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करीब 150 साल पुराना है भोपाल का कैथेड्रल चर्च, अनूठा है इतिहास

भोपाल शहर में कैथोलिक ईसाई समुदाय का यह पहला चर्च है. इसे पोप पॉल चतुर्थ द्वारा आर्च डायसिस का दर्जा प्रदान किया गया है. 150 वर्ष पुराना यह चर्च आज भी अपने इतिहास की गौरवगाथा बयां करता है.

Cathedral Church is Bhopal's oldest church
भोपाल का कैथेड्रल चर्च
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Published : Dec 22, 2020, 7:36 PM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल के जहांगीराबाद जिंसी चौराहे के नजदीक सेंट फ्रांसिस चर्च भोपाल शहर के कैथोलिक ईसाई समुदाय का यह पहला चर्च है. लगभग 150 वर्ष पुराना यह चर्च आज भी अपनी ऐतिहासिक गौरव गाथा को बयान करता है. जितना अद्भुत यह चर्च है, इसका इतिहास भी उतना अनूठा है.

भोपाल का कैथेड्रल चर्च

भोपाल का सबसे पुराना चर्च

जहांगीराबाद जिंसी चौराहे के पास राज सिनेमा के सामने स्थित सेंट फ्रांसिस असिसि कैथेड्रल चर्च कैथोलिक ईसाई समाज का सबसे पुराना चर्च है. पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय मध्य प्रदेश के अनुसार साल 1824 में चर्च का निर्माण हुआ था. नवाब शासन काल में बोरबोन परिवार के पूर्वजों (जो मूल रूप से फ्रांस के रहने वाले थे) ने चर्च बनवाया था. चर्च को बनाने की अनुमति भोपाल रियासत की आठवीं शासक सिंकदरजहां बेगम ने दी थी. चर्च की जमीन बेगम ने दान में दी थी. इसका निर्माण साल्वाडोर बोरबन के उत्ताराधिकारी बाथाजार बोरबन उर्फ शहजाद मसीह के फादर बर्नार्ड पिस्टोइया की देखरेख में हुआ था. इसे शासन की ओर से वार्षिक अनुदान भी दिया जाता है. चर्च में लगे लोकार्पण पत्थर के अनुसार 24 अक्टूबर 1875 को आगरा के विकार ऐपेस्टोलिक डॉ पॉल जोसी ओएफएम, फादर रफेल, फादर नोबर्ट व तत्कालीन बेगम व बोरबोन परिवार की उपस्थिति में चर्च का उद्घाटन हुआ था.

1963 में मिला था कैथेड्रल चर्चा का दर्जा

भोपाल राज्य की ब्रिटिश सैन्य छावनी सीहोर में थी, जिसके कई अधिकारी यहां आकर बसते थे. उनकी पूजा आराधना के लिए नगर में पहला चर्च बनाया गया. साल 1963 में इसका नवीनीकरण कर इसे कैथेड्रल (महाचर्च) का दर्जा दिया गया. कैथोलिक ईसाई समाज में इस चर्च का महत्वपूर्ण स्थान है. यहां पर हर साल 25 दिसंबर को प्रभु यीशु का जन्मोत्सव क्रिसमस परंपरानुसार मनाया जाता है.

कैथेड्रल चर्च की खासियत

इस चर्च की खिड़कियां और रोशनदान इस तरह बनाए गए हैं कि सूर्य की रोशनी इसमें हर तरफ से आती है. एक बार में लगभग 500 लोग प्रार्थना सभा में शामिल हो सकते हैं. चर्च बनने के बाद कई सालों तक उत्तर प्रदेश, बिहार सहित अन्य स्थानों पर बिशप प्रार्थना कराने आते रहते थे.

चर्च में चल रही क्रिस्मस की तैयारियां

इन दिनों चर्च में क्रिस्मस की तैयारियां चल रही हैं. इस बार कोरोना के कारण चर्च में सैनिटाइजर व मास्क उपलब्ध रहेंगे. सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कार्यक्रम होंगे.

भोपाल। राजधानी भोपाल के जहांगीराबाद जिंसी चौराहे के नजदीक सेंट फ्रांसिस चर्च भोपाल शहर के कैथोलिक ईसाई समुदाय का यह पहला चर्च है. लगभग 150 वर्ष पुराना यह चर्च आज भी अपनी ऐतिहासिक गौरव गाथा को बयान करता है. जितना अद्भुत यह चर्च है, इसका इतिहास भी उतना अनूठा है.

भोपाल का कैथेड्रल चर्च

भोपाल का सबसे पुराना चर्च

जहांगीराबाद जिंसी चौराहे के पास राज सिनेमा के सामने स्थित सेंट फ्रांसिस असिसि कैथेड्रल चर्च कैथोलिक ईसाई समाज का सबसे पुराना चर्च है. पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय मध्य प्रदेश के अनुसार साल 1824 में चर्च का निर्माण हुआ था. नवाब शासन काल में बोरबोन परिवार के पूर्वजों (जो मूल रूप से फ्रांस के रहने वाले थे) ने चर्च बनवाया था. चर्च को बनाने की अनुमति भोपाल रियासत की आठवीं शासक सिंकदरजहां बेगम ने दी थी. चर्च की जमीन बेगम ने दान में दी थी. इसका निर्माण साल्वाडोर बोरबन के उत्ताराधिकारी बाथाजार बोरबन उर्फ शहजाद मसीह के फादर बर्नार्ड पिस्टोइया की देखरेख में हुआ था. इसे शासन की ओर से वार्षिक अनुदान भी दिया जाता है. चर्च में लगे लोकार्पण पत्थर के अनुसार 24 अक्टूबर 1875 को आगरा के विकार ऐपेस्टोलिक डॉ पॉल जोसी ओएफएम, फादर रफेल, फादर नोबर्ट व तत्कालीन बेगम व बोरबोन परिवार की उपस्थिति में चर्च का उद्घाटन हुआ था.

1963 में मिला था कैथेड्रल चर्चा का दर्जा

भोपाल राज्य की ब्रिटिश सैन्य छावनी सीहोर में थी, जिसके कई अधिकारी यहां आकर बसते थे. उनकी पूजा आराधना के लिए नगर में पहला चर्च बनाया गया. साल 1963 में इसका नवीनीकरण कर इसे कैथेड्रल (महाचर्च) का दर्जा दिया गया. कैथोलिक ईसाई समाज में इस चर्च का महत्वपूर्ण स्थान है. यहां पर हर साल 25 दिसंबर को प्रभु यीशु का जन्मोत्सव क्रिसमस परंपरानुसार मनाया जाता है.

कैथेड्रल चर्च की खासियत

इस चर्च की खिड़कियां और रोशनदान इस तरह बनाए गए हैं कि सूर्य की रोशनी इसमें हर तरफ से आती है. एक बार में लगभग 500 लोग प्रार्थना सभा में शामिल हो सकते हैं. चर्च बनने के बाद कई सालों तक उत्तर प्रदेश, बिहार सहित अन्य स्थानों पर बिशप प्रार्थना कराने आते रहते थे.

चर्च में चल रही क्रिस्मस की तैयारियां

इन दिनों चर्च में क्रिस्मस की तैयारियां चल रही हैं. इस बार कोरोना के कारण चर्च में सैनिटाइजर व मास्क उपलब्ध रहेंगे. सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कार्यक्रम होंगे.

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