भोपाल। पवई बीजेपी विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता खत्म हो गई है. विधायक पर रेत माफिया के साथ तहसीलदार पर 2014 में हमला करने का आरोप था. कोर्ट के फैसले के बाद सचिवालय ने विधानसभा में पद खाली कर दिया है. भोपाल जिला न्यायलय ने पवई विधायक 2014 से चल रहे जानलेवा हमले के मामले में अपना फैसला सुना दिया है. विधायक को स्पेशल कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई है. प्रदेश में बीजेपी का एक और विधायक कम हो जाने से कांग्रेस सरकार की जड़े और मजबूत हो गई हैं.
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तहसीलदार से मारपीट के मामले में विशेष अदालत ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी. जिसका संज्ञान लेते हुए विधानसभा सचिवालय ने पवई विधानसभा सीट को रिक्त घोषित कर दिया है. विधानसभा सचिवालय ने यह फैसला कोर्ट के आदेश का परीक्षण करने के बाद लिया है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत किसी भी सांसद या विधायक को निचली अदालत के दोषी करार दिए जाने के बाद अयोग्य घोषित किया जा सकता है. कोर्ट के फैसले के तहत दो साल या उससे ज्यादा की सजा होने पर जनप्रतिनिधियों की सदस्यता खत्म की जा सकती है.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने पवई विधायक प्रहलाद लोधी के मामले में विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को अलोकतांत्रिक बताया है. उन्होंने कहा है कि 'विधानसभा अध्यक्ष सदन के अभिभावक होते हैं, उनकी गरिमा होती है और इसके नाते उन्हें दलीय राजनीति से ऊपर उठकर समानता का व्यवहार करना चाहिए. लेकिन मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने विधानसभा अध्यक्ष की तरह व्यवहार न करते हुए राजनीतिक दुर्भावना के तहत कांग्रेस के नेता की तरह फैसला लिया है'. राकेश सिंह ने कहा कि पवई विधायक को न्याय दिलाने के लिए उच्च न्यायालय में इस फैसले को चुनौती देंगे.
भाजपा के वरिष्ठ नेता नरोत्तम मिश्रा ने भी प्रहलाद लोधी की विधानसभा सदस्यता खत्म किए जाने पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि 2 साल से ज्यादा की सजा सुनाए जाने पर सदस्यता खत्म करने का प्रवधान है, लेकिन आनन- फानन में विधानसभा सचिवालय ने ये फैसला लिया है, विधानसभा सचिवालय के इस फैसले को बीजेपी कोर्ट में चुनौती देगी.