भोपाल। मध्य प्रदेश को शांति का टापू कहा जाता है, लेकिन प्रदेश की राजधानी में अपराधों का ग्राफ लगातार आसमान छूता जा रहा है. महिला अपराध हो या बाल अपराध राजधानी भोपाल में हर दिन किसी न किसी थाने में इनसे जुड़ी शिकायतें दर्ज की जा रही हैं.
बाल अपराधों की बात करें तो हर महीने 60 से 70 मामले सामने आ रहे हैं. जिनमें नाबालिग बच्चियों से यौन शोषण के मामले भी शामिल हैं. लॉकडाउन के दौरान अप्रैल माह में बच्चों से जुड़े सबसे ज्यादा 161 मामले चाइल्ड लाइन के पास पहुंचे हैं.
पहले ही मध्य प्रदेश महिला अपराधों में देशभर में नंबर एक पर है और अब बाल अपराधों में भी मध्यप्रदेश पीछे नहीं है. अप्रैल माह में चाइल्डलाइन के पास 161 मामले पहुंचे हैं, जबकि अप्रैल में देश प्रदेश और भोपाल में पूरी तरह से लॉकडाउन था. चाइल्डलाइन के अलावा राजधानी के अलग-अलग स्थानों में भी बाल अपराधों से जुड़े मामले लगभग हर दिन दर्ज किए जा रहे हैं. इनमें यौन शोषण और नाबालिग बच्चों के लापता होने के मामले सबसे ज्यादा शामिल हैं.
क्या कहती है पुलिस
नाबालिग बच्चों के साथ यौन शोषण की बात करें तो हाल ही में राजधानी भोपाल में ही एक सनसनीखेज मामला सामने आया था, जहां आरोपी ने पांच नाबालिग बच्चियों के साथ यौन शोषण किया और बंदूक की नोक पर उन्हें देह व्यापार करने पर मजबूर भी किया.
इस मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, लेकिन पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यौन शोषण के साथ-साथ बच्चों के लापता होने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. जिसमें अपहरण की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाता है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि लापता बच्चों के 60 फीसदी मामलों में बच्चों को रिकवर कर लिया गया है, लेकिन अब भी कई बच्चे लापता हैं, जिनका कोई सुराग नहीं लग सका है.
चाइल्डलाइन में लगातार दर्ज हो रहे मामले
चाइल्डलाइन सदस्य अर्चना सहाय ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में बच्चों के साथ मारपीट और डिप्रेशन में जाने वाले बच्चों के साथ-साथ लापता बच्चों के भी कई मामले सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान लगभग हर महीने 60 से 70 मामले चाइल्डलाइन के पास आ रहे हैं. चाइल्डलाइन के आंकड़ों की बात करें तो अप्रैल 2019 माह से लेकर मार्च 2020 तक 1100 मामले सामने आए हैं. जिनमें लापता बच्चे यौन शोषण, प्रताड़ना के शिकार समेत कई प्रकार के केस शामिल हैं.
2018 के बाद 34 हजार बाल अपराध के मामले आए सामने
साल 2020 में अप्रैल से लेकर जून तक बच्चों से जुड़े 341 मामले सामने आ चुके हैं. इसके अलावा साल 2018 में एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश भर में बच्चों से जुड़े 34 हजार से भी ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे.