भोपाल। भारतीय ईसाई समाज की मध्यप्रदेश बॉडी के पदाधिकारियों ने बताया कि ईसाई समुदाय के अंतर्गत कैथोलिकए प्रोटेस्टेंट, पेंटेकोस्टल, ऑर्थोडॉकस, मार्थोमा अन्य वर्ग आते हैं और सभी यीशु मसीह की उपासना करते हैं, लेकिन सभी का उपासना करने का तरीका थोड़ा भिन्न होता है. हमेशा यह देखा जाता है कि चर्च में व इसके अतिरिक्त मसीह समाज अपनी सुविधा अनुसार प्रार्थना करते हैं. जब लोग वहा एकत्र होते हैं तो इसे धर्मांतरण का रूप दे दिया जाता है, जबकि यह सत्य नहीं है.
कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म गुरु के पास जा सकता है : किसी भी धर्म में भारत देश के संविधान के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म गुरु के पास आने जाने के लिए स्वतंत्र है. इसी प्रकार ईसाई पादरियों के पास भी लोग अपनी समस्याओं का निवारण व आशीष की प्रार्थना के लिए आते हैं, जिसको रोकना असंभव है. किसी भी धर्म के व्यक्ति का स्वेच्छा से चर्च में आना धर्मांतरण नहीं कहलाता. किसी भी स्थान पर अगर बाइबिल के वचन सुनाए जाते हैं तो वहां बैठे सुनने वाले लोगों का धर्मांतरण नहीं हो रहा. क्योंकि वह अपनी स्वेच्छा से वहां उपस्थित है.
बाइबिल सुनने के लिए कोई दबाव नहीं होता : ईसाई धर्मगुरुओं का कहना है कि बाइबिल के वचन सुनने के लिए कोई दबाव नहीं बनाया जाता. न वे बलपूर्वक वहां एकत्रित किए जाते हैं. बिशप डॉ. डेविड पगारे का कहना है कि भारतीय ईसाई समाज अपने देश पर और स्वयं भारतीय होने पर गर्व करता है. भारत के प्रशासन पर एवं भारत की न्यायपालिका पर हमें पूर्ण विश्वास है. हमारा समाज सदैव सिर्फ और सिर्फ समाज के उत्थान और समाज की बेहतरी के लिए कार्य करता है. हम राष्ट्रीय विचार धारा के लोग हैं. हम कोई भी ऐसा काम नहीं करते हैं, जिससे हमारी राष्ट्र की छवि धूमिल हो. ईसाई समुदाय हमेशा से शांति, भाईचारा व अहिंसा पर विश्वास रखता है व भारतीय संविधान पर पूर्ण विश्वास रखता है. (Incidents of conversion in MP) (Cleanliness of religious leaders of Christian society) (50 churches attacked in 5 months in MP) (No action taken against anyone)