भोपाल। गैस पीड़ितों के इलाज के लिए बनाए गए भोपाल मेमोरियल एन्ड रिसर्च सेंटर को अब एम्स में मर्ज न करके, उसके प्रबन्धन और व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी स्वास्थ्य मंत्रालय ने इंडियन कॉउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को सौंप दी है. इससे पहले इसे एम्स में मर्ज करने की बात काफी समय से चल रही थी, लेकिन कई पहलुओं पर बात न बनने के कारण ये निर्णय लिया गया है.
वहीं इस निर्णय पर गैस पीड़ितों के लिए काम करने वाली सामाजिक संस्था की कार्यकर्ता रचना ढींगरा का कहना है कि गैस पीड़ितों के लिए बीएमएचआरसी ही एक मात्र सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल है, लेकिन पिछले 10 सालों में इसकी हालत बद से बदतर हो गयी है. अब इस आईसीएमआर को सौंप दिया गया है. ये वही संस्था है जिसके पास पहले भी बीएमएचआरसी की जिम्मेदारी थी और हालात तब भी नहीं सुधरे.
रचना ढींगरा का कहना है कि आईसीएमआर जिसने ना आज तक कोई अस्पताल चलाया है और हाल ही में भोपाल गैस पीड़ितों की दूसरी पीढ़ी पर किए जाए जा रहे शोध को भी ये संस्था दबा रही है. इस पूरी बात को वो मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में रखने की बात कह रही है. बता दें कि गैस पीड़ितों की बेहतरी के लिए कोई खास काम नहीं किया जा रहा है. 34 साल बाद भी गैस पीड़ित मुआवजे और इलाज के लिए परेशान हैं. भोपाल में गैस पीड़ितों के लिए बनाए गए अस्पतालों में भी उन्हें सुविधाएं नहीं मिलती हैं.