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फिर एकजुट हो रहे माई के लाल, महाकुंभ में जुटेंगे 5 लाख से ज्यादा ब्राह्मण

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Published : Jun 1, 2023, 5:24 PM IST

Updated : Jun 1, 2023, 7:19 PM IST

मध्यप्रदेश में माई के लाल फिर एकजुट हो रहे हैं. 4 जून को भोपाल के जंबूरी मैदान महाकुंभ में 5 लाख से ज्यादा ब्राह्मण जुटेंगे. ब्राह्मण समाज का कहना है कि जो ब्राह्मण का ध्यान रखेगा, उसी को वोट मिलेगा.

MP Brahmin Mahakumbh
ब्राह्मण महाकुंभ

भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के अब कुछ ही महीने बाकी रह गए हैं, लेकिन प्रदेश में चुनावी रंग अभी से चढ़ता हुआ नजर आ रहा है. एक तरफ जहां राजनीतिक पार्टियां और सरकार ओबीसी, दलित और पिछड़े वर्ग पर फोकस कर रही है, तो वहीं अब ब्राह्मण समाज भी शक्ति प्रदर्शन के लिए तैयार है. अब प्रदेश में माई के लाल एक बार फिर से एकजुट हो रहे हैं. 4 जून को मध्य प्रदेश के सभी ब्राह्मण संगठन मिलकर एक ही मंच पर विशाल ब्राह्मण महाकुंभ हुंकार सम्मेलन करने जा रहे हैं. इस शक्ति प्रदर्शन में ब्राह्मण समाज की 11 सूत्रीय मांगों को सरकार के सामने रखा जाएगा.

माई के लाल का समर्थन हर पार्टी के लिए जरुरी: इस बारे में संयोजक पुष्पेंद्र मिश्र ने बताया की ब्राह्मण महाकुंभ के मुख्य अतिथि के रूप में सनातन धर्म के सबसे बड़े आचार्य द्वारिका पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानन्द सरस्वती महाराज आ रहे हैं. वहीं महाकुंभ में विशिष्ट अतिथि एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान होंगे. महाकुंभ में सभी राजनीतिक दलों के ब्राह्मण नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है. ब्राह्मण समाज के सभी संगठन एक मंच पर आकर सभी राजनीतिक दलों को यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि माई के लाल के समर्थन बिना इस प्रदेश में किसी की भी सरकार बनने वाली नहीं है. साल 2018 में भी माई के लाल की नाराजगी के चलते भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था. इनका कहना है कि जो ब्राह्मणों का साथ देगा, वोट उसी को मिलेगा.

ब्राह्मण समाज ने की हक की मांग: जिस तरह से सभी राजनीतिक दल दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग पर फोकस कर रहे हैं. उसे देखते हुए अब ब्राह्मण समाज भी एक मंच पर अगर अपने हक की लड़ाई लड़ने की तैयारी में जुट गया है.

कुछ खबरें यहां पढ़ें

MP Brahmin Mahakumbh
ब्राह्मण समाज की मांग

ये है 11 सूत्री मांग:

