भोपाल | प्रदेश में चल रहे कोविड-19 संक्रमण के संकट के समय में प्रदेश सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए मंडी अधिनियम में बदलाव किया है. इस बदलाव के बाद प्रदेश के किसानों को फायदा हो सकता है. तमिलनाडु की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी अब निजी मंडिया खोलने की अनुमति दे दी गई हैं. शिवराज सरकार ने किसानों को उपज के प्रतिस्पर्धी दाम दिलाने की मनसा से यह बड़ा कदम उठाया है. यही वजह है कि निजी मंडियां खोलने का प्रावधान मंडी अधिनियम में कर दिया गया है.
सरकार व्यापारियों को एक लाइसेंस के जारी करेगी. जिसमे पूरे प्रदेश में कहीं भी अनाज खरीदी करने की छूट दी जाएगी. इसके अलावा गोदाम, स्टील सायलो या फिर कोल्ड स्टोरेज व्यापारियों के पास उपलब्ध होता है तो इसे मंडी घोषित किया जा सकेगा. सरकार ने किसी भी प्रकार के विवाद से बचने के लिए निजी मंडियों के कारोबार में मंडी बोर्ड का हस्तक्षेप नहीं रखा है, इसलिए मंडी बोर्ड किसी भी तरह से इन व्यापारियों के द्वारा स्थापित की जा रही निजी मंडियों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है.मंडी अधिनियम में संशोधन को राज्यपाल लालजी टंडन की अनुमति से लागू किया गया है. 272 मंडी और मंडियां पहले से स्थापित हैं. अभी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होने वाली खरीद के अलावा सभी प्रकार की उपज की खरीदी बिक्री फिलहाल यही से हो रही है .
राज्य सरकार के द्वारा ई टेंडरिंग व्यवस्था भी लागू की गई है. इसके तहत पूरे देश की मंडियों के दाम अब किसानों को उपलब्ध रहेंगे. वे देश की किसी भी मंडी या फिर किसी भी राज्य में अपनी फसलों का सौदा कर सकते हैं. यदि किसान को लगता है कि, उसकी फसल का अधिक मूल्य अन्य राज्य की कृषि मंडी में मिल रहा है, तो वह वहां पर अपना सौदा कर सकता है. मंडी अधिनियम में जो संशोधन किया गया है, उसके तहत किसानों को बहुत फायदा होने वाला है. क्योंकि अब किसान घर बैठे ही अपनी फसल व्यापारी को सही मूल्य मिलने पर बेच सकता है. उसे मंडी जाने की बाध्यता नहीं होगी, एक तरह से किसान अब पूर्ण रूप से स्वतंत्र है कि वह अपनी फसल किसे बेचना चाहता है.