भोपाल। चुनावी साल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को तोहफा दिया है. अब आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 13 हजार मानदेय दिया जाएगा जबकि मिनी आंगनबाड़ी में कार्यकर्ताओं को 6500 मानदेय दिया जाएगा. उसके साथ ही एक हज़ार लाडली बहना का अलग से दिया जाएगा. यह सभी घोषणाएं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में की. भोपाल के भेल दशहरा मैदान में आयोजित इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में प्रदेश को से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुबह से ही जुटना शुरू हो गई थी. यह मुख्य रूप से अपने मानदेय और परमानेंट किए जाने की मांग कर रही थी. इन्हीं मांगों को लेकर यह सभी कई समय से सरकार के खिलाफ भी आंदोलन करती आई हैं. ऐसे में चुनावी साल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इनके लिए कई घोषणाएं की है.
आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए घोषणा: शिवराज ने कहा कि हमने सिर्फ आंगनबाड़ी बहनों के मानदेय का ही ध्यान नहीं रखा है. उनके रिटायर होने पर हर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को सवा लाख रुपय एक मुश्त दिया जाएगा. साथ ही आंगनबाड़ी सहायिका को एक लाख रुपय दिया जाएगा. तो कार्यकर्ता सहायिका का पांच लाख रुपए का स्वास्थ्य और दुर्घटना बीमा भी कराया जाएगा. पदोन्नति का 50 परसेंट का काम पहले ही कर दिया गया है. इधर शिवराज ने आंगनबाड़ी सहायिका के पदों का आरक्षण भी बढ़ा दिया है. पहले जहां 25% यह आरक्षण था वहीं इसे बढ़ाकर अब 50% कर दिया गया है. शिवराज ने कहा कि हम सहायिका के पद बढ़ाने का आरक्षण बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने जा रहे है.
लाडली बहना योजना का भी लाभ: शिवराज ने इस दौरान लाडली बहना योजना का जिक्र करते हुए कहा कि आंगनबाड़ी बहने भी लाडली बहना है. यह काम के दौरान फॉर्म भरवाने के लिए खेतों में गई. ऊपर चढ़कर हाइट पर फॉर्म भरवाए. ऐसे में इस योजना का लाभ इन बहनों को भी मिलना चाहिए. सीएम ने कहा कि इन्हें अलग से ₹1000 लाडली बहना के भी दिए जाएंगे. जो आपके खाते में अलग से आएगे. यहां शिवराज ने इस बहाने कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा. शिवराज ने कहा कि 2018 में हमने मानदेय बढ़ाया था जबकि कांग्रेस ने कुछ नहीं किया और 1500 रुपए और काट लिए.
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इससे बड़ी उम्मीद थी: इधर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इस निर्णय से थोड़ी खुशी जरूर हुई लेकिन उनका कहना था कि वह कई समय से 20 से 25 हजार मानदेय की मांग कर रही थी, लेकिन यहां उन्हें 13000 पर ही संतुष्ट होना पड़ रहा है. भोपाल की रहने वाली रेखा आर्य का कहना है कि वह कई समय से आंगनवाड़ी के लिए लगातार काम कर रही है. इसके साथ ही उन्हें अन्य विभागों ई कामों के लिए भी ड्यूटी पर लगा दिया जाता है जबकि अलग से उन्हें उसका कोई मानदेह या भुगतान नहीं होता है. ऐसे में इतने कम पैसे में आज के समय में परिवार का गुजारा करना बेहद मुश्किल है. सरिता यादव का कहना है कि वह उम्मीद लगाकर इस सम्मेलन में आई थी कि सरकार उन्हें परमानेंट कर देगी, लेकिन इस बार भी उन्हें परमानेंट नहीं किया गया जबकि इन्हें उम्मीद थी कि चुनावी साल में यह परमानेंट हो जाएंगी. फिर भी यह रिटायरमेंट पर सवा लाख रुपए एकमुश्त दिए जाने पर खुश नजर आ रही हैं.