भोपाल। करोड़ों रूपए की टैक्स माफी के बाद भी राजधानी में इंटर स्टेट बसों का संचालन बंद है. राजधानी में केवल 5 प्रतिशत ऑपरेटर्स ही इंटर स्टेट बस चला रहे हैं. लॉकडाउन के बाद हुए अनलॉक की प्रक्रिया में सरकार ने परिवहन को चालू करने की इजाजत दी, लेकिन अनलॉक के 2 माह बाद भी बस संचालक ज़िद पर अड़े रहे, कि जब तक 3 माह का टैक्स माफ नहीं होगा तब तक बसें नहीं चलाई जाएंगी, बस संचालकों की जिद के सामने सरकार अब करोड़ों रूपये का टैक्स माफ करना पकड़ा, बावजूद इसके राजधानी में अब भी इंटर स्टेट बसों का संचालन बंद है.
बस किराया 50 फीसदी बढ़ाने की मांग
बस ऑपरेटर अब भी कई मांगों को लेकर जिद पर अड़े हैंं. बस ऑपरेटरों का कहना है कि सरकार ने केवल टैक्स माफ किया है जबकि एक बस को मेंटेन करने के लिए लाखों रुपए का खर्चा होता है. बस का इंश्योरेंस, फिटनेस , मेंटेनेंस इन खर्चो को बस ऑपरेटर अपनी जेब से नहीं भर सकते, अब बस संचालकों की मांग है कि सरकार यात्री बस का किराया 50 फीसदी तक बढ़ाएं. जिससे बस संचालक बसों का संचालन शुरू कर सके.
ये है राजधानी में बसों की स्थिति
प्रदेशभर में 35000 बसें हैं. जो सभी प्राइवेट ऑपरेटरों द्वारा चलाई जाती हैं. राजधानी भोपाल में 700 के लगभग बसें चलती हैं. जिसका संचालन भी निजी बस ऑपरेटरों द्वारा किया जाता है. राजधानी में कुल 12 हजार बस संचालक हैं. जिसमें केवल 10 प्रतिशत ही बसों का संचालन कर रहे हैं. 90 प्रतिशत बसों पर टैक्स माफी के बाद भी ब्रेक लगे हुए हैं.
करोड़ों रूपये का परिवहन विभाग को नुकसान
आरटीओ अधिकारी संजय तिवारी का कहना है कि बसों का किराया बढ़ाना और घटाना यह काम सरकार का है. बसों के नहीं चलने से आरटीओ को टैक्स नहीं मिल रहा है, जिसके कारण करोड़ों रूपये का नुकसान परिवहन विभाग को है. उन्होंने बताया राजधानी में 700 बसें हैं एक बस पर एक माह में 30 हजार तक का टैक्स मिलता है.
70 करोड़ टैक्स माफ कर चुकी सरकार
पिछले 3 माह में 70 करोड़ का टैक्स सरकार माफ कर चुकी है. बाबजूद इसके अब भी बसें नहीं चल रही हैं. जिससे हर महीने करोड़ों रुपये का नुकसान राजस्व विभाग को हो रहा है.आरटीओ अधिकारी का कहना है कि इससे राजस्व का घाटा है. सरकार को इस ओर व्यवस्था करनी चाहिए. जिससे दोबारा सामान्य स्थिति के साथ बसें चल सके.
बस संचालकों की परेशानी
बस संचालकों का कहना है कि कोरोना में लगे लॉकडाउन के कारण व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो गया है. आर्थिक तंगी के चलते अब बसों का मेंटेन करना बहुत मुश्किल हैं. उन्होंने बताया कि अगर हम बस शुरू करते हैं तो एक बस पर 80 हजार रुपये का खर्चा आएगा, जबकि हमारे पास 200 बसें हैं. ऐसे में करोड़ों रूपये लगाकर बस शुरू करना फिर इतने कम यात्री और कम किराये पर बस चलाना नुकसान का सौदा है. ऐसे में बसें बंद पड़ी रहे तो बेहतर है.