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Shivraj on Kamalnath: फसलों के सर्वे को लेकर शिवराज का पूर्व मुख्यमंत्री पर तंज, बोले- कमलनाथ की ट्यूबलाइट देर से जलती है

अतिवृष्टि और ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसलों का सर्वे कराने को लेकर कमलनाथ ने सीएम शिवराज पर हमला बोला था जिस पर सीएम ने करारा पलटवार किया है. सीएम ने कहा कि सत्ता में आने के लिए कमलनाथ केवल झूठ का सहारा लेते हैं.

cm shivraj attack on kamalnath
शिवराज का पूर्व मुख्यमंत्री पर तंज
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Published : Mar 22, 2023, 4:38 PM IST

शिवराज का पूर्व मुख्यमंत्री पर तंज

भोपाल। एमपी में बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसलों के सर्वे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बयान पर सीएम शिवराज ने पलटवार किया है. सीएम ने कहा कि व्यस्तताओं के कारण कमलनाथ से सवाल नहीं पूछ पाया था. एक तो उनकी ट्यूबलाइट बहुत देर से जलती है. ओलावृष्टि से पीड़ित किसानों के लिए प्रदेश की सरकार ने, मैंने स्वयं पहले से ही सर्वे का काम प्रारंभ कर दिया था. जहां पहले ओलावृष्टि हुई वहां सर्वे का काम लगभग पूरा हो रहा है लेकिन वह चिट्ठी बड़ी देर से लिखते हैं, जाते नहीं है, केवल चिट्ठियां लिखते हैं. मैं उनसे पूछना चाहता हूं, कमलनाथ जी आपके पास एक ही चारा है जिसका आप उपयोग करते हैं. सत्ता में आने के लिए झूठ, झूठ और केवल झूठ. कांग्रेस का तो नीतिवाक्य होना चाहिए, 'झूठ के साथ कमलनाथ.

नहीं दी फूटी कौड़ी: सीएम ने कहा कि पिछले चुनाव से पहले आत्मविश्वास से झूठ बोलना और फिर मुकर जाना, यह कांग्रेस की फितरत रही है. कमलनाथ आपने वादा किया था, विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा, बारिया, सहरिया समाज के लोग जो अभिकरण क्षेत्रों से बाहर रह रहे हैं उन्हें अभिकरण के दायरे में लाएंगे, प्रतिमाह पोषण के लिए 15 सौ रुपए की राशि देंगे. 1500 तो छोड़िए, ना तो उन्हें अभिकरणों के बाहर लाए, ना तो फूटी कौड़ी इन विशेष पिछड़ी जनजाति के बहनों और भाइयों को दी. इतना जरूर है जो 1 हजार रूपया हम देते थे. वह भी बंद करने का महापाप अपने किया.

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कमलनाथ ने बोला था हमला: पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि जिस समय किसान त्राहि-त्राहि कर रहा है उस समय प्रशासन में इस तरह की अफरा-तफरी मुख्यमंत्री की ओर से गंभीर अपराध से कम नहीं है. मैं मुख्यमंत्री से आग्रह करता हूं कि कांग्रेस को कोसना छोड़कर तत्काल किसानों की मदद करें और अधिकारियों की न्यायोचित मांगें मानकर हड़ताल समाप्त कराएं. कमलनाथ ने कहा कि मुख्यमंत्री को खुद हवाई सर्वेक्षण करके अब तक फसल को हुए नुकसान की सहायता राशि दे देनी चाहिए थी. दूसरी बात यह है कि जब सर्वेक्षण ही कराना था तो पहले से घोषित हड़ताल को रुकवाने के लिए कोई पहल क्यों नहीं की गई.

फसल बर्बादी: सरकारी आंकलन के मुताबिक ओला और बारिश से प्रभावित प्रदेश के 20 से ज्यादा जिले हैं. इन जिलों की 51 तहसीलों के 520 गांव से जो प्रारंभिक सूचना मिली है. उसमें 38 हजार 900 किसानों की 33 हजार 758 हेक्टेयर फसल नष्ट होने की प्रारंभिक सूचना है. बेमौसम की बरसात में प्रदेश के 12 जिलों में आकाशीय बिजली गिरने से 22 लोगों की मृत्यु हुई हैं. प्रदेश भर में दो फेज में की गई शुरुआती सर्वे रिपोर्ट के हिसाब से प्रदेश के तीन हजार से ज्यादा गांव में डेढ़ लाख हेक्टेयर से ज्यादा की फसल तबाह हुई है.

