भोपाल| प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर राजनीति गरमाने लगी है, जहां एक तरफ बीजेपी और कांग्रेस उप चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं, तो वहीं दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी ने इन सभी 24 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर दी है, जिसके बाद से कांग्रेस और बीजेपी सामने मुश्किलें खड़ी हो गईं हैं. बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती के द्वारा प्रदेश में होने वाले उपचुनाव को दृष्टिगत रखते हुए, इस बात की घोषणा कर दी गई है कि बीएसपी इन सभी 24 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. अब ऐसी स्थिति में दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों को नुकसान होने की आशंका व्यक्त की जा रही है.
प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर चुनावी नुकसान की आशंका में कांग्रेस और बीजेपी की नींद उड़ गई है, खासतौर पर ग्वालियर चंबल संभाग में ज्यादा परेशानी खड़ी होती दिखाई दे रही है, क्योंकि इन क्षेत्रों में कांग्रेस और बसपा दोनों के ही जनाधार वाले जातीय समीकरण एक जैसे हैं. ज्यादा सीटें जीतकर बहुजन समाज पार्टी में भी सत्ता की चाबी अपने हाथ में लेने की उम्मीद लगाई है.
बसपा का अब तक पुराना रिकॉर्ड रहा है कि वो विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी कुछ चुनिंदा सीटों पर जरूर उतारती है, लेकिन ज्यादातर समय बसपा ने मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव से दूरी बनाई है. अब बसपा ने प्रदेश में 2 महीने पूर्व 22 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे और सत्ता परिवर्तन के बाद उसने उपचुनाव वाली सीटों पर पूरी ताकत से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
बताया जा रहा है कि बसपा इस बात को लेकर आश्वस्त है कि डेढ़ साल पहले हुए आम चुनाव में ग्वालियर-चंबल संभाग की 13 सीटों पर उसे निर्णायक वोट मिले थे, 2 सीटों पर उसके प्रत्याशी दूसरे क्रम पर रहे हैं, जबकि 13 ऐसी सीटें थीं जहां बसपा प्रत्याशियों को 15 हजार से 40 हजार तक वोट प्राप्त हुए थे. विधानसभा में बसपा के अभी वर्तमान में 2 विधायक हैं और अब बसपा को पूरी उम्मीद है कि प्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में उसे और भी सीटें मिल सकती हैं.
बता दें कि मध्य प्रदेश की इन 24 विधानसभा सीटों में से 23 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा था, यही वजह है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही उपचुनाव में पूरी ताकत झोंकने में लगे हुए हैं और बीएसपी के उप चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद बीजेपी और कांग्रेस के टिकट से वंचित दावेदारों के सामने एक नया विकल्प भी रहेगा.
प्रदेश की 29 सीटों पर कांग्रेस ने चुनाव जीता था. यदि कांग्रेस दोबारा इन सभी सीटों पर दोबारा से चुनाव जीत जाती है तो संख्या बल के हिसाब से सत्ता में वापसी संभव है और यही स्थिति बीजेपी की भी है. वो सत्ता बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाएगी.
अभी बीएसपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि वो इन सभी 24 सीटों पर जिताऊ प्रत्याशी को मैदान में उतारे. हालांकि बीएसपी के पास ऐसा कोई भी उम्मीदवार दिखाई नहीं दे रहा है. बीएसपी का ये दाव क्या रंग लाएगा ये तो उपचुनाव के परिणाम ही तय करेंगे. लेकिन उपचुनाव में बीएसपी की मौजूदगी से त्रिकोणी मुकाबला जरूर होता दिखाई दे रहा है, जो काफी रोचक होने वाला है.