ETV Bharat / state

MP उपचुनाव: बीएसपी बन सकती है किंग मेकर, ग्वालियर- चंबल की 16 सीटें होंगी निर्णायक - सीएम शिवराज सिंह चौहान

मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान हो चुका है, 10 नवंबर को सभी 355 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला हो जाएगा, इसके साथ ही इस बात का फैसला भी हो जाएगा कि, शिवराज सरकार रहेगी या फिर जाएगी. इन तमाम समीकरणों के बीच बीएसपी अगर ग्वालियर- चंबल की 16 सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करती है, तो सूबे की सियासत में किंग मेकर बनने से उसे कोई नहीं रोक सकता.

madhya pradesh
मध्यप्रदेश की सरकार बनने में BSP की भूमिका
author img

By

Published : Nov 4, 2020, 10:02 AM IST

Updated : Nov 4, 2020, 1:33 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हो गई है. प्रदेश की 28 सीटों पर 2018 के मुकाबले कम वोटिंग दर्ज की गई है, कुल 28 सीटों पर औसत 69.93 वोटिंग हुई है. जिसके नतीजे 10 नवंबर को आएंगे. मध्यप्रदेश में ऐसा माना जा रहा था कि, कोरोना वायरस के चलते मतदान कम होगा, लेकिन लोगों ने बढ़-चढ़कर मतदान किया, मतदान के आकड़ों से ये साफ नहीं हुआ है कि, वोटर्स का रुझान कांग्रेस की तरफ था या बीजेपी की. बीजेपी उपचुनाव में 8 सीटों को जीतकर तो अपनी सत्ता बचा सकती है, लेकिन कांग्रेस को 28 में से 21 सीटें जीतने के बाद भी BSP-SP और निर्दलीय विधायकों को भी साथ लेना पड़ेगा.

BSP बिगाड़ सकती है खेल

28 सीटों पर हुई वोटिंग में बहुजन समाज पार्टी किंगमेकर बन सकती है. 28 में से सबसे ज्यादा ग्वालियर चंबल की 16 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं. बीएसपी का यहां अच्छा प्रभाव माना जाता है. चंबल अंचल की 16 सीटों में कुछ सीटें ऐसी भी हैं, जहां बीएसपी ने कभी न कभी जीत भी दर्ज की है, जबकि 2018 के चुनाव में कई सीटों पर बीएसपी दूसरे और तीसरे स्थान पर रही थी. यही वजह है कि, इस बार इन सभी सीटों पर दमदार प्रत्याशी उतारकर बसपा अपनी जमीन मजबूत करने की कोशिश में है और बीजेपी और कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है.

ग्वालियर-चंबल में BSP का दम

उपचुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में बहुजन समाज पार्टी भी अपना दमखम दिखा रही है. ग्वालियर-चंबल की पांच सीटों पर बीएसपी मजबूत स्थिति में मानी जा रही है. इसे देखते हुए ग्वालियर संभाग इलाके में चुनावी लड़ाई त्रिकोणीय है, जिसमें एक तरफ बीजेपी, तो दूसरी तरफ कांग्रेस है. बीएसपी इन दोनों दलों का समीकरण बिगाड़ रही है. ग्वालियर चंबल इलाके की जौरा, मेहगांव, भांडेर, अंबाह और मुरैना में मुकाबला फंस सकता है.

इन 10 सीटों पर बसपा दिखा सकती है असर

उपचुनाव में बसपा ग्वालियर चंबल की 10 सीटों पर असर दिखा सकती है. अंबाह, गोदह, दिमनी, जौरा, मुंगावली, करैरा, सुमावली, पोहरी, मुरैना, अशोकनगर में बीएसपी पिछले चुनाव में निर्णायक भूमिका में रही थी. इन सीटों पर हाथी की चाल से बीजेपी को खासा नुकसान पहुंचा था. माना जा रहा है, उपचुनाव में भी बीएसपी असर दिखाएगी.

