भोपाल। लॉकडाउन के चलते बाजार,व्यापार, दुकान, मॉल, परिवहन सब बंद कर दिए गए थे, वहीं सभी शैक्षणिक संस्थानों को भी बंद किया गया था. लॉकडाउन 4.0 में कुछ रियायतों के साथ रेल, फ्लाइट और बाजारों को खोल दिया गया है, लेकिन शैक्षणिक संस्थान अभी भी बंद रहेंगे. जो स्कूल जून महीने में खुल जाया करते थे, वे कोरोना के चलते बंद हैं, लेकिन स्कूलों में छात्रों की कक्षाएं नियमित रूप से ऑनलाइन के जरिए लगाई जा रही है. खास बात यह है कि सामान्य दिनों में जिस तरह बाल आयोग में शिकायतें आती थीं, वही हाल लॉकडाउन में भी हैं. बाल आयोग के सदस्य बृजेश चौहान ने इन शिकायतों को लेकर ईटीवी भारत से चर्चा की.
देश में लॉकडाउन है और शैक्षणिक संस्थान बंद हैं, लेकिन निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों से मोटी रकम वसूलने का सिलसिला अब भी जारी है. ईटीवी भारत से बातचीत में बृजेश चौहान ने बताया कि आयोग में निजी स्कूलों की 100 से ज्यादा शिकायतें दर्ज हैं. उन्होंने कहा कि भले ही देश में संपूर्ण लॉकडाउन है और शैक्षणिक संस्थान बंद हैं, लेकिन स्कूलों में शिकायतों का अंबार अभी भी लगा हुआ है. आम दिनों में जिस तरह की शिकायतें आया करती थीं, ड्रेस से संबंधित, फीस वसूलने के मामले ,कॉपी किताब बेचने के मामले, बिल्कुल वैसे ही मामले अभी भी सामने आ रहे हैं.
100 से ज्यादा स्कूलों को नोटिस जारी
बृजेश चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार की सख्त गाइडलाइन है कि स्कूलों द्वारा केवल ट्यूशनस फीस वसूली जाए, लेकिन प्रदेश के तमाम निजी स्कूल अभिभावकों पर फीस के लिए लगातार प्रेशर बना रहे हैं. उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा भोपाल के कई बड़े स्कूलों पर कार्रवाई की जा चुकी है, इसके बावजूद स्कूलों द्वारा अभिभावकों को फोन मैसेज से फीस के लिए फोर्स किया जा रहा है. जिसके लिए उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी को भी पत्र लिखकर स्कूलों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है. अब तक राजधानी के 3 बड़े स्कूलों पर कार्रवाई की जा चुकी है और 100 से ज्यादा स्कूलों को नोटिस जारी किए चुके हैं.
घरेलू हिंसा के मामले भी दर्ज
लॉकडाउन के चलते बाल आयोग में घरेलू हिंसा के मामले भी दर्ज कराए जा रहे हैं. जिसकी प्रताड़ना बच्चों को झेलनी पड़ रही है. उन्होंने बताया बाल आयोग में ऐसे कई मामले आए, जहां माता-पिता की लड़ाई-झगड़ों का शिकार बच्चे हुए. ऐसी स्थिति में बच्चों की देखरेख और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बाल आयोग ने उनकी काउंसलिंग करवाई है. आयोग ने बताया ऐसे भी कई मामले आए हैं जहां बच्चे साइबर क्राइम का शिकार हुए हैं. लॉकडाउन के चलते बच्चे लगातार मोबाइल से कांटेक्ट में हैं क्योंकि बच्चे बाहर खेलने नहीं जा पा रहे हैं. ऐसे में माता-पिता बच्चों को एंटरटेनमेंट के लिए मोबाइल दे देते हैं.
बाल आयोग भोपाल जिले में ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के हर एक जिले में बच्चों की शिकायतों पर तुरंत एक्शन ले रहा है. इस तरह के मामलों की काउंसलिंग कर मामले का निपटारा कर रहे हैं. बृजेश चौहान ने कहा कि बाल गृह में रहने वाले बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था का भी खास खयाल रखा जा रहा है. बच्चों को सेनेटाइजर से लेकर मास्क तक वितरित किए गए हैं. बाल गृह को भी टाइम टू टाइम सैनेटाइज़ कराया जा रहा है.