भोपाल(Bhopal)। कोरोना महामारी में अपने माता-पिता को खो देने के बाद सीबीएसई टॉपर वनिशा पाठक को पीएमओ से कॉल आया था.पीएमओ ने वनिशा से उसका हालचल जाना और हर मदद का अश्वासन भी दिया.पीएमओ कार्यालय ने फोन पर बातचीत करते हुए कहा पढ़ाई के दौरान अगर कोई परेशानी आई तो आप कभी भी कॉल कर सकती हैं.वनिशा ने कोरोना की दूसरी लहर में माता-पिता को खो देने के बाद खुद को टूटने नहीं दिया.बल्कि अपने पिता के वादे को निभाने के लिए उन्होंने सीबीएसई 10th एग्जाम में 99.8% हासिल किए हैं. फिलहाल, वनिशा अपने छोटे भाई के साथ मामा के घर में रह रही हैं.
पीएमओ से आया कॉल
माता-पिता को खो देने के बाद सीबीएसई टॉपर वनिशा पाठक को पीएमओ से कॉल आया था. उन्होंने वनिशा से बात करते हुए उसका हालचाल जाना. पीएमओ ने कहा कोई भी परेशानी हो तो वनिशा उनसे बात कर सकती है.
कोरोना की दूसरी लहर ने छीने मां-बाप
कोरोना की दूसरी लहर में कई परिवारों ने अपनों को खो दिया, जिसका दर्द आज भी लोगों के जहन में जिंदा है, लेकिन बेटी वनिशा ने कोरोना के आगे हार नहीं मानी और दसवीं के सीबीएसई एग्जाम में 99.8% हासिल कर एक मिसाल पेश की है. दरअसल, जब वनिशा दसवीं सीबीएसई बोर्ड की तैयारी कर रही थी, उसी दौरान उनके माता-पिता सीमा पाठक और जितेंद्र पाठक अप्रैल में कोरोना संक्रमित हो गए थे. दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. घर में एक छोटे भाई के साथ रहने वाली वनिशा इस दौरान बेहद परेशान हो गईं. सबसे बड़ा झटका तब लगा जब उसने मई के पहले सप्ताह में ही अपने माता-पिता को खो दिया. इस बड़े झटके के बाद भी वनिशा ने हार नहीं मानी और माता-पिता के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने जी तोड़ मेहनत की.
पिता का सपना पूरा करना है मकसद
वनिशा बताती हैं कि एक ओर जहां माता-पिता को खोने का दर्द है, तो वहीं दूसरी ओर उनके सपने को पूरा करना अब उनके जीवन का लक्ष्य बन गया है. माता-पिता से आखिरी बार फोन पर वीडियो कॉल के माध्यम से बात हुई, तो पिता ने कहा, जीवन में खूब ऊंचाइयों को हासिल करना. इस बीच वनिशा ने पिता के लिए एक कविता भी लिखी. छोटे भाई विवान की भी जिम्मेदारी वनिशा के कंधों पर अपनी पढ़ाई के साथ-साथ छोटे भाई विवान की भी जिम्मेदारी है. उन्होंने इस मार्ग पर आगे बढ़ते हुए खूब मेहनत कर अपने माता-पिता के सपने को पूरा किया. वनिशा का छोटा भाई पांचवी कक्षा में है. वह भी बताते हैं कि जब माता-पिता की मौत हुई तो दीदी पढ़ाई में कमजोर ना हो जाए, इसके लिए वह खुद ही अपनी बहन के सामने नहीं रोते थे. वनिशा का सपना है कि अब वह अपने माता-पिता के सपने को पूरा करें