कमलनाथ ने किया जीत का दावा

मतदान के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी 28 विधानसभा सीटों के मतदाताओं का आभार मानते हुए धन्यवाद किया है. कमलनाथ ने कहा कि, 'मतदान भाजपा को संदेश देने वाला है'. वहीं कई जगह हुई हिंसा की घटनाओं को लेकर उन्होंने कहा कि, 'बीजेपी ने पिछले 3 दिनों में हर तरह के हथकंडे अपनाए हैं, लेकिन परिणाम आश्चर्यजनक होंगे'. मतगणना तक ईवीएम की निगरानी और मतगणना की रणनीति को लेकर उन्होंने विशेष तौर पर कहा कि, 'शिवराज सिंह अभी 7 दिन और खुशहाली मना लें, क्योंकि उन्हें गुमराह करने वाले बहुत लोग हैं, फिर मध्य प्रदेश की जनता दीवाली मनाएगी'.

बंपर वोटिंग से बीजेपी की जीत

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 28 सीटों पर वोटिंग के बाद जनता का आभार जताया है. उन्होंने दावा किया कि, जनता ने उत्साहपूर्वक बढ़-चढ़कर उपचुनाव में भाग लिया और बंपर वोटिंग हुई है. सीएम ने कहा कि,'जनता ने लोकतंत्र में विश्वास व्यक्त करते हुए मतदान को अपना पवित्र कर्तव्य माना है. कुछ स्थानों पर 2018 से ज्यादा वोटिंग हुई है. जितनी बंपर वोटिंग हुई है, उतनी बंपर हमारी जीत होगी'.

