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बुर्के पर प्रतिबंध की मांग को मुस्लिम महिलाओं ने बताया राजनीतिक स्टंट

देश में बुर्के पर प्रतिबंध की मांग के बाद से ही बयानबाजी तेज हो गई है. इधर भोपाल की मुस्लिम महिलाओं ने बुर्के की मांग को केवल राजनीतिक स्टंट बताया है.

फाइल फोटो
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Published : May 3, 2019, 8:54 AM IST

भोपाल। शिवसेना के बुर्के पर प्रतिबंध लगाने की मांग के बाद राजधानी आए मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि बुर्के के साथ ही घूंघट पर भी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. इधर इन बयानों को राजधानी की मुस्लिम महिलाएं राजनीतिक स्टंट बता रही हैं.


मुस्लिम सोशल एक्टिविस्ट और मदरसा प्रतिनिधि नाजिया खान ने जावेद खान का समर्थन करते हुए कहा है कि उन्होंने बिल्कुल सही कहा है. उन्होंने कहा कि श्रीलंका और यहां के कानून में बहुत फर्क है. घूंघट प्रथा भी काफी पुरानी है, लेकिन आज भी कई महिलाएं हैं, जो इसका पालन कर रही हैं. क्या घूंघट करने वाली महिलाओं को भी आतंकवादी मान लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि महिलाओं को सॉफ्ट टारगेट बनाया जाता है. इन चीजों को आतंकवाद से जोड़ना सरासर गलत है.

नाजिया खान, मुस्लिम सोशल एक्टिविस्ट


बता दें कि शिवसेना ने मांग की थी कि जिस तरह से श्रीलंका में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया है, उसी तरह भारत में भी बुर्के पर प्रतिबंध लगना चाहिए. हालांकि देश में कई जगह विरोध के बाद अब शिवसेना ने अपने बयान से हाथ पीछे खींच लिए हैं.

भोपाल। शिवसेना के बुर्के पर प्रतिबंध लगाने की मांग के बाद राजधानी आए मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि बुर्के के साथ ही घूंघट पर भी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. इधर इन बयानों को राजधानी की मुस्लिम महिलाएं राजनीतिक स्टंट बता रही हैं.


मुस्लिम सोशल एक्टिविस्ट और मदरसा प्रतिनिधि नाजिया खान ने जावेद खान का समर्थन करते हुए कहा है कि उन्होंने बिल्कुल सही कहा है. उन्होंने कहा कि श्रीलंका और यहां के कानून में बहुत फर्क है. घूंघट प्रथा भी काफी पुरानी है, लेकिन आज भी कई महिलाएं हैं, जो इसका पालन कर रही हैं. क्या घूंघट करने वाली महिलाओं को भी आतंकवादी मान लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि महिलाओं को सॉफ्ट टारगेट बनाया जाता है. इन चीजों को आतंकवाद से जोड़ना सरासर गलत है.

नाजिया खान, मुस्लिम सोशल एक्टिविस्ट


बता दें कि शिवसेना ने मांग की थी कि जिस तरह से श्रीलंका में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया है, उसी तरह भारत में भी बुर्के पर प्रतिबंध लगना चाहिए. हालांकि देश में कई जगह विरोध के बाद अब शिवसेना ने अपने बयान से हाथ पीछे खींच लिए हैं.

Intro:बुर्के पर प्रतिबंध की मांग को मुस्लिम महिलाओं ने बताया राजनीतिक स्टंट


भोपाल | शिव सेना के द्वारा देश में बुर्के पर प्रतिबंध की मांग को लेकर अब नया विवाद शुरू हो गया है जहां एक तरफ भोपाल पधारें मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने अपने तलक अंदाज में टिप्पणी करते हुए कह दिया है कि यदि बुर्के पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है तो फिर घुंघट प्रथा पर भी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए अब जावेद अख्तर के बयान सामने आने के बाद मुस्लिम महिलाएं भी बुर्के पर प्रतिबंध को लेकर इसे केवल राजनीतिक स्टंट बता रहे हैं मुस्लिम महिलाओं का मानना है कि चुनाव के समय ही इस प्रकार की बातें क्यों की जाती है और राजनीतिक दलों के पास क्या मुस्लिम महिलाओं के अलावा और कोई मुद्दा नहीं है जो हर बार घूम फिर के मुस्लिम महिलाओं पर ही केंद्रित हो जाते हैं


Body:बता दें कि शिवसेना ने 2 दिन पहले जिस तरह से श्रीलंका में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया है उसी तरह भारत में भी बुर्के पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठाई थी हालांकि अब शिवसेना ने अपने इस बयान से पीछे खींच लिए हैं क्योंकि इस बयान का लगातार देश में सभी जगह पर विरोध हो रहा है .

मशहूर गीतकार जावेद अख्तर एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए एक दिन पहले ही भोपाल पधारे थे इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए जब बुर्के विवाद को लेकर उनसे सवाल किया गया था तो उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार को राजस्थान में होने जा रही 6 मई को वोटिंग से पहले घुंघट प्रथा पर भी प्रतिबंध लगा देना चाहिए .


अब मुस्लिम महिलाओं ने भी इस तरह के बयानों को लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है मुस्लिम महिलाओं का मानना है कि अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए जानबूझकर मुस्लिम महिलाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है कभी तीन तलाक के मुद्दे पर तो कभी बुर्के के पहनने को लेकर इस तरह की बातें की जा रही है .