शिवराज का पूर्व मुख्यमंत्री पर तंज

भोपाल। एमपी में बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसलों के सर्वे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बयान पर सीएम शिवराज ने पलटवार किया है. सीएम ने कहा कि व्यस्तताओं के कारण कमलनाथ से सवाल नहीं पूछ पाया था. एक तो उनकी ट्यूबलाइट बहुत देर से जलती है. ओलावृष्टि से पीड़ित किसानों के लिए प्रदेश की सरकार ने, मैंने स्वयं पहले से ही सर्वे का काम प्रारंभ कर दिया था. जहां पहले ओलावृष्टि हुई वहां सर्वे का काम लगभग पूरा हो रहा है लेकिन वह चिट्ठी बड़ी देर से लिखते हैं, जाते नहीं है, केवल चिट्ठियां लिखते हैं. मैं उनसे पूछना चाहता हूं, कमलनाथ जी आपके पास एक ही चारा है जिसका आप उपयोग करते हैं. सत्ता में आने के लिए झूठ, झूठ और केवल झूठ. कांग्रेस का तो नीतिवाक्य होना चाहिए, 'झूठ के साथ कमलनाथ.

नहीं दी फूटी कौड़ी: सीएम ने कहा कि पिछले चुनाव से पहले आत्मविश्वास से झूठ बोलना और फिर मुकर जाना, यह कांग्रेस की फितरत रही है. कमलनाथ आपने वादा किया था, विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा, बारिया, सहरिया समाज के लोग जो अभिकरण क्षेत्रों से बाहर रह रहे हैं उन्हें अभिकरण के दायरे में लाएंगे, प्रतिमाह पोषण के लिए 15 सौ रुपए की राशि देंगे. 1500 तो छोड़िए, ना तो उन्हें अभिकरणों के बाहर लाए, ना तो फूटी कौड़ी इन विशेष पिछड़ी जनजाति के बहनों और भाइयों को दी. इतना जरूर है जो 1 हजार रूपया हम देते थे. वह भी बंद करने का महापाप अपने किया.

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कमलनाथ ने बोला था हमला: पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि जिस समय किसान त्राहि-त्राहि कर रहा है उस समय प्रशासन में इस तरह की अफरा-तफरी मुख्यमंत्री की ओर से गंभीर अपराध से कम नहीं है. मैं मुख्यमंत्री से आग्रह करता हूं कि कांग्रेस को कोसना छोड़कर तत्काल किसानों की मदद करें और अधिकारियों की न्यायोचित मांगें मानकर हड़ताल समाप्त कराएं. कमलनाथ ने कहा कि मुख्यमंत्री को खुद हवाई सर्वेक्षण करके अब तक फसल को हुए नुकसान की सहायता राशि दे देनी चाहिए थी. दूसरी बात यह है कि जब सर्वेक्षण ही कराना था तो पहले से घोषित हड़ताल को रुकवाने के लिए कोई पहल क्यों नहीं की गई.

फसल बर्बादी: सरकारी आंकलन के मुताबिक ओला और बारिश से प्रभावित प्रदेश के 20 से ज्यादा जिले हैं. इन जिलों की 51 तहसीलों के 520 गांव से जो प्रारंभिक सूचना मिली है. उसमें 38 हजार 900 किसानों की 33 हजार 758 हेक्टेयर फसल नष्ट होने की प्रारंभिक सूचना है. बेमौसम की बरसात में प्रदेश के 12 जिलों में आकाशीय बिजली गिरने से 22 लोगों की मृत्यु हुई हैं. प्रदेश भर में दो फेज में की गई शुरुआती सर्वे रिपोर्ट के हिसाब से प्रदेश के तीन हजार से ज्यादा गांव में डेढ़ लाख हेक्टेयर से ज्यादा की फसल तबाह हुई है.

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