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इंदौर के अंखफोड़वा कांड पर सीएम कमलनाथ ने जताया दुख, दिए जांच के आदेश - bhopal news

इंदौर के आई हॉस्पिटल में 11 मरीजों की आंखों की रोशनी जाने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर दुख जताया है. साथ ही सीएम ने जांच के आदेश भी दिए हैं.

इंदौर के अंखफोड़वा कांड पर सीएम कमलनाथ ने जताया दुख
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Published : Aug 17, 2019, 5:26 PM IST

भोपाल। इंदौर के आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में 11 मरीजों की आंखों की रोशनी जाने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर दुख जताया है. वहीं उन्होंने 10 साल पहले हुई उस घटना का हवाला देते हुए कहा है, कि इसी हॉस्पिटल में मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई थी और अस्पताल का राष्ट्रीय अंधत्व निवारण शिविर लगाने की अनुमति निरस्त कर दी गई थी. लेकिन 2015 में फिर से अनुमति दे दी गई थी. उन्होंने इस मामले में जांच कमेटी बनाकर जांच के भी आदेश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति को 50- 50 हजार की आर्थिक मदद का भी ऐलान किया है.

इंदौर के अंखफोड़वा कांड पर सीएम कमलनाथ ने जताया दुख

मुख्यमंत्री के ट्वीट के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण मामला है. जिन लोगों की आंखें गई हैं, उस पर सरकार ने तत्काल संज्ञान लिया है. उन्होंने निर्देशित किया है कि तत्काल 50 हजार की राशि पीड़ित मरीजों को मुआवजे के रूप में रेडक्रास सोसायटी की तरफ से दी जाए. इसके साथ ही मरीजों को चोइथराम अस्पताल में रेफर किया गया है. इसके अलावा 7 लोगों की कमेटी बनाई गई है, जो पूरे मामले की जांच करेगी.

2010-11 में इंदौर के आई हॉस्पिटल में 18 लोगों की रोशनी चली गई थी. तब इसे प्रतिबंधित किया गया था. लेकिन पूर्व की बीजेपी सरकार के दौरान 2015 में फिर से अस्पताल को अनुमति दे दी गई थी. अस्पताल के ऊपर राष्ट्रीय अंधत्व निवारण शिविर लगाने पर प्रतिबंध था, लेकिन इसे अनुमति कैसे मिली. ये सब जांच का विषय है. इस पर जांच की जा रही है.

भोपाल। इंदौर के आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में 11 मरीजों की आंखों की रोशनी जाने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर दुख जताया है. वहीं उन्होंने 10 साल पहले हुई उस घटना का हवाला देते हुए कहा है, कि इसी हॉस्पिटल में मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई थी और अस्पताल का राष्ट्रीय अंधत्व निवारण शिविर लगाने की अनुमति निरस्त कर दी गई थी. लेकिन 2015 में फिर से अनुमति दे दी गई थी. उन्होंने इस मामले में जांच कमेटी बनाकर जांच के भी आदेश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति को 50- 50 हजार की आर्थिक मदद का भी ऐलान किया है.

इंदौर के अंखफोड़वा कांड पर सीएम कमलनाथ ने जताया दुख

मुख्यमंत्री के ट्वीट के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण मामला है. जिन लोगों की आंखें गई हैं, उस पर सरकार ने तत्काल संज्ञान लिया है. उन्होंने निर्देशित किया है कि तत्काल 50 हजार की राशि पीड़ित मरीजों को मुआवजे के रूप में रेडक्रास सोसायटी की तरफ से दी जाए. इसके साथ ही मरीजों को चोइथराम अस्पताल में रेफर किया गया है. इसके अलावा 7 लोगों की कमेटी बनाई गई है, जो पूरे मामले की जांच करेगी.

