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Chandra Darshan 2022 अगहन में चंद्र दर्शन से मिलेंगे कई लाभ, जानें कैसे कटेगा कुंडली से चंद्र दोष - अगहन में चंद्र दर्शन

सनातन धर्म के अनुसार, चंद्र दर्शन को पवित्रता, खुशी और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है. नवंबर महीने में 25 तारीख को चंद्र दर्शन मनाया जा रहा है. ऐसे लोग जिनकी कुंडली में चंद्र दोष कष्टों का कारण बन रहा हो या फिर किसी को चंद्र देवता से सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद पाना हो, उन्हें चंद्र दर्शन एवं उनकी पूजा विशेष पूजा करना चाहिए.

chandra darshan 2022
चंद्र दर्शन 2022
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Published : Nov 25, 2022, 6:00 AM IST

Chandra Darshan 2022: 25 नवंबर को शुक्ल पक्ष को चंद्र दर्शन मनाया जाएगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रतिमाह अमावस्या की तिथि समाप्त होने के बाद शुक्ल पक्ष में चंद्र दर्शन मनाया जाता है. धर्म शास्त्रों के मुताबिक, इस दिन जो भी व्यक्ति चंद्रमा का दर्शन करता है उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है, घर में सुख शांति आती है. व्यापार में प्रगति के रास्ते खुलते हैं, कारोबार ठीक-ठाक चलता है. जानिये नवंबर महीने में चंद्र दर्शन का क्या महत्व है, इसकी पूजा का महत्व और उपाय, आइए इसे विस्तार से जानते हैं.

कब होगा चंद्र दर्शन

दिनांक: 25 नवंबर 2022, शुक्रवार
समय: सायंकाल 05:24 से 06:31 बजे तक
कुल अवधि: 01:07 मिनट्स

खीर का भोग लगाना होता है शुभ: चंद्र दर्शन के दौरान खीर का भोग लगाना शुभ माना जाता है. ध्यान रहे कि पूजन करते समय घी के दिए का ही इस्तेमाल करें. इसके बाद पंचामृत से अर्घ्य देकर चन्दन की माला से 108 बार चंद्रमा के मंत्र का जाप करें. भोग लगाने के बाद इसे किसी महिला को दे दें और उसे इसे प्रसाद के तौर पर लोगों को बांटने को कहें.

इस मंत्र का करें जाप: स्नान करने के बाद एक दीपक जलाएं और 10 बार 'ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि, तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात' मंत्र का जाप करें.

इस तरह करें चंद्र दर्शन की पूजा: चंद्र दर्शन वाले दिन चंद्र देवता की पूजा करने के लिए सबसे पहले शाम के समय स्नान करें और उसके बाद चंद्र देवता को दूध एवं शुद्ध जल से अर्घ्य दें. इसके बाद चंद्र देवता को धूप-दीप आदि से पूजा करें और गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाएं. चंद्र देवता की कृपा पाने के लिए चंद्र दर्शन की पूजा में उनके मंत्र ‘ॐ सों सोमाय नम:’ अथवा चंद्र गायत्री मंत्र ‘ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात्’ का अधिक से अधिक जप करें.

चंद्र देव की उपासना के वैदिक मंत्र:
ॐ इमं देवा असपत्नं ग्वं सुवध्यं.
महते क्षत्राय महते ज्यैश्ठाय महते जानराज्यायेन्दस्येन्द्रियाय इमममुध्य पुत्रममुध्यै
पुत्रमस्यै विश वोमी राज: सोमोस्माकं ब्राह्माणाना ग्वं राजा.

चंद्र देव की उपासना का मंत्र:
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं।।

चंद्रमा का बीज मंत्र: ऊॅँ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्राय नम: मंत्र का जाप 108 बार करें.

Chandra Darshan 2022: 25 नवंबर को शुक्ल पक्ष को चंद्र दर्शन मनाया जाएगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रतिमाह अमावस्या की तिथि समाप्त होने के बाद शुक्ल पक्ष में चंद्र दर्शन मनाया जाता है. धर्म शास्त्रों के मुताबिक, इस दिन जो भी व्यक्ति चंद्रमा का दर्शन करता है उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है, घर में सुख शांति आती है. व्यापार में प्रगति के रास्ते खुलते हैं, कारोबार ठीक-ठाक चलता है. जानिये नवंबर महीने में चंद्र दर्शन का क्या महत्व है, इसकी पूजा का महत्व और उपाय, आइए इसे विस्तार से जानते हैं.

कब होगा चंद्र दर्शन

दिनांक: 25 नवंबर 2022, शुक्रवार
समय: सायंकाल 05:24 से 06:31 बजे तक
कुल अवधि: 01:07 मिनट्स

खीर का भोग लगाना होता है शुभ: चंद्र दर्शन के दौरान खीर का भोग लगाना शुभ माना जाता है. ध्यान रहे कि पूजन करते समय घी के दिए का ही इस्तेमाल करें. इसके बाद पंचामृत से अर्घ्य देकर चन्दन की माला से 108 बार चंद्रमा के मंत्र का जाप करें. भोग लगाने के बाद इसे किसी महिला को दे दें और उसे इसे प्रसाद के तौर पर लोगों को बांटने को कहें.

इस मंत्र का करें जाप: स्नान करने के बाद एक दीपक जलाएं और 10 बार 'ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि, तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात' मंत्र का जाप करें.

इस तरह करें चंद्र दर्शन की पूजा: चंद्र दर्शन वाले दिन चंद्र देवता की पूजा करने के लिए सबसे पहले शाम के समय स्नान करें और उसके बाद चंद्र देवता को दूध एवं शुद्ध जल से अर्घ्य दें. इसके बाद चंद्र देवता को धूप-दीप आदि से पूजा करें और गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाएं. चंद्र देवता की कृपा पाने के लिए चंद्र दर्शन की पूजा में उनके मंत्र ‘ॐ सों सोमाय नम:’ अथवा चंद्र गायत्री मंत्र ‘ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात्’ का अधिक से अधिक जप करें.

चंद्र देव की उपासना के वैदिक मंत्र:
ॐ इमं देवा असपत्नं ग्वं सुवध्यं.
महते क्षत्राय महते ज्यैश्ठाय महते जानराज्यायेन्दस्येन्द्रियाय इमममुध्य पुत्रममुध्यै
पुत्रमस्यै विश वोमी राज: सोमोस्माकं ब्राह्माणाना ग्वं राजा.

चंद्र देव की उपासना का मंत्र:
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं।।

चंद्रमा का बीज मंत्र: ऊॅँ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्राय नम: मंत्र का जाप 108 बार करें.

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