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Ganeshotsav 2021: मध्य प्रदेश में गणेशोत्सव पर मिट्टी पर आधारित प्रतिमाएं बनाने पर जोर

आगामी गणेशोत्सव-2021 (ganeshotsav 2021) के लिए पर्यावरण के अनुकूल (eco-friendly) प्रतिमाएं स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके लिए भोपाल में पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) प्रशिक्षण भी दे रहा है.

Ganeshotsav 2021
गणेशोत्सव-2021
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Published : Sep 8, 2021, 8:53 PM IST

Updated : Sep 8, 2021, 9:03 PM IST

भोपाल। कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन की कमी के चलते सामने आई समस्याओं ने लोगों को पर्यावरण (environment) के प्रति सचेत कर दिया है और अपने भविष्य के प्रति सार्थक कदम उठाने को मजबूर किया है. यही कारण है कि मध्य प्रदेश में गणेशोत्सव-2021 के लिए पर्यावरण के अनुकूल (eco-friendly) प्रतिमाएं स्थापित करने की मुहिम चल पड़ी है.

पर्यावरण के अनुकूल प्रतिमाओं की स्थापना पर जोर

जल्दी ही गणेशोत्सव-2021 (ganeshotsav 2021) आने वाले हैं, उसके बाद दुर्गोत्सव की धूम रहेगी, इन दोनों ही आयोजनों पर बड़े पैमाने पर प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं. कई बार यह प्रतिमाएं पीओपी से बनाई जाती है और उनमें हानिकारक रसायनों का भी उपयोग होता है. इससे उन जलस्त्रोतों का पानी दूषित हो जाता है, जहां यह प्रतिमाएं विसर्जित होती हैं. ऐसे में सरकार की ओर से भी लोगों को जागृत किया जा रहा है. साथ ही उत्सवों में पर्यावरण प्रेमी प्रतिमाएं स्थापित करने की सलाह दी जा रही है. इतना ही नहीं लोगों को मिट्टी, गोबर और लकड़ी से प्रतिमाएं बनाने के प्रशिक्षण भी दिए जा रहे हैं.

Ganesh Utsav 2021: कैसे 'वक्रतुंड' कहलाए भगवान गणेश, जानिए इस नाम की महिमा

राज्य के पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग ने पर्यावरण प्रेमी वस्तुओं से प्रतिमाएं बनाने की पैरवी करते हुए कहा कि पीओपी से बनी और रासायनिक रंगों से रंगी मूर्तियों के विसर्जन से नदी-तालाबों का जल विषाक्त होता है. हमारी संस्कृति में माटी से बनी गणेश प्रतिमाओं के पूजन की परंपरा है, जो तत्काल पानी में घुल जाती है और पर्यावरण को तनिक भी नुकसान नहीं पहुंचती है. भारतीय संस्कृति में मिट्टी, गोबर, सुपारी आदि से गणेश का प्रतीक बनाकर पूजने की परंपरा रही है. मंगल कलश में बनने वाले स्वास्तिक को भी गणेश ही माना जाता है.

मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के ग्रामीण प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग केंद्र के महानिदेशक डॉ.अनिल कोठारी मानते हैं कि मिट्टी मनुष्य को अपनी जमीन से जोड़ती है. मिट्टी से बनी चीजों को अपनाकर पारिस्थिति तंत्र को बहाल किया जा सकता है.

भोपाल में पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) द्वारा गणेश मूर्ति निर्माण प्रशिक्षण में दिया जा रहा है. इस प्रशिक्षण के दौरान प्रो. प्रवीण तामोट ने प्रदेश के ईको क्लब के 180 से अधिक शिक्षकों और विद्यार्थियों को पीओपी से बनी और रासायनिक रंगों से रंगी गणेश प्रतिमा के विर्सजन से जलीय स्रोतों पर गंभीर दुष्प्रभावों की जानकारी दी. मूर्तिकार कमलेश वर्मा ने प्रतिभागियों को प्रतिमा तैयार करने के लिये मिट्टी बनाने की विधि बताई.

--आईएएनएस

भोपाल। कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन की कमी के चलते सामने आई समस्याओं ने लोगों को पर्यावरण (environment) के प्रति सचेत कर दिया है और अपने भविष्य के प्रति सार्थक कदम उठाने को मजबूर किया है. यही कारण है कि मध्य प्रदेश में गणेशोत्सव-2021 के लिए पर्यावरण के अनुकूल (eco-friendly) प्रतिमाएं स्थापित करने की मुहिम चल पड़ी है.

पर्यावरण के अनुकूल प्रतिमाओं की स्थापना पर जोर

जल्दी ही गणेशोत्सव-2021 (ganeshotsav 2021) आने वाले हैं, उसके बाद दुर्गोत्सव की धूम रहेगी, इन दोनों ही आयोजनों पर बड़े पैमाने पर प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं. कई बार यह प्रतिमाएं पीओपी से बनाई जाती है और उनमें हानिकारक रसायनों का भी उपयोग होता है. इससे उन जलस्त्रोतों का पानी दूषित हो जाता है, जहां यह प्रतिमाएं विसर्जित होती हैं. ऐसे में सरकार की ओर से भी लोगों को जागृत किया जा रहा है. साथ ही उत्सवों में पर्यावरण प्रेमी प्रतिमाएं स्थापित करने की सलाह दी जा रही है. इतना ही नहीं लोगों को मिट्टी, गोबर और लकड़ी से प्रतिमाएं बनाने के प्रशिक्षण भी दिए जा रहे हैं.

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राज्य के पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग ने पर्यावरण प्रेमी वस्तुओं से प्रतिमाएं बनाने की पैरवी करते हुए कहा कि पीओपी से बनी और रासायनिक रंगों से रंगी मूर्तियों के विसर्जन से नदी-तालाबों का जल विषाक्त होता है. हमारी संस्कृति में माटी से बनी गणेश प्रतिमाओं के पूजन की परंपरा है, जो तत्काल पानी में घुल जाती है और पर्यावरण को तनिक भी नुकसान नहीं पहुंचती है. भारतीय संस्कृति में मिट्टी, गोबर, सुपारी आदि से गणेश का प्रतीक बनाकर पूजने की परंपरा रही है. मंगल कलश में बनने वाले स्वास्तिक को भी गणेश ही माना जाता है.

मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के ग्रामीण प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग केंद्र के महानिदेशक डॉ.अनिल कोठारी मानते हैं कि मिट्टी मनुष्य को अपनी जमीन से जोड़ती है. मिट्टी से बनी चीजों को अपनाकर पारिस्थिति तंत्र को बहाल किया जा सकता है.

भोपाल में पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) द्वारा गणेश मूर्ति निर्माण प्रशिक्षण में दिया जा रहा है. इस प्रशिक्षण के दौरान प्रो. प्रवीण तामोट ने प्रदेश के ईको क्लब के 180 से अधिक शिक्षकों और विद्यार्थियों को पीओपी से बनी और रासायनिक रंगों से रंगी गणेश प्रतिमा के विर्सजन से जलीय स्रोतों पर गंभीर दुष्प्रभावों की जानकारी दी. मूर्तिकार कमलेश वर्मा ने प्रतिभागियों को प्रतिमा तैयार करने के लिये मिट्टी बनाने की विधि बताई.

--आईएएनएस

Last Updated : Sep 8, 2021, 9:03 PM IST
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