  • ग्वालियर- चंबल 16 सीटें
  1. जौरा विधानसभा- मुरैना जिले की जौरा विधानसभा कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा के निधन से खाली हुई थी. इस सीट पर बीजेपी ने पूर्व विधायक सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने युवा चेहरा और जमीनी स्तर पर काम करने वाले पंकज उपाध्याय पर दांव लगाया है. इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी ने दो बार बसपा से विधायक रहे सोने राम कुशवाह को टिकट दिया है. लिहाजा बसपा के प्रभाव होने की वजह से इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है. ब्राह्मण, धाकड़, क्षत्रीय और कुशवाह समुदाय में अच्छी पकड़ वाला ही उम्मीदवार यहां से जीतता आया है.
  2. सुमावली विधानसभा- मुरैना जिले की सुमावली विधानसभा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते एदल सिंह कंसाना के इस्तीफे से खाली हुई है. बसपा का प्रभाव होने की वजह से इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है. कमलनाथ सरकार में मंत्री न बनाए जाने से नाराज एदल सिंह कंसाना ने विधायकी से इस्तीफा देते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया. बाद में उन्हें शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया. लिहाजा उपचुनाव में एदल सिंह कंसाना बीजेपी के उम्मीदवार हैं. तो कांग्रेस ने यहां अजब सिंह कुशवाहा को चुनावी मैदान में उतारा है. जबकि बसपा ने राहुल डंण्डौतिया को टिकट दिया है.
  3. मुरैना विधानसभा- मुरैना सीट पर बीजेपी ने रघुराज कंषाना को प्रत्याशी बनाया है. जबकि कांग्रेस ने राकेश मावई पर दांव लगाया है. इसके अलावा बीएसपी ने रामप्रकाश राजौरिया को मैदान में उतारा है. मुरैना विधानसभा में कहने को तो बीजेपी का दबदबा रहा है, लेकिन कांग्रेस भी पीछे नहीं है, और बीएसपी ने चुनौती पेश की है.
  4. अंबाह विधानसभा- मुरैना जिले की अंबाह विधानसभा सीट बीजेपी और कांग्रेस को निर्दलीय प्रत्याशी कांटे की टक्कर दे सकते हैं. बीजेपी ने कांग्रेस छोड़कर पार्टी में शामिल हुए कमलेश जावट को इस सीट पर उम्मीदवार बनाया है, तो वहीं कांग्रेस ने सत्यप्रकाश सखवार पर दांव लगाया. ऐसे में बीजेपी के बागी अभिनव छारी ने निर्दलीय मैदान में कूद कर इस मुकाबले को और भी कड़ा कर दिया है.
  5. अशोकनगर विधानसभा- अशोकनगर विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. लेकिन 2018 के चुनाव में इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी लड्डू राम कोरी को मात देकर जजपाल सिंह जज्जी ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ जजपाल सिंह जज्जी ने भी भाजपा का दामन थामा लिया. जिसके बाद ये सीट खाली हुई थी. अब बीजेपी ने भी सिंधिया समर्थक जजपाल सिंह जज्जी को ही उम्मीदवार बनाया था. जजपाल सिंह का मुकाबला उन्हीं के साथ कांग्रेस पार्टी में काम करने वाली कांग्रेस नेता अनीता जैन की बहू आशा दोहरे से है. बीजेपी में शामिल होने के पहले लगभग 15 साल तक जजपाल और आशा दोहरे की सास अनीता जैन ने साथ ही काम किया है.
  6. मुंगावली विधानसभा- अशोकनगर जिले की मुंगावली विधानसभा सीट काफी अहम मानी जा रही है, सीट की अहमियत इसलिए भी है, क्योंकि मुंगावली सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाली सीटों में से एक मानी जाती रही है. ये सीट सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाने वाले बृजेन्द्र सिंह यादव के इस्तीफे के बाद खाली हुई है. बीजेपी ने बृजेंद्र को ही मैदान में उतारा. तो कांग्रेस ने कन्हईराम लोधी पर दांव लगाया है. जबकि बसपा ने वीरेंद्र शर्मा को प्रत्याशी बनाया है.
  7. मेहगांव विधानसभा- भिंड जिले की मेहगांव विधानसभा सीट चंबल अंचल की अहम सीट मानी जाती है. इस सीट पर पूर्व विधायक ओपीएस भदौरिया के इस्तीफे के चलते उपचुनाव हो रहा है. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से चुनाव लड़े भदौरिया ने बीजेपी के राकेश शुक्ला को हराया, लेकिन भदौरिया बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए. उपचुनाव में बीजेपी ने ओपीएस भदौरिया को प्रत्याशी बनाया है. तो कांग्रेस ने पूर्व विधायक हेमंत कटारे पर दांव लगाया है. हालांकि हेमंत कटारे के बाहरी प्रत्याशी होने की बात भी कही जा रही है, लेकिन अटेर से सटी होने के चलते मेहगांव विधानसभा सीट पर हेमंत का प्रभाव माना जाता है.
  8. गोहद विधानसभा- भिंड जिले की गोहद विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव की सरगर्मियां तेज हैं. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित गोहद विधानसभा सीट पूर्व विधायक रणवीर जाटव के इस्तीफे से खाली हुई है. खास बात ये है कि, गोहद विधानसभा अस्तित्व में आने के बाद तीसरे उपचुनाव की साक्षी बनी है. बीजेपी ने इस सीट से रणवीर जाटव को टिकट दिया था. वहीं कांग्रेस ने गोहद से मेवाराम जाटव को मैदान में उतारा है.
  9. ग्वालियर विधानसभा- ग्वालियर विधानसभा सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे खास समर्थक प्रद्युम्न सिंह तोमर की बगावत से खाली हुई. राजशाही के दौर में देश की जानी-मानी औद्योगिक क्षेत्र वाली ग्वालियर विधानसभा सीट खास इसलिए भी है, क्योंकि यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर है. 2018 में कांग्रेस में रहे प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बीजेपी के दिग्गज नेता जयभान सिंह पवैया को हराया था, लेकिन बदली परस्थितियों में तोमर अब बीजेपी के प्रत्याशी हैं. तो कांग्रेस ने उनके खिलाफ सुनील शर्मा को मैदान में उतारा है.
  10. ग्वालियर पूर्व- जयविलास पैलेस ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट के तहत आता है. जिससे ये सीट महल के प्रभाव वाली सीट मानी जाती है. इस बार भी यहां चिरप्रतिद्वंदी मुन्नालाल गोयल और सतीश सिकरवार के बीच मुकाबला है. फर्क सिर्फ इतना है कि, इस बार दोनों प्रत्याशी दल बदलकर मैदान में उतरे हैं.
  11. डबरा विधानसभा- ग्वालियर जिले की तीन सीटों पर हो रहे उपचुनाव में डबरा विधानसभा सीट भी शामिल है. जो ग्वालियर-चंबल की सबसे हाईप्रोफाइल सीट मानी जाती है. यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की समर्थक इमरती देवी का मुकाबला कांग्रेस के सुरेश राजे से है. खास बात ये है कि, एक चुनावी सभा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इमरती देवी को 'आइटम' कह दिया, जिसके बाद इस सीट पर सियासत और तेज हो गई.
  12. भांडेर विधानसभा- दतिया जिले की भांडेर विधानसभा सीट ग्वालियर चंबल की सबसे हाई प्रोफाइल सीट है. यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की समर्थक रक्षा सिरोनिया का मुकाबला कांग्रेस के नेता फूल सिंह बरैया से है. खास बात ये है कि, उपचुनाव के दौरान फूल सिंह बरैया अपने बयानों की वजह से काफी विवादों में रहे.
  13. बमोरी विधानसभा- गुना जिले की बमोरी विधानसभा सीट अनारक्षित सीट है. गुना जिले के चुनावी इतिहास में ये तीसरा मौका है, जब उपचुनाव होने जा रहा है. सिंधिया समर्थक महेंद्र सिंह सिसोदिया ने भी सिंधिया के बीजेपी में शामिल होते ही विधायक पद से इस्तीफा दिया और बीजेपी में शामिल हो गए. जिसके बाद बीजेपी ने महेंद्र सिंह सिसोदिया पर दाव लगाया और कांग्रेस ने कन्हैया लाल अग्रवाल को टिकट दिया था.
  14. करैरा विधानसभा- शिवपुरी जिले की करैरा विधानसभा सीट पर बीजेपी ने जसवंत जाटव को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने प्रागी लाल जाटव को मैदान में उतारा है. शिवपुरी जिले की करैरा विधानसभा सीट पर देखना दिलचस्प होगा कि, क्या इस बार बीजेपी उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी यानी राजमाता विजयाराजे सिंधिया के सबसे ज्यादा वोटों से जीत का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगे.
  15. पोहरी विधानसभा- शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी और मंत्री सुरेश धाकड़ चुनावी मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस ने इस सीट से हरिवल्लभ शुक्ल को चुनावी मैदान में उतारा है.
  16. दिमनी विधानसभा- मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा भी उपचुनाव में बहुत महत्व रखती है. दिमनी में कांग्रेस प्रत्याशी रविंद्र सिंह तोमर पहले काफी विरोध भी हुआ. बीजेपी ने मंत्री गिर्राज दंडोतिया को मैदान में उतारा है.