Conclusion:मुस्लिम सोशल एक्टिविस्ट और मदरसा प्रतिनिधि नाजिया खान का कहना है कि प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर ने बिल्कुल सही फरमाया है क्योंकि श्रीलंका में अलग तरह का कानून है और भारत देश में अलग तरह का कानून स्थापित है कुछ लोगों के द्वारा आज बुर्के को लेकर बयान बाजी की जा रही है कल क्या वही लोग घुंघट को लेकर भी इसी तरह की बयानबाजी करेंगे यह पूरी तरह से गलत है क्योंकि भारत देश के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी हमारी बहनें ऐसी है जो अभी भी घुंघट की कुप्रथा का पालन कर रही है भले ही यह प्रथा ठीक ना हो लेकिन यह प्रथा तो कई वर्षों से उनके पूर्वजों के द्वारा से चली आ रही है तो क्या अब इनके घुंघट पर भी प्रतिबंध लगाने की बात की जाएगी क्या इन्हें भी घुंघट में होने की वजह से क्या आतंकवादी मान लिया जाएगा उन्होंने कहा कि हमारा तो सीधा सा मानना है कि आप किसी दूसरे देश के कानून को भारत देश की महिलाओं पर नहीं थोप सकते हो .


नादिया ने कहा कि आज राजनीतिक व्यक्तियों के द्वारा घूंघट को लेकर राजनीति की जा रही है किसी के द्वारा बुर्के को लेकर राजनीति की जा रही है उससे पहले कुछ लोगों के द्वारा स्कर्ट पहनने पर भी आपत्ति दर्ज कराई गई थी इन लोगों को क्या महिलाएं ही दिखाई देती है इस तरह की राजनीति करने के लिए और कोई मुद्दा नहीं है इनके पास कि हर बार इनकी राजनीति के केंद्र में महिलाएं ही सॉफ्ट टारगेट बन कर सामने आ जाती हैं इन लोगों के लिए तो महिलाएं एक टारगेट हो गई है हर तरह के मुद्दे पर राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए बस महिलाओं को किसी न किसी मुद्दे पर बीच में ले आओ मुझे तो इससे ज्यादा और कुछ दिखाई नहीं देता है राजनीतिक लोगों को अपनी चुनावी मुद्दे अलग रखने चाहिए और हम अपनी जगह पर काफी बेहतर स्थिति में है इसलिए इन लोगों को अन्य मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए जिससे देश का भला हो सके .


उन्होंने कहा कि यह स्वतंत्र देश है और यहां पर सभी को आजादी प्राप्त है हम जो चाहे पहने हम जो चाहे ना पहने हम बिना कपड़े के ही रहे लेकिन इन लोगों को इससे क्या मतलब .


इन चीजों को आतंकवाद से जोड़ना सरासर गलत है कितने आतंकवादी है जो बिना घुंघट और बुर्के के लगातार सामने आते रहे हैं लेकिन हम ही मुस्लिम महिलाएं टारगेट पर क्यों हैं क्योंकि हम बुर्का पहनते हैं .


नाजिया ने कहा कि जावेद अख्तर ने जो कुछ कहा है हम उस बात का समर्थन करते हैं क्योंकि चेहरा तो उन महिलाओं का भी छुपा हुआ है जो घुंघट पहनती है तो फिर उन्हें भी प्रतिबंधित कर देना चाहिए केवल बुर्का पहनने वाली महिलाओं को लेकर इस तरह की बातचीत करना ठीक नहीं है अगर शिवसेना के द्वारा बुर्के की जगह घूंघट पर सवालिया निशान लगाए गए होते तब भी मैं मुस्लिम महिला होने के बाद भी उन महिलाओं का समर्थन करती क्योंकि यह पूर्ण रूप से गलत चीज है महिलाओं के अधिकारों का हनन करने का अधिकार किसी को भी नहीं है उन्होंने कहा कि राजनीति ही करना है तो देश में बहुत सारे मुद्दे हैं जैसे बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है इस पर बातचीत की जानी चाहिए लोगों को रोजगार की जरूरत है इसकी बात की जानी चाहिए और यदि आपको महिलाओं की बहुत ज्यादा फिक्र है तो फिर महिलाओं की एजुकेशन और उनकी नौकरियों पर बातचीत की जानी चाहिए लेकिन इन लोगों को तो बुर्का दिख रहा है इस कट दिख रहा है जींस दिख रहा है मंगलसूत्र दिख रहा है यह पूर्ण रूप से शर्मनाक बात है .



नाजिया खान ने कहा कि अभी कुछ समय पहले तीन तलाक का मुद्दा भी जमकर उछाला गया था देश में कई जगह उसका समर्थन हुआ तो कई जगह उसका विरोध हुआ लेकिन राजनीतिक व्यक्तियों ने कुछ मानसिकता ही इस प्रकार की बना ली है कि उनके दिमाग में केवल इसी प्रकार की बातें रहती हैं लेकिन मेरा यही कहना है कि देश में बहुत सारे मुद्दे हैं आप उन मुद्दों से आखिर क्यों भटक रहे हो देश में बहुत सारी समस्याएं हैं जिन पर काम किए जाने की जरूरत है और राजनीतिक व्यक्तियों को इस तरह की समस्याओं को सुलझा ने पर ध्यान देना चाहिए मेरी नजर में तो इस तरह के मुद्दों को उठाना ठीक नहीं है मैं यही कहूंगी कि शर्म करो शर्म करो .
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