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माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू के शुरूआती रुझान आए सामने, ठीक हुए कोरोना के दो मरीज

भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में कोरोना वायरस के इलाज के लिए कुष्ठ रोग में दी जाने वाली दवा माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू का क्लीनिकल ट्रायल किया गया है. इससे कोरोना संक्रमित दो मरीज ठीक भी हुए हैं. पढ़िए पूरी खबर...

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Published : May 9, 2020, 6:52 PM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल में एक ओर जहां लगातार मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है तो वहीं दूसरी ओर इसके इलाज और रोकथाम के लिए कई कोशिशें भी की जा रही हैं. भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में कोरोना वायरस के इलाज के लिए कुष्ठ रोग में दी जाने वाली दवा माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू का क्लीनिकल ट्रायल संक्रमित मरीजों पर किया जा रहा है और अब इसके शुरुआती नतीजे भी सामने आने लगे हैं.

इन नतीजों से कोरोना से जंग जीतने के लिए डॉक्टरों में एक नई उम्मीद जगी है. एम्स के निदेशक ने इस बारे में बताया कि माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू दवा का जो ट्रायल चल रहा है उसके नतीजे काफी उत्साहित करने वाले हैं. हमने अभी चयनित 40 मरीजों में से 3 पर इस दवा का ट्रायल किया था, जिसमें से 2 मरीजों का ट्रायल पूरा हो चुका है.

एम्स के निदेशक ने कहा कि ये दोनों मरीज गंभीर स्थिति वाले थे. इन्हें सांस लेने में दिक्कत थी, पर दवा देने के 7 दिन बाद ही यह आईसीयू से बाहर आ गए हैं और अब इन्हें ऑक्सीजन सप्लीमेंटेशन की बिल्कुल जरूरत नहीं है. तीसरे मरीज का अभी कोर्स चल रहा है. हालांकि इसके शुरुआती परिणाम उत्साहजनक हैं पर हम अभी इसका निष्कर्ष नहीं निकाल सकते. हमें इसके निष्कर्ष के लिए 40 या उससे ज्यादा मरीजों पर ट्रायल करना होगा. उसकी डिकोडिंग के बाद ही निष्कर्ष निकाला जा सकता है.

दवाई का मरीज पर कोई बुरा प्रभाव नहीं

अभी जिन मरीजों को यह दवाई दी गयी थी, उनके ऊपर इसका कोई बुरा असर देखने को नहीं मिला है और दोनों ही मरीज अब कोरोना संक्रमण से मुक्त हैं. एमडब्ल्यू के साथ एक और दवा भी दी गयी थी. इसलिए अभी यह कह पाना कि किस दवा ने कितना असर किया है थोड़ा मुश्किल है पर शुरुआती दौर में यह बात सामने आ रही है कि एमडब्ल्यू का मरीज पर कोई बुरा प्रभाव या कोई साइड इफेक्ट नहीं है.

अप्रैल महीने में शुरू किया गया था ट्रायल

आईसीएमआर और अमेरिका की फूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की मंजूरी के बाद एम्स भोपाल में कुष्ठ रोग में दी जाने वाली दवा एम डब्ल्यू का क्लीनिकल ट्रॉयल एम्स में अप्रैल महीने में शुरू किया गया था. यह ट्रायल देश की सबसे बड़ी अनुसंधान एजेंसी काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च की देखरेख में किया जा रहा है. यह दवा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार साबित होती है.

भोपाल। राजधानी भोपाल में एक ओर जहां लगातार मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है तो वहीं दूसरी ओर इसके इलाज और रोकथाम के लिए कई कोशिशें भी की जा रही हैं. भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में कोरोना वायरस के इलाज के लिए कुष्ठ रोग में दी जाने वाली दवा माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू का क्लीनिकल ट्रायल संक्रमित मरीजों पर किया जा रहा है और अब इसके शुरुआती नतीजे भी सामने आने लगे हैं.

इन नतीजों से कोरोना से जंग जीतने के लिए डॉक्टरों में एक नई उम्मीद जगी है. एम्स के निदेशक ने इस बारे में बताया कि माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू दवा का जो ट्रायल चल रहा है उसके नतीजे काफी उत्साहित करने वाले हैं. हमने अभी चयनित 40 मरीजों में से 3 पर इस दवा का ट्रायल किया था, जिसमें से 2 मरीजों का ट्रायल पूरा हो चुका है.

एम्स के निदेशक ने कहा कि ये दोनों मरीज गंभीर स्थिति वाले थे. इन्हें सांस लेने में दिक्कत थी, पर दवा देने के 7 दिन बाद ही यह आईसीयू से बाहर आ गए हैं और अब इन्हें ऑक्सीजन सप्लीमेंटेशन की बिल्कुल जरूरत नहीं है. तीसरे मरीज का अभी कोर्स चल रहा है. हालांकि इसके शुरुआती परिणाम उत्साहजनक हैं पर हम अभी इसका निष्कर्ष नहीं निकाल सकते. हमें इसके निष्कर्ष के लिए 40 या उससे ज्यादा मरीजों पर ट्रायल करना होगा. उसकी डिकोडिंग के बाद ही निष्कर्ष निकाला जा सकता है.

दवाई का मरीज पर कोई बुरा प्रभाव नहीं

अभी जिन मरीजों को यह दवाई दी गयी थी, उनके ऊपर इसका कोई बुरा असर देखने को नहीं मिला है और दोनों ही मरीज अब कोरोना संक्रमण से मुक्त हैं. एमडब्ल्यू के साथ एक और दवा भी दी गयी थी. इसलिए अभी यह कह पाना कि किस दवा ने कितना असर किया है थोड़ा मुश्किल है पर शुरुआती दौर में यह बात सामने आ रही है कि एमडब्ल्यू का मरीज पर कोई बुरा प्रभाव या कोई साइड इफेक्ट नहीं है.

अप्रैल महीने में शुरू किया गया था ट्रायल

आईसीएमआर और अमेरिका की फूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की मंजूरी के बाद एम्स भोपाल में कुष्ठ रोग में दी जाने वाली दवा एम डब्ल्यू का क्लीनिकल ट्रॉयल एम्स में अप्रैल महीने में शुरू किया गया था. यह ट्रायल देश की सबसे बड़ी अनुसंधान एजेंसी काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च की देखरेख में किया जा रहा है. यह दवा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार साबित होती है.

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