भोपाल। कोरोना वायरस महामारी ने हर क्षेत्र को किसी न किसी तरह से प्रभावित किया है, फिर चाहे रोजगार की बात हो, स्वास्थ्य की बात हो, बाजार की बात हो या फिर अन्य सुविधाओं की बात हो. कोरोना से केवल इंसान ही नहीं, बहुत सारी अन्य चीजें भी संक्रमित हुईं हैं. जिन सुविधाओं और व्यवस्थाओं को इस वायरस ने अपनी चपेट में लिया है उनमें 'ब्लड डोनेशन और ब्लड बैंक' भी शामिल हैं.
ब्लड बैंकों में खून की कमी-
कोरोना वायरस संक्रमण के डर और पहले लगे लॉकडाउन के कारण सभी स्थानों के ब्लड बैंकों में ब्लड की कमी हो गयी है और जो सामाजिक संस्थाएं ब्लड डोनेशन का काम करती हैं, उन्हें भी अब जरूरतमंदों तक ब्लड पहुंचाने में काफी मेहनत करनी पड़ रही है. राजधानी भोपाल के ब्लड बैंक और यहां के सामाजिक संस्थान भी इस महामारी से अछूते नहीं हैं, यहां भी लोगों को ब्लड की कमी से जूझना पड़ रहा है.
संक्रमण के खतरे से लोग नहीं कर रहे रक्तदान-
राजधानी भोपाल में ब्लड की उपलब्धता और रक्तदान की क्या स्थिति है, इस बारे में रक्तदान के लिए काम करने वाली सामाजिक संस्था यूथ ब्रिगेड की संचालक आसमा खान का कहना है कि जब से शहर में इस संक्रमण का खतरा बढ़ा है, लोग ब्लड डोनेशन कम कर रहे हैं. उनके अंदर एक डर है कि कहीं किसी को ब्लड देने से उन्हें ये वायरस ना हो जाए. ऐसे में ये एक बड़ी परेशानी है कि लोगों को बहुत ज्यादा समझाइश देनी पड़ रही है कि ब्लड डोनेशन से किसी भी तरह का खतरा नहीं है. इसके अलावा जब लॉकडाउन लगा हुआ था, तब भी लोगों की आवाजाही के कारण बहुत कम मात्रा में ब्लड डोनेशन हुआ है. जिसके कारण भोपाल के लगभग सभी ब्लड बैंकों में खून की उपलब्धता कम हो गई है. हालांकि जब लॉकडाउन खुल गया है तो लोग रक्तदान करने आ तो रहे हैं, लेकिन पहले की तुलना में बहुत कम रक्तदान किया जा रहा है. यदि कोई इमरजेंसी केस आता है तो उस वक्त ब्लड को जुटाने में खासी मेहनत करनी पड़ रही है. इसके अलावा रक्तदान करते समय अब बहुत सारे सुरक्षा के उपाय भी करने पड़ रहे हैं. जिसकी वजह से भी लोग पीछे हटने लगे हैं. आसमा ने कहा कि वो इस मुश्किल समय में लोगों को ज्यादा से ज्यादा समझाइश दे रही हैं.
हॉस्पिटल में रोज चाहिए 100 से 150 यूनिट ब्लड-
ब्लड बैंक में ब्लड की उपलब्धता को लेकर हमीदिया अस्पताल के ब्लड बैंक ऑफिसर डॉक्टर उमेंद्र मोहन शर्मा ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण पहले की तुलना में अब ब्लड डोनेशन कैम्प नहीं लगाए जा रहे हैं. अस्पताल में रोज 100 से 150 यूनिट ब्लड हर महीने लगता था, हालांकि अभी मरीजों की संख्या में कमी आयी है, लेकिन गर्भवती महिलाएं, थैलेसीमिया के मरीज, हीमोफीलिया के मरीज, कैंसर के मरीजों को लगातार ब्लड की जरूरत पड़ती है, ऐसे में ब्लड की कमी हो गई थी. इस स्थिति में उन्होंने कुछ संस्थाओं से भी बात की, इसके साथ ही गांधी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर और स्टाफ भी आगे आए और उन लोगों ने रक्तदान किया. बैंक में ब्लड की कमी ना हो इसके लिए हॉस्पिटल ने रक्तदाता को पिक एंड ड्रॉप की सर्विस दी है, ताकि वो घर से आकर आसानी से रक्तदान कर सकें.
इससे साफ तौर पर ये देखने मिल रहा है कि कोरोना वायरस के कारण जिन व्यवस्थाओं में असर पड़ा है. उनमें ब्लड की उपलब्धता एक बड़ी समस्या है जिसके कारण ब्लड बैंकों से लेकर सामाजिक संस्थाओं को काफी मुश्किल हो रही है.