भोपाल। मध्यप्रदेश में OBC आरक्षण को लेकर एक बार फिर सियासत गरमा गई है, बीजेपी और कांग्रेस ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए हैं, लेकिन अब केंद्र सरकार 127वां संविधान संशोधन विधेयक लाने वाली है, जिसे मोदी का मास्टर प्लान कहा जा रहा है, जिसके तहत राज्यों के आरक्षण केंद्र सरकार मुहर लगाएगी.
एमपी में एक बड़ा वोट बैंक ओबीसी वर्ग का
देश के कई राज्यों में चुनाव हैं और ऐसे में महाराष्ट्र, हरियाणा और अन्य राज्य जहां आरक्षण के मुद्दे पर हावी रहे हैं, वहीं बीजेपी सरकार की पहली नजर इसी वर्ग पर है, इसी के चलते ओबीसी की सूची पर राज्यों की शक्ति बहाल करने के लिए कानून लाया जा रहा है, यह कानून मौजूदा सत्र में ही संशोधन विधेयक के तौर पर लाया जाएगा, दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर दिए एक फैसले में राज्य सरकारों से ओबीसी की पहचान करने और उन्हें अधिसूचित करने का अधिकार वापस ले लिया था. सुप्रीम कोर्ट में सरकार द्वारा दाखिल याचिका खारिज किए जाने के बाद केंद्र सरकार ने इस पर बिल लाने का फैसला कर लिया है.
एमपी में 51 फीसदी ओबीसी के वोट बैंक, भाजपा को मिलेगा फायदा
मध्यप्रदेश के लिहाज से बात करें तो 51 फीसदी ओबीसी जनसंख्या पर दोनों ही पार्टियों की नज़र है, अभी तक ओबीसी को 14 फ़ीसदी आरक्षण मिलता है, लेकिन कमलनाथ सरकार ने मराठा आरक्षण के आधार पर मध्यप्रदेश में भी ओबीसी को 27% आरक्षण देने का फैसला किया और इसके लिए विधेयक भी विधानसभा में पारित किया गया, लेकिन हाईकोर्ट में याचिका लगने के बाद इसे अमल में नहीं लाया जा सका. जहां तक बीजेपी की बात है तो बीजेपी इसे ओबीसी आरक्षण के लिए एक कदम बता रही है और कह रही है कि जो लंबी लड़ाई ओबीसी वर्ग लड़ रहा था, इस बिल के बाद उसे फायदा मिलेगा.
कमलनाथ ने ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण देने की कही थी बात
ओबीसी आरक्षण पर कांग्रेस बीजेपी पर पक्षपात का आरोप लगाती रही है, कांग्रेस का कहना है कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ कि ऐसे मुख्यमंत्री रहे, जिन्होंने ओबीसी वर्ग के बारे में चिंता की और उसके लिए 27% आरक्षण दिया लेकिन बीजेपी की मंशा ठीक नहीं थी, जिसके चलते वह अपना पक्ष कोर्ट में भी नहीं रख सके, लेकिन अब केंद्र सरकार के द्वारा ओबीसी जातियों को अब राज्य सरकार ही अधिसूचित कर सकेंगे. इस मसले पर कांग्रेस का कहना है कि यह बीजेपी की शिगूफेबाजी है, कई राज्य में चुनाव है और इस वर्ग को लुभाने के लिए राजनीतिक स्टंट बीजेपी खेल रही है, ओबीसी वर्ग को सिर्फ धोखे में रखा जा रहा है.
हाईकोर्ट में सरकार ने किया जातिगत आंकड़ा पेश
एमपी सरकार की तरफ से जातिगत आंकड़ा पेश कर दिया गया है, जिसके मुताबिक राज्य में 50. 09% आबादी ओबीसी की है, वहीं अनुसूचित जाति की आबादी 15.6 है, इस वर्ष 16% आरक्षण का लाभ मिल रहा है, आबादी के अनुपात में 0.4 फीसद आरक्षण अधिक मिल रहा है, अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी 21.1 फीसद है, इस वर्ग को 20% आरक्षण मिल रहा है.
यानी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण का लाभ हो रहा है, पिछड़े वर्ग की आबादी 50.09 फीसदी के मुकाबले इस वर्ग को पुराने प्रावधान के तहत महज 14% आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है, यह आंकड़े 2011 की जनगणना के आधार पर हैं, कोरोना की वजह से 2021 की जनगणना नहीं हो पाई है.
50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण देने का प्रावधान नहीं
मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार ने जब ओबीसी को 27% आरक्षण दिया था, तो यह सीमा बढ़कर 63% हो गई थी, राज्य जहां आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा है. तमिलनाडु 69 प्रतिशत, महाराष्ट्र 68 प्रतिशत, कर्नाटक 64 प्रतिशत, झारखंड 60% आरक्षण का लाभ मिल रहा है. संविधान के मुताबिक 50% से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता है, इसके चलते मामले अटके हुए थे.
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विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिलेगा फायदा
सियासी लड़ाई में केंद्र सरकार इस मामले पर कानून लाकर ओबीसी वर्ग के आरक्षण में आ रही कानूनी अड़चनों को दूर करने वाली है, इससे न सिर्फ 2023 के विधानसभा चुनाव बल्कि 2024 के लोकसभा चुनावों में भी बीजेपी सरकार वोट बैंक भुना सकेगी.