भोपाल। मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी फिर सत्ता पाने की जी-तोड़ कोशिश में लगी है. इसके लिए उसने प्रदेश की 100 सीटों पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का लाभ उठाने की रणनीति लगभग तैयार कर ली है. रणनीति का काम भी अंतिम दौर में है. भाजपा की तैयारी सिंधिया को प्रदेश की सभी 230 सीटों पर ले जाने की है, लेकिन 100 सीटों को खासतौर पर चिह्नित किया गया है. मध्यप्रदेश की सौ सीटें हैं, किसी जमाने में सिंधिया रियासत होती थीं. भाजपा ने अब तक 136 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर चुनाव प्रचार तेज कर दिया है.
फिलहाल ग्वालियर-चंबल पर फोकस : बीजेपी बची हुई 94 सीटों पर जल्दी प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर देगी. पार्टी के दिग्गज नेता सभी 230 सीटों पर प्रत्याशी घोषित होने के बाद चुनाव प्रचार में दमखम के साथ जुटेंगे. बीजेपी सूत्रों की मानें तो अभी तक जो रणनीति अपनाई गई है, उसमें सिंधिया को प्रचार की बड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने की है. हालांकि फिलहाल पार्टी ने उनको ग्वालियर-चंबल पर फोकस करने को कहा है. ग्वालियर चंबल, मालवा निमाड़ पर पार्टी की नजर है. माना जा रहा है कि सिंधिया का ग्वालियर-चंबल और मालवा-निमाड़ में अच्छा प्रभाव है.
पिछले चुनाव में कांग्रेस को जिताया था : उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, नीमच, देवास, शाजापुर, राजगढ़, विदिशा, धार, होशंगाबाद, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, शिवपुरी, श्योपुर, गुना और दतिया के साथ इंदौर, खंडवा, खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर, झाबुआ, अलीराजपुर जिले में भी सिंधिया प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं. इसी के मद्देनजर भाजपा ने उन्हें इन क्षेत्रों में अधिक सक्रिय रखने की रणनीति बनाई है. साल 2018 में कांग्रेस सत्ता में लौटी थी तो उसका एक कारण सिंधिया भी थे. भाजपा ने भी उन्हें टारगेट करते हुए 'माफ करो महाराज, हमारा नेता शिवराज' का नारा दिया था. कांग्रेस ने भी सिंधिया को चुनाव अभियान समिति की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी. इसीलिए भाजपा इस बार सिंधिया को आगे करना चाहती है.
सिंधिया की युवाओं में पकड़ : बीजेपी सिंधिया को इसलिए भी स्टार प्रचारक बना रही है, क्योंकि मध्यप्रदेश भाजपा से जुड़े तमाम दिग्गज नेताओं को पार्टी ने टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया है. भाजपा का अंदरूनी आकलन कहता है कि प्रदेश में सत्ता पक्ष के विधायकों के खिलाफ असंतोष है. पार्टी के निचले स्तर के कार्यकताओं के भ्रष्टाचार एवं पार्टी पदाधिकारियों में पनपने वाले भाई-भतीजावाद ने भी हालात बिगाड़े हैं. ऐसे में सिंधिया का प्रभाव अहम भूमिका निभा सकता है. क्योंकि मालवा-निमाड़ के साथ ग्वालियर-चंबल और मध्य भारत में सिंधिया मोर्चा संभालते हैं तो माहौल सकारात्मक बन सकता है. पार्टी का फीडबैक कहता है कि ग्रामीणों और युवाओं में सिंधिया का अच्छा प्रभाव है. उनके मैदान संभालने से भाजपा को फायदा होगा.