भोपाल। कई माह की देरी के बाद दक्षिण अफ्रीका से एक दर्जन चीतों को आखिरकार अगले महीने भारत लाए जाने की तैयारी है. इन चीतों को भी मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) में रखा जाएगा. यहां पर गत वर्ष नामीबिया से 8 चीतों को बसाया गया था. पिछले सप्ताह नई दिल्ली और प्रिटोरिया (दक्षिण अफ्रीका की प्रशासनिक राजधानी) के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए. इस एमओयू के तहत 12 और चीते भारत लाए जाएंगे. एमओयू पर हस्ताक्षर करने के बाद अफसरों ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका से चीते फरवरी के मध्य में भारत आएंगे.
प्रत्येक चीते के बदले भारत देगा 3 हजार अमेरिकी डॉलर : एमओयू के मुताबिक भारत को प्रत्येक चीता के बदले 3 हजार अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना होगा. मध्यप्रदेश वन विभाग के अफसरों के मुताबिक कूनो नेशनल पार्क में इन ने मेहमानों के लिए 10 क्वारंटाइन बोमा (बाड़े) तैयार हैं. इनमें से दो बाड़ों में चीता भाइयों के दो जोड़े रखे जाएंगे. बताया जाता है कि चीतों को आने में विलंब का कारण एमओयू होने में देरी है. चीता विशेषज्ञों ने पिछले महीने दक्षिण अफ्रीकी में रह रहे चीतों के स्वास्थ्य पर चिंता व्यक्त की थी, क्योंकि इन जानवरों को 15 जुलाई से वहां क्वारंटाइन किया गया है. लंबे समय तक क्वारेंटाइन होने के कारण ये चीते अपनी फिटनेस खो सकते हैं. इन 12 चीतों में सात नर और पांच मादा हैं.
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एक माह से नहीं किया शिकार : ये भी बताया गया कि इन 12 चीतों में से 3 को 15 जुलाई से अफ्रीका के क्वाजुलु-नताल प्रांत में फिंडा संगरोध बोमा और लिम्पोपो प्रांत में रूइबर्ग क्वारेंटाइन करके रखा गया है. उन्होंने काफी हद तक फिटनेस खो दी है, क्योंकि उन्होंने एक बार भी बीते एक माह से कोई शिकार नहीं किया. बता दें कि दक्षिण अफ्रीका के एक प्रतिनिधिमंडल ने सितंबर के शुरू में केएनपी का दौरा किया था ताकि दुनिया के सबसे तेज़ भूमि स्तनधारियों के आवास के लिए वन्यजीव अभयारण्य में व्यवस्था देखी जा सकें. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को अपने 72 वें जन्मदिन पर नामीबिया से केएनपी में बड़ी धूमधाम के बीच 8 चीतों को छोड़ा था.
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यहां आने के बाद एक माह रहेंगे क्वारेंटाइनं : ज्ञात हो कि 5 महीने पहले भारत नामीबिया से आठ और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को आयात करना चाहता था. लेकिन योजना पर पूरी तरह से अमल नहीं हो सका. वहीं, भारतीय वन्य जीव कानूनों के अनुसार, जानवरों को आयात करने से पहले एक महीने का क्वारेंटाइन अनिवार्य है और देश में आने के बाद उन्हें अगले 30 दिनों के लिए अलग-थलग रखा जाना आवश्यक है. बता दें कि भारत में अंतिम चीता की मृत्यु 1947 में वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में हुई थी और 1952 में इन चीतों की प्रजाति को विलुप्त घोषित कर दिया गया था. (PTI)