2010-11 में इंदौर के आई हॉस्पिटल में 18 लोगों की रोशनी चली गई थी. तब इसे प्रतिबंधित किया गया था. लेकिन पूर्व की बीजेपी सरकार के दौरान 2015 में फिर से अस्पताल को अनुमति दे दी गई थी. अस्पताल के ऊपर राष्ट्रीय अंधत्व निवारण शिविर लगाने पर प्रतिबंध था, लेकिन इसे अनुमति कैसे मिली. ये सब जांच का विषय है. इस पर जांच की जा रही है.

Intro:भोपाल। इंदौर के आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में 11 मरीजों की आंखों की रोशनी जाने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर दुख जताया है। वहीं उन्होंने 10 साल पहले हुई उस घटना का हवाला देते हुए कहा है,जिसमें इसी हॉस्पिटल में मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई थी और अस्पताल का राष्ट्रीय अंधत्व निवारण शिविर लगाने की अनुमति निरस्त कर दी गई थी। लेकिन 2015 में से फिर अनुमति दे दी गई थी, उन्होंने इस मामले में जांच कमेटी बनाकर जांच के भी आदेश दिए हैं।मुख्यमंत्री ने प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति को 50-50 हजार की आर्थिक मदद का भी ऐलान किया है।


Body:मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट किया है कि...

इंदौर के आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 11 मरीजों की आंखों की रोशनी धूमिल होने की घटना बेहद दुखद, कलेक्टर को जांच के निर्देश। 9 वर्ष पूर्व इसी हॉस्पिटल में हुई घटना के बाद भी कैसे हास्पिटल को वापस अनुमति प्रदान की गई,जांच कर प्रबंधन व दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।

सभी मरीजों को अन्य अस्पताल में बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने से लेकर पीड़ित मरीजों की हर संभव मदद करने के निर्देश। इन सभी मरीजों के उपचार का खर्च शासन द्वारा वहन करने के साथ ही, प्रत्येक मरीज को 5050 हजार की सहायता के निर्देश।


Conclusion:मुख्यमंत्री के ट्वीट के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण मामला है। जिन लोगों की आंखें गई हैं, उस पर सरकार ने तत्काल संज्ञान लिया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ स्वयं चिंतित हैं। उन्होंने निर्देशित किया है कि तत्काल 50 हजार की राशि पीड़ित मरीजों को मुआवजे के रूप में रेडक्रास सोसायटी की तरफ से दी जाए। इसके साथ ही मरीजों को चोइथराम अस्पताल में रेफर किया गया है। चेन्नई के डॉक्टर रमन को तत्काल बुलाया गया है,जो इसकी देखभाल करेंगे। इसके अलावा 7 लोगों की कमेटी बनाई गई है। जो इस बात की जांच करेगी कि इस अस्पताल के द्वारा जो लापरवाही की गई है। यह एक निजी अस्पताल है और इसमें पहले भी एक ऐसी दुर्घटना हुई थी। 2010-11 में अस्पताल में 18 लोगों की रोशनी चली गई थी, तब इसे प्रतिबंधित किया गया था।लेकिन शिवराज सिंह सरकार के समय पता नहीं क्या अंदर खाने बातें हुई कि 2015 में फिर से अनुमति दे दी गई।अस्पताल के ऊपर राष्ट्रीय अंधत्व निवारण शिविर लगाने का प्रतिबंध था। लेकिन इसे अनुमति कैसे मिली। यह सब अनुमति पूर्व सरकार ने कैसे दी, यह सब जांच का विषय है।इस पर जांच की जा रही है। इलाज के दौरान 3 मरीजों की रोशनी लौट आई है,बाकी लोगों का ट्रीटमेंट जारी है,जल्द ही उन्हें राहत दी जा रही है। मुख्यमंत्री कमलनाथ का पहला फैसला यह है कि उनके इलाज में किसी तरह की कमी ना आए और उनकी सेहत पहले से ठीक हो। दूसरी चीजें है कि अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है।एक 7 सदस्य टीम इस मामले की जांच कल शाम को जांच रिपोर्ट सौंपेगी।
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