भोपाल। मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हो गई है. प्रदेश की 28 सीटों पर 2018 के मुकाबले कम वोटिंग दर्ज की गई है, कुल 28 सीटों पर औसत 69.93 वोटिंग हुई है. जिसके नतीजे 10 नवंबर को आएंगे. मध्यप्रदेश में ऐसा माना जा रहा था कि, कोरोना वायरस के चलते मतदान कम होगा, लेकिन लोगों ने बढ़-चढ़कर मतदान किया, मतदान के आकड़ों से ये साफ नहीं हुआ है कि, वोटर्स का रुझान कांग्रेस की तरफ था या बीजेपी की. बीजेपी उपचुनाव में 8 सीटों को जीतकर तो अपनी सत्ता बचा सकती है, लेकिन कांग्रेस को 28 में से 21 सीटें जीतने के बाद भी BSP-SP और निर्दलीय विधायकों को भी साथ लेना पड़ेगा.

BSP बिगाड़ सकती है खेल

28 सीटों पर हुई वोटिंग में बहुजन समाज पार्टी किंगमेकर बन सकती है. 28 में से सबसे ज्यादा ग्वालियर चंबल की 16 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं. बीएसपी का यहां अच्छा प्रभाव माना जाता है. चंबल अंचल की 16 सीटों में कुछ सीटें ऐसी भी हैं, जहां बीएसपी ने कभी न कभी जीत भी दर्ज की है, जबकि 2018 के चुनाव में कई सीटों पर बीएसपी दूसरे और तीसरे स्थान पर रही थी. यही वजह है कि, इस बार इन सभी सीटों पर दमदार प्रत्याशी उतारकर बसपा अपनी जमीन मजबूत करने की कोशिश में है और बीजेपी और कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है.