  1. ब्राह्मण आयोग का संवैधानिक गठन किया जाए. यह घोषणा तक सीमित ना रहे. तुरंत इसका गठन किया जाए व किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को अध्यक्ष न बनाया जाए. समाज से ही अध्यक्ष चुना जाए.
  2. एट्रोसिटी एक्ट को तत्काल समाप्त किया जाए, क्योंकि इसमें न तो गिरफ्तारी के पूर्व जांच का प्रावधान है न अग्रिम जमानत का प्रावधान है और न पेरोल का प्रावधान है. साथ ही न आईपीसी की धारा 360 के अंतर्गत अच्छे चाल चलन के लिए जेल से शीघ्र छोड़े जाने का प्रावधान है. ऐसा अंधा कानून विश्व के किसी भी लोकतांत्रिक देश में नहीं है.
  3. ब्राह्मण वर्ग को जनसंख्या के अनुपात में मध्यप्रदेश में 14% आरक्षण का लाभ दिया जाए. जिसमें उन्हें सारी सुविधाएं प्रदान की जाए जो SC-ST एवं पिछड़ा वर्ग के समाज को दी जा रही है.
  4. जिन सीटों पर सवर्ण चुनाव लड़ सकते हैं, वहां पर ओबीसी और एससी-एसटी को टिकट न दिया जाए.
  5. ब्राह्मण वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए शासन द्वारा जिला एवं तहसील स्तर पर छात्रावास की व्यवस्था की जाए. जिसका नाम परशुराम छात्रावास रखा जाए, जैसा कि अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के लिए पृथक-पृथक छात्रावासों की व्यवस्था की गई है.
  6. ओबीसी की भांति आठ लाख से नीचे आय वाले निर्धन ब्राह्मणों को आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाए. ब्राह्मण वर्ग के 8 लाख से नीचे के विद्यार्थी को निःशुल्क सरकारी आवेदन की पात्रता दी जाए.
  7. भगवान परशुराम जन्मोत्सव पर राष्ट्रीय स्तर पर (निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के अंतर्गत) सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए. (जिस प्रकार से महावीर स्वामी बुद्ध के जन्मदिन पर दिया जाता है, 17 मस्जिद गिरजाघरों एवं गुरुद्वारे के समान एवं संविधान की धर्मनिरपेक्षता की भावना को ध्यान में रखते हुए भारत के सभी मंदिरों को एवं गौतम शासन के नियंत्रण से मुक्त रखा जाए और उनका नियंत्रण मंदिर के संस्थानों को साथ दिया जाए.
  8. वर्ष 1980 से आज तक मंदिरों का सर्वे नहीं हुआ है, तुरंत सर्वे करवाकर सभी सार्वजनिक मंदिरों के पुजारियों को रुपए 10,000 प्रतिमाह मानदेय दिया जाए, चढ़ावे में उनका हिस्सा 50% किया जाए.
  9. मंदिरों से हुई धर्मस्व की आमदनी की संपूर्ण राशि मंदिरों के जीर्णोद्धार, गुरुकुल तथा गौशाला संचालन हेतु शासकीय अनुदान के रूप में प्रदान की जाए. मंदिर से प्राप्त आप को हिंदू धर्म से पृथक धर्मों के लिए व्यय नहीं किया जाए. अर्थात मद्रास हाई कोर्ट द्वारा 2020 में दिए गए निर्णय के अनुसार मंदिरों से प्राप्त आमदनी को केवल मंदिरों के विकास एवं हिंदू धर्म की लोक कल्याणकारी योजनाओं में ही 100% खर्च की जाए.
  10. सनातन धर्म के कथा वाचक साधु संतों एवं ब्राह्मण समाज के किसी व्यक्ति अथवा ब्राह्मण समाज को सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया पर अपशब्द बोलने एवं अपमानित किए जाने की दशा में ऐसा करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध कठोर कार्रवाई किए जाने का प्रावधान किया जाए. इसके लिए ब्राह्मण अत्याचार निवारण अधिनियम (एट्रोसिटी एक्ट) बनाया जाए.
  11. महान क्रांतिकारी पंडित चंद्रशेखर आजाद, मंगल पांडे की तरह देश पर मर मिटने वाले अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को सम्मान दिया जाए एवं आर्थिक सहायता प्रदान की जाए.
  12. ब्राह्मण समाज विभिन्न सामाजिक धार्मिक एवं लोक कल्याणकारी गतिविधियों के लिए 5 एकड़ भूमि आवंटित की जाए.

भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के अब कुछ ही महीने बाकी रह गए हैं, लेकिन प्रदेश में चुनावी रंग अभी से चढ़ता हुआ नजर आ रहा है. एक तरफ जहां राजनीतिक पार्टियां और सरकार ओबीसी, दलित और पिछड़े वर्ग पर फोकस कर रही है, तो वहीं अब ब्राह्मण समाज भी शक्ति प्रदर्शन के लिए तैयार है. अब प्रदेश में माई के लाल एक बार फिर से एकजुट हो रहे हैं. 4 जून को मध्य प्रदेश के सभी ब्राह्मण संगठन मिलकर एक ही मंच पर विशाल ब्राह्मण महाकुंभ हुंकार सम्मेलन करने जा रहे हैं. इस शक्ति प्रदर्शन में ब्राह्मण समाज की 11 सूत्रीय मांगों को सरकार के सामने रखा जाएगा.

माई के लाल का समर्थन हर पार्टी के लिए जरुरी: इस बारे में संयोजक पुष्पेंद्र मिश्र ने बताया की ब्राह्मण महाकुंभ के मुख्य अतिथि के रूप में सनातन धर्म के सबसे बड़े आचार्य द्वारिका पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानन्द सरस्वती महाराज आ रहे हैं. वहीं महाकुंभ में विशिष्ट अतिथि एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान होंगे. महाकुंभ में सभी राजनीतिक दलों के ब्राह्मण नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है. ब्राह्मण समाज के सभी संगठन एक मंच पर आकर सभी राजनीतिक दलों को यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि माई के लाल के समर्थन बिना इस प्रदेश में किसी की भी सरकार बनने वाली नहीं है. साल 2018 में भी माई के लाल की नाराजगी के चलते भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था. इनका कहना है कि जो ब्राह्मणों का साथ देगा, वोट उसी को मिलेगा.

ब्राह्मण समाज ने की हक की मांग: जिस तरह से सभी राजनीतिक दल दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग पर फोकस कर रहे हैं. उसे देखते हुए अब ब्राह्मण समाज भी एक मंच पर अगर अपने हक की लड़ाई लड़ने की तैयारी में जुट गया है.

कुछ खबरें यहां पढ़ें

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ब्राह्मण समाज की मांग

ये है 11 सूत्री मांग:

  1. ब्राह्मण आयोग का संवैधानिक गठन किया जाए. यह घोषणा तक सीमित ना रहे. तुरंत इसका गठन किया जाए व किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को अध्यक्ष न बनाया जाए. समाज से ही अध्यक्ष चुना जाए.
  2. एट्रोसिटी एक्ट को तत्काल समाप्त किया जाए, क्योंकि इसमें न तो गिरफ्तारी के पूर्व जांच का प्रावधान है न अग्रिम जमानत का प्रावधान है और न पेरोल का प्रावधान है. साथ ही न आईपीसी की धारा 360 के अंतर्गत अच्छे चाल चलन के लिए जेल से शीघ्र छोड़े जाने का प्रावधान है. ऐसा अंधा कानून विश्व के किसी भी लोकतांत्रिक देश में नहीं है.
  3. ब्राह्मण वर्ग को जनसंख्या के अनुपात में मध्यप्रदेश में 14% आरक्षण का लाभ दिया जाए. जिसमें उन्हें सारी सुविधाएं प्रदान की जाए जो SC-ST एवं पिछड़ा वर्ग के समाज को दी जा रही है.
  4. जिन सीटों पर सवर्ण चुनाव लड़ सकते हैं, वहां पर ओबीसी और एससी-एसटी को टिकट न दिया जाए.
  5. ब्राह्मण वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए शासन द्वारा जिला एवं तहसील स्तर पर छात्रावास की व्यवस्था की जाए. जिसका नाम परशुराम छात्रावास रखा जाए, जैसा कि अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के लिए पृथक-पृथक छात्रावासों की व्यवस्था की गई है.
  6. ओबीसी की भांति आठ लाख से नीचे आय वाले निर्धन ब्राह्मणों को आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाए. ब्राह्मण वर्ग के 8 लाख से नीचे के विद्यार्थी को निःशुल्क सरकारी आवेदन की पात्रता दी जाए.
  7. भगवान परशुराम जन्मोत्सव पर राष्ट्रीय स्तर पर (निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के अंतर्गत) सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए. (जिस प्रकार से महावीर स्वामी बुद्ध के जन्मदिन पर दिया जाता है, 17 मस्जिद गिरजाघरों एवं गुरुद्वारे के समान एवं संविधान की धर्मनिरपेक्षता की भावना को ध्यान में रखते हुए भारत के सभी मंदिरों को एवं गौतम शासन के नियंत्रण से मुक्त रखा जाए और उनका नियंत्रण मंदिर के संस्थानों को साथ दिया जाए.
  8. वर्ष 1980 से आज तक मंदिरों का सर्वे नहीं हुआ है, तुरंत सर्वे करवाकर सभी सार्वजनिक मंदिरों के पुजारियों को रुपए 10,000 प्रतिमाह मानदेय दिया जाए, चढ़ावे में उनका हिस्सा 50% किया जाए.
  9. मंदिरों से हुई धर्मस्व की आमदनी की संपूर्ण राशि मंदिरों के जीर्णोद्धार, गुरुकुल तथा गौशाला संचालन हेतु शासकीय अनुदान के रूप में प्रदान की जाए. मंदिर से प्राप्त आप को हिंदू धर्म से पृथक धर्मों के लिए व्यय नहीं किया जाए. अर्थात मद्रास हाई कोर्ट द्वारा 2020 में दिए गए निर्णय के अनुसार मंदिरों से प्राप्त आमदनी को केवल मंदिरों के विकास एवं हिंदू धर्म की लोक कल्याणकारी योजनाओं में ही 100% खर्च की जाए.
  10. सनातन धर्म के कथा वाचक साधु संतों एवं ब्राह्मण समाज के किसी व्यक्ति अथवा ब्राह्मण समाज को सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया पर अपशब्द बोलने एवं अपमानित किए जाने की दशा में ऐसा करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध कठोर कार्रवाई किए जाने का प्रावधान किया जाए. इसके लिए ब्राह्मण अत्याचार निवारण अधिनियम (एट्रोसिटी एक्ट) बनाया जाए.
  11. महान क्रांतिकारी पंडित चंद्रशेखर आजाद, मंगल पांडे की तरह देश पर मर मिटने वाले अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को सम्मान दिया जाए एवं आर्थिक सहायता प्रदान की जाए.
  12. ब्राह्मण समाज विभिन्न सामाजिक धार्मिक एवं लोक कल्याणकारी गतिविधियों के लिए 5 एकड़ भूमि आवंटित की जाए.
Last Updated : Jun 1, 2023, 7:19 PM IST
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