर्जित की है. 2001-02 में तो यह केवल 3-4% थी. 2002-03 में सकल घरेलू उत्पाद 71 करोड़ के आसपास था. 2022-23 में हमारा सकल घरेलू उत्पाद 13,22,821 करोड़ रुपए है. पर कैपिटा इनकम 2002-03 में 11 हजार रुपये थी 2022-23 में यह 1,40,583 रुपये हो गई है. सीएम ने कहा कि मैं अभी संतुष्ट नहीं हूं, हमें और आगे जाना है. जनता को बताएंगे सरकार ने कर्ज लिया है लेकिन लिमिट से बाहर नहीं गए, उससे जनता को कोई नुकसान नहीं. सीएम ने कहा कि कई बार आरोप लगाया जाता है कि कर्ज ले लिया लेकिन ऋण लेने के कुछ मापदंड होते हैं, कुछ आधार होते हैं. 2005 में ऋण जीएसडीपी का अनुपात था 39.5%, लेकिन 2020-21 में यह घटकर 22.6% हो गया.

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सीएम ने बताया कि एक इन्डिकेटर होता है कि कैपिटल एक्सपेन्डिचर क्या है. कोविड के कठिन समय में भी हमारा पूंजीगत व्यय 45,685 करोड़ था. जीएसटी में इस साल 22% की वृद्धि दर्ज की गई, हम देश के टॉप 5 प्रदेश में हैं.

  • किसानों को ऋण में 30.1% और MSME को ऋण में 30.2% की वृद्धि हुई है.
  • 2001-02 तक कृषि विकास दर केवल 3% थी, अब बढ़कर 19% हो गई है.
  • 2013-14 में गेहूं उत्पादन 174.8 लाख मीट्रिक टन था, 2022-23 में यह बढ़कर 352.7 लाख मीट्रिक टन हो गया. गेहूं के एक्सपोर्ट में हमने 46% की वृद्धि हासिल की.
  • धान का उत्पादन 53.2 लाख मीट्रिक टन था, जो बढ़कर 131.8 लाख मीट्रिक टन हो गया.
  • जब हमने सरकार संभाली, तब सिंचाई क्षमता साढ़े 7 लाख हेक्टेयर थी, हमने इसे बढ़ाकर किया 45 लाख हेक्टेयर.
  • औद्योगिक विकास दर -0.6% थी, जो 2022-23 में बढ़कर 24% हो गई.
  • इस साल का जो बजट है, वो हमारे कुशल वित्तीय प्रबंधन की तरफ इशारा करता है.
  • अब हम 3 लाख करोड़ के क्लब में शामिल हो गए हैं, इस साल बजट 3,14,025 करोड़ का है.
  • हमारा राजकोषीय घाटा 55,709 करोड़ रुपये अनुमानित है, जो हमारे जीएसडीपी के 4% की सीमा में है, जो भारत सरकार अलाऊ करती है.
  • ऋण जीएसडीपी अनुपात 2002-03 में 31.6% था, वो घटकर इस साल अनुमान है 27.8% रहने का.
  • आत्मनिर्भर भारत के लिए हमने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने का निर्णय लिया.
  • कैपिटल एक्सपेन्डिचर बढ़ाकर हमने 56,256 करोड़ रुपये रखा गया है.

स्वरोजगार के अवसर: सीएम ने बताया कि इस साल हमने मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना बनाई. 1,02,976 करोड़ रुपये हम माँ-बहन-बेटी पर खर्च कर रहे हैं. यह फ्री में बांटने की योजना नहीं है. हमने एक प्रयोग किया था बैगा, भारिया और सहरिया जनजाति को आहार अनुदान राशि देने का और इसका असेसमेंट किया. आपको जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि पोषण का स्तर बढ़ गया, इसलिए हमने इसे लागू किया. युवाओं के लिए 1,24,000 शासकीय नौकरी में भर्ती चालू है, उद्यम क्रांति योजना के तहत ऋण देते हैं और हर माह रोजगार दिवस के माध्यम से ढाई लाख लोगों को स्वरोजगार के लिए ऋण देते हैं.

ये हुए विकास: सीएम ने बताया कि खेल के लिए 738 करोड़ रुपये, हेल्थ, शहरी विकास के लिए 14,882 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. अब हम रोपवे और केबल कार पर फोकस कर रहे हैं. इंफ्रा में विंध्य, नर्मदा और अटल एक्सप्रेस वे बनाएंगे, इसके दोनों ओर क्लस्टर डेवलप करेंगे. सीएम राइज स्कूल में हम एक स्कूल पर 38-38 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं. मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है जिसने डिपार्टमेंट ऑफ हैप्पीनेस बनाया. शरीर, मन और बुद्धि के साथ आत्मा का सुख जरूरी है, इसके लिए हमने महाकाल महलोक बनाया, आचार्य शंकर का स्टेच्यू ऑफ वननेस बन रहा है, सलकनपुर में देवीलोक बन रहा है. मेरा विचार है कि हम बजट पर भी सभाएं करें और गांव के लोगों को भी बजट समझाएं.

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