ग्वालियर-चंबल में BSP का दम

उपचुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में बहुजन समाज पार्टी भी अपना दमखम दिखा रही है. ग्वालियर-चंबल की पांच सीटों पर बीएसपी मजबूत स्थिति में मानी जा रही है. इसे देखते हुए ग्वालियर संभाग इलाके में चुनावी लड़ाई त्रिकोणीय है, जिसमें एक तरफ बीजेपी, तो दूसरी तरफ कांग्रेस है. बीएसपी इन दोनों दलों का समीकरण बिगाड़ रही है. ग्वालियर चंबल इलाके की जौरा, मेहगांव, भांडेर, अंबाह और मुरैना में मुकाबला फंस सकता है.

इन 10 सीटों पर बसपा दिखा सकती है असर

उपचुनाव में बसपा ग्वालियर चंबल की 10 सीटों पर असर दिखा सकती है. अंबाह, गोदह, दिमनी, जौरा, मुंगावली, करैरा, सुमावली, पोहरी, मुरैना, अशोकनगर में बीएसपी पिछले चुनाव में निर्णायक भूमिका में रही थी. इन सीटों पर हाथी की चाल से बीजेपी को खासा नुकसान पहुंचा था. माना जा रहा है, उपचुनाव में भी बीएसपी असर दिखाएगी.

कमलनाथ ने किया जीत का दावा

मतदान के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी 28 विधानसभा सीटों के मतदाताओं का आभार मानते हुए धन्यवाद किया है. कमलनाथ ने कहा कि, 'मतदान भाजपा को संदेश देने वाला है'. वहीं कई जगह हुई हिंसा की घटनाओं को लेकर उन्होंने कहा कि, 'बीजेपी ने पिछले 3 दिनों में हर तरह के हथकंडे अपनाए हैं, लेकिन परिणाम आश्चर्यजनक होंगे'. मतगणना तक ईवीएम की निगरानी और मतगणना की रणनीति को लेकर उन्होंने विशेष तौर पर कहा कि, 'शिवराज सिंह अभी 7 दिन और खुशहाली मना लें, क्योंकि उन्हें गुमराह करने वाले बहुत लोग हैं, फिर मध्य प्रदेश की जनता दीवाली मनाएगी'.

बंपर वोटिंग से बीजेपी की जीत

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 28 सीटों पर वोटिंग के बाद जनता का आभार जताया है. उन्होंने दावा किया कि, जनता ने उत्साहपूर्वक बढ़-चढ़कर उपचुनाव में भाग लिया और बंपर वोटिंग हुई है. सीएम ने कहा कि,'जनता ने लोकतंत्र में विश्वास व्यक्त करते हुए मतदान को अपना पवित्र कर्तव्य माना है. कुछ स्थानों पर 2018 से ज्यादा वोटिंग हुई है. जितनी बंपर वोटिंग हुई है, उतनी बंपर हमारी जीत होगी'.

  • ग्वालियर- चंबल 16 सीटें
  1. जौरा विधानसभा- मुरैना जिले की जौरा विधानसभा कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा के निधन से खाली हुई थी. इस सीट पर बीजेपी ने पूर्व विधायक सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने युवा चेहरा और जमीनी स्तर पर काम करने वाले पंकज उपाध्याय पर दांव लगाया है. इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी ने दो बार बसपा से विधायक रहे सोने राम कुशवाह को टिकट दिया है. लिहाजा बसपा के प्रभाव होने की वजह से इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है. ब्राह्मण, धाकड़, क्षत्रीय और कुशवाह समुदाय में अच्छी पकड़ वाला ही उम्मीदवार यहां से जीतता आया है.
  2. सुमावली विधानसभा- मुरैना जिले की सुमावली विधानसभा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते एदल सिंह कंसाना के इस्तीफे से खाली हुई है. बसपा का प्रभाव होने की वजह से इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है. कमलनाथ सरकार में मंत्री न बनाए जाने से नाराज एदल सिंह कंसाना ने विधायकी से इस्तीफा देते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया. बाद में उन्हें शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया. लिहाजा उपचुनाव में एदल सिंह कंसाना बीजेपी के उम्मीदवार हैं. तो कांग्रेस ने यहां अजब सिंह कुशवाहा को चुनावी मैदान में उतारा है. जबकि बसपा ने राहुल डंण्डौतिया को टिकट दिया है.
  3. मुरैना विधानसभा- मुरैना सीट पर बीजेपी ने रघुराज कंषाना को प्रत्याशी बनाया है. जबकि कांग्रेस ने राकेश मावई पर दांव लगाया है. इसके अलावा बीएसपी ने रामप्रकाश राजौरिया को मैदान में उतारा है. मुरैना विधानसभा में कहने को तो बीजेपी का दबदबा रहा है, लेकिन कांग्रेस भी पीछे नहीं है, और बीएसपी ने चुनौती पेश की है.
  4. अंबाह विधानसभा- मुरैना जिले की अंबाह विधानसभा सीट बीजेपी और कांग्रेस को निर्दलीय प्रत्याशी कांटे की टक्कर दे सकते हैं. बीजेपी ने कांग्रेस छोड़कर पार्टी में शामिल हुए कमलेश जावट को इस सीट पर उम्मीदवार बनाया है, तो वहीं कांग्रेस ने सत्यप्रकाश सखवार पर दांव लगाया. ऐसे में बीजेपी के बागी अभिनव छारी ने निर्दलीय मैदान में कूद कर इस मुकाबले को और भी कड़ा कर दिया है.
  5. अशोकनगर विधानसभा- अशोकनगर विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. लेकिन 2018 के चुनाव में इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी लड्डू राम कोरी को मात देकर जजपाल सिंह जज्जी ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ जजपाल सिंह जज्जी ने भी भाजपा का दामन थामा लिया. जिसके बाद ये सीट खाली हुई थी. अब बीजेपी ने भी सिंधिया समर्थक जजपाल सिंह जज्जी को ही उम्मीदवार बनाया था. जजपाल सिंह का मुकाबला उन्हीं के साथ कांग्रेस पार्टी में काम करने वाली कांग्रेस नेता अनीता जैन की बहू आशा दोहरे से है. बीजेपी में शामिल होने के पहले लगभग 15 साल तक जजपाल और आशा दोहरे की सास अनीता जैन ने साथ ही काम किया है.
  6. मुंगावली विधानसभा- अशोकनगर जिले की मुंगावली विधानसभा सीट काफी अहम मानी जा रही है, सीट की अहमियत इसलिए भी है, क्योंकि मुंगावली सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाली सीटों में से एक मानी जाती रही है. ये सीट सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाने वाले बृजेन्द्र सिंह यादव के इस्तीफे के बाद खाली हुई है. बीजेपी ने बृजेंद्र को ही मैदान में उतारा. तो कांग्रेस ने कन्हईराम लोधी पर दांव लगाया है. जबकि बसपा ने वीरेंद्र शर्मा को प्रत्याशी बनाया है.
  7. मेहगांव विधानसभा- भिंड जिले की मेहगांव विधानसभा सीट चंबल अंचल की अहम सीट मानी जाती है. इस सीट पर पूर्व विधायक ओपीएस भदौरिया के इस्तीफे के चलते उपचुनाव हो रहा है. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से चुनाव लड़े भदौरिया ने बीजेपी के राकेश शुक्ला को हराया, लेकिन भदौरिया बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए. उपचुनाव में बीजेपी ने ओपीएस भदौरिया को प्रत्याशी बनाया है. तो कांग्रेस ने पूर्व विधायक हेमंत कटारे पर दांव लगाया है. हालांकि हेमंत कटारे के बाहरी प्रत्याशी होने की बात भी कही जा रही है, लेकिन अटेर से सटी होने के चलते मेहगांव विधानसभा सीट पर हेमंत का प्रभाव माना जाता है.
  8. गोहद विधानसभा- भिंड जिले की गोहद विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव की सरगर्मियां तेज हैं. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित गोहद विधानसभा सीट पूर्व विधायक रणवीर जाटव के इस्तीफे से खाली हुई है. खास बात ये है कि, गोहद विधानसभा अस्तित्व में आने के बाद तीसरे उपचुनाव की साक्षी बनी है. बीजेपी ने इस सीट से रणवीर जाटव को टिकट दिया था. वहीं कांग्रेस ने गोहद से मेवाराम जाटव को मैदान में उतारा है.
  9. ग्वालियर विधानसभा- ग्वालियर विधानसभा सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे खास समर्थक प्रद्युम्न सिंह तोमर की बगावत से खाली हुई. राजशाही के दौर में देश की जानी-मानी औद्योगिक क्षेत्र वाली ग्वालियर विधानसभा सीट खास इसलिए भी है, क्योंकि यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर है. 2018 में कांग्रेस में रहे प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बीजेपी के दिग्गज नेता जयभान सिंह पवैया को हराया था, लेकिन बदली परस्थितियों में तोमर अब बीजेपी के प्रत्याशी हैं. तो कांग्रेस ने उनके खिलाफ सुनील शर्मा को मैदान में उतारा है.
  10. ग्वालियर पूर्व- जयविलास पैलेस ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट के तहत आता है. जिससे ये सीट महल के प्रभाव वाली सीट मानी जाती है. इस बार भी यहां चिरप्रतिद्वंदी मुन्नालाल गोयल और सतीश सिकरवार के बीच मुकाबला है. फर्क सिर्फ इतना है कि, इस बार दोनों प्रत्याशी दल बदलकर मैदान में उतरे हैं.
  11. डबरा विधानसभा- ग्वालियर जिले की तीन सीटों पर हो रहे उपचुनाव में डबरा विधानसभा सीट भी शामिल है. जो ग्वालियर-चंबल की सबसे हाईप्रोफाइल सीट मानी जाती है. यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की समर्थक इमरती देवी का मुकाबला कांग्रेस के सुरेश राजे से है. खास बात ये है कि, एक चुनावी सभा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इमरती देवी को 'आइटम' कह दिया, जिसके बाद इस सीट पर सियासत और तेज हो गई.
  12. भांडेर विधानसभा- दतिया जिले की भांडेर विधानसभा सीट ग्वालियर चंबल की सबसे हाई प्रोफाइल सीट है. यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की समर्थक रक्षा सिरोनिया का मुकाबला कांग्रेस के नेता फूल सिंह बरैया से है. खास बात ये है कि, उपचुनाव के दौरान फूल सिंह बरैया अपने बयानों की वजह से काफी विवादों में रहे.
  13. बमोरी विधानसभा- गुना जिले की बमोरी विधानसभा सीट अनारक्षित सीट है. गुना जिले के चुनावी इतिहास में ये तीसरा मौका है, जब उपचुनाव होने जा रहा है. सिंधिया समर्थक महेंद्र सिंह सिसोदिया ने भी सिंधिया के बीजेपी में शामिल होते ही विधायक पद से इस्तीफा दिया और बीजेपी में शामिल हो गए. जिसके बाद बीजेपी ने महेंद्र सिंह सिसोदिया पर दाव लगाया और कांग्रेस ने कन्हैया लाल अग्रवाल को टिकट दिया था.
  14. करैरा विधानसभा- शिवपुरी जिले की करैरा विधानसभा सीट पर बीजेपी ने जसवंत जाटव को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने प्रागी लाल जाटव को मैदान में उतारा है. शिवपुरी जिले की करैरा विधानसभा सीट पर देखना दिलचस्प होगा कि, क्या इस बार बीजेपी उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी यानी राजमाता विजयाराजे सिंधिया के सबसे ज्यादा वोटों से जीत का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगे.
  15. पोहरी विधानसभा- शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी और मंत्री सुरेश धाकड़ चुनावी मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस ने इस सीट से हरिवल्लभ शुक्ल को चुनावी मैदान में उतारा है.
  16. दिमनी विधानसभा- मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा भी उपचुनाव में बहुत महत्व रखती है. दिमनी में कांग्रेस प्रत्याशी रविंद्र सिंह तोमर पहले काफी विरोध भी हुआ. बीजेपी ने मंत्री गिर्राज दंडोतिया को मैदान में उतारा है.
Last Updated : Nov 4, 2020, 1